j

डिप्रेशन के लक्षण | Depression ke Lakshan

Published On: 31 Jan, 2022 8:57 AM | Updated On: 03 Dec, 2024 11:13 PM

डिप्रेशन के लक्षण | Depression ke Lakshan

तनाव, चिंता, घबराहट और बेचैनी, यह सब अवसाद यानि डिप्रेशन के ही लक्षण है, जिनका यदि सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह कभी न कभी बाहर निकलकर सामने आ ही जाते हैं और परिणाम बहुत बुरा होता है,परंतु इन लक्षणों को कैसे पहचानें, यह एक ज़रुरी और चुनौतीपूर्ण सवाल है । भारत सरकार के एनसीबीआई विभाग में देश के अलग-अलग राज्यों में डिप्रेशन के स्तर को जांचने के लिए 2016 में एक सर्वे कराया जिसमें कईं बातें निकलकर सामने आईं ।



डिप्रैशन लक्षण

सर्वे को देखें तो न सिर्फ लोगों का प्रतिशत सामने आया बल्कि लक्षणों के बारे में भी जानकारी पता चली है –

किसी व्यक्ति द्वारा की जा रही बातों, हाव-भाव और उसकी सोच से उसके डिप्रैशन लेवल का अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।यदि आपका कोई मित्र, रिश्तेदार या पड़ोसी निराश, हताश या उदासीनता के माहौल में है और जिसे स्वंय से घृणा या दोषी होने का भाव महसूस होता है, तो निश्चित तौर पर यह डिप्रैशन के ही लक्षण हैं ।ऐसे माहौल में व्यक्ति अक्सर-'मुझे स्वंय से नफरत है', 'सारी गलती मेरी है', 'मैं किसी काम का नहीं हूं', 'जिंदगी बेकार है', इस तरह की बातें करते हैं । अगर ऐसा है तो उनके साथ वक्त गुज़ारें और उनकी बातों को साझा करें । इस तरह की बातें अगर वे बार-बार करते हैं, तो उनके साथ बैठकर बातें साझा करें ।

व्यक्ति को अपने जीवन में जो भी करना पसंद है, डिप्रैशन धीरे-धीरे वह सब खत्म कर देता है । यदि आपको ऐसा आभास हो कि आपका मित्र या करीबी अब वह गतिविधियां नहीं कर रहा जो उसे पसंद थी या वह बहुत अधिक करता था, तो समझ लिजिए की उसके जीवन में कुछ गलत परिवर्तन हुए हैं और यह डिप्रैशन का ही शुरुआती लक्षण है ।

शरीर में ऊर्जा की कमी और थकान की कमी होना भी डिप्रैशन का ही लक्षण है । बहुत अधिक नींद आना या नींद का कम आना, यह दोनों डिप्रैशन के ही लक्षण हैं । यदि किसी व्यक्ति को हर वक्त ऐसा लगे कि वह थका हुआ है या उसका शरीर शक्तिहिन हो गया है तो यह डिप्रैशन का ही लक्षण है ।

दिल और दिमाग में लगातार भावनाओं का उमड़ना, जिन्हें काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है, तो यह भी डिप्रैशन का ही संकेत है । एक पल को आप खुश हैं, वहीं दूसरे पल गुस्सा हो जाते हैं और तीसरे पल उदास होकर फिर खुश हो जाते हैं, तो इस तरह भावनाओं का जल्दी-जल्दी बदलना डिप्रैशन का लक्षण ही है । 

आत्मविश्वास की कमी, स्वंय पर भरोसा न होना भी डिप्रैशन ही है । यह डिप्रैशन ही है जब आप स्वंय पर इतना भरोसा नहीं कर पाते कि आप कोई कार्य स्वंय भी कर सकते हैं और इसी से धीरे-धीरे आपके मन मस्तिष्क में यह भावना घर कर जाती है कि आप बेकार हैं, किसी काम के नहीं है । डिप्रैशन से घिरे हुए लोग खुद को और खुद के भविष्य को लेकर सिर्फ नकारात्मक भावना रखते हैं ।





इन प्रश्नों के उत्तर के लिए मैडटॉक्स ने डिप्रेशन पर एक सर्वे किया जिसमें अलग-अलग लोगों, उनकी स्थिति और विचारों को लेकर सवाल पूछे गए हैं । इस सर्वे में कईं बातें उभरकर आई हैं जो चौकाने वाली भी हैं और जिसपर विचार किया जाना चाहिए । हमने डिप्रेशन से संबंधित कुछ सवाल इन लोगों से पूछे हैं –

जब हमनें यह पूछा कि क्या खुद को नुकसान पहुंचाने से संबंधित बातें या सवाल बीते दो हफ्तों में आपके दिमाग में आए हैं ?
लोगों से इसकी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं । 
32.7 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब न कहकर दिया जबकि 18 प्रतिशत लोगों का जवाब हां था । 
इसके अलावा 18.2 प्रतिशत लोगों ने यह भी कहा कि कभी-कभी ऐसे विचार आए और 10.9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कुछ-कुछ मिलते-जुलते विचार आए ।
21.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसे विचार उन्हें भी कभी-कभार आते हैं । देखा जाए तो अधिकतर लोगों ने इस ओर संकेत किया कि ऐसे विचार उन्हें प्रभावित और परेशान करते हैं ।

क्षण जानने के लिए सर्वे का अगला प्रश्न यह था क्या पिछले दो हफ्तों में आपको स्कूल का काम करने, पढ़ने और टीवी देखने जैसी गतिविधि करने में दिक्कत महसूस होती है ?
इस प्रश्न पर हमें कुल मिलाकर 55 प्रतिक्रियाएं मिली, 
लगभग 28 प्रतिशत लोगों ने इस बात पर मुहर लगाई है कि वह इन गतिविधियों को करने में दिक्कत महसूस करते हैं । 
इसके अलावा लगभग 21 प्रतिशत लोगों ने यह भी कहा कि उनमें बहुत ज्यादा तो नहीं परंतु इसके कुछ-कुछ लक्षण हैं ।
वहीं 33 प्रतिशत लोगों ने इस बात से इनकार किया है । लेकिन अगर इस प्रश्न पर लोगों की प्रतिक्रियाओं का समावेश देखें तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डिप्रेशन लोगों के रोज़मर्रा की जिंदगी में भी दखल दे रहा है ।

जब यह प्रश्न किया गया कि ऐसा कितनी बार होता है जब आप किसी ग्लानि से भर जाते हैं, खुद को विफल समझते हैं या खुद को और अपने परिवार को नीचा दिखाते हैं ।

इस प्रश्न पर मिलने वाली प्रतिक्रियाएं भी चौकानें वाली थी । 
लगभग 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसा महिनों में नहीं हर दिन कईं बार होता है और बार-बार होता है ।
21 प्रतिशत लोगों ने इस बात से इंकार किया है और 5.5 प्रतिशत लोगों ने इसके हल्के लक्षणों की बात कही है ।
हैरान करने वाली बात यह है कि 36.4 प्रतिशत लोगों ने यह भी कबूला है कि उन्हें कभी-कभी ऐसे विचार आते ही रहते है । हर गलत बात, विचार और काम के लिए खुद को जिम्मेदार समझना या कोसना मानव मस्तिष्क की एक सामान्य आदत है, परंतु इसका ओवरडोज़ नहीं होना चाहिए ।

क्या आप लगातार थकावट या ऊर्जा हीन महसूस करते हैं ?

इस प्रश्न पर लोगों ने बड़े साफ और सटीक उत्तर दिए । 
43.6 प्रतिशत लोगों ने इसपर अपनी सहमति दी है जबकि सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों ने इस बात से इंकार किया है । 
12.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें इसके हल्के लक्षण महूसूस हुए ।
लगभग 37 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें यह सब कभी न कभी महसूस होता रहता है । मतलब साफ है कि लोगों में थकावट और ऊर्जा का न होना आज एक आम बात हो गई है ।

वजन का कम होना, भूख न लगना या हद से अधिक भोजन करना, आपको कितनी बार इस तरह के विचार परेशान करते हैं ?
इस बारे में लोगों ने अपनी मिली-जुली राय दी । 
इस विषय पर 47.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसा कुछ महसूस नहीं होता, वह एक्टिव महसूस नहीं करते 
जबकि 23.7 प्रतिशत लोगों ने इसपर रज़ामंदी दिखाई है और 
14 प्रतिशत लोगों ने इसके हल्के लक्षण महसूस किए हैं ।

ऐसा कितनी बार हुआ जब आप सोते हुए परेशान हुए या आपको नींद आने में दिक्कत हुई ?
इसपर भी लोगों कि मिली-जुली प्रतिक्रियाएं थी । 
32 प्रतिशत लोगों ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें कभी भी नींद आने में दिक्कत नहीं हुई । 
इसके अलावा और कोई ऐसा नहीं जिसे नींद आने में परेशानी न होती हो । किसी में इस समस्या के लक्षण कम है और किसी में बहुत ज्यादा है । 

क्या काम करने के प्रति रुचि या लगाव कम हुआ है या खुशी कम हुई है ? 
इसका उत्तर मध्यम स्तर पर रहा । यानि न तो बहुत अधिक लोग इसके समर्थन में आए और न ही बहुत कम । 
लगभग 32.7 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ऐसा कभी-कभी हो जाता है परंतु हमेशा नहीं होता । 
21.8 प्रतिशत लोगों ने जहां इस बात को नकार दिया । 
14.6 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात को कूबूल किया है । 

पिछले दो हफ्तों में किसी प्रकार का चिड़चिड़ापन, उदासी या निराशा महसूस हुई है ?
इसपर भी लोगों की राय काफी अलग थी । 
3.6 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया ।
10.9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस होता है । 
50.9 लोगों ने कहा कि उन्हें कभी-कभी ही ऐसा प्रतीत हुआ है ।
14.5 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उनमें इन सभी के हल्के लक्षण थे ।

डिप्रेशन पर किए गए सर्वे पर अगर ध्यान से नज़र डाली जाए तो पता चलेगा कि बीते कुछ समय से हरियाणा, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में डिप्रेशन में सबसे आगे हैं । सर्वे में एक चिंताजनक बात यह निकलकर आई है कि बड़े महानगर जैसे, दिल्ली, महाराष्ट्र और बैंगलौर जैसे राज्यों में डिप्रेशन के बढ़ते स्तर के बीच अब छोटे शहरों, जैसे बिहार में 13 प्रतिशत, हरियाणा में 14.8 प्रतिशत, राजस्थान में 7.4 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 9.3 प्रतिशत डिप्रेशन का स्तर है । 

निष्कर्ष
इस सर्वे का निष्कर्ष काफी संतुलित तौर पर निकला है । लोगों ने अपनी स्वतंत्र राय रखी और उसके आधार पर यह बात निकलकर आयी कि हर प्रश्न पर लोगों की राय अलग-अलग थी । खुद को कोई हानि या आत्महत्या जैसे प्रश्न पर लगभग 32 प्रतिशत लोगों ने हां भरी वहीं खुद को हर बात का दोषी मानने वाली भावना पर 38 प्रतिशत लोगों ने हामी भरी । इसके अलावा शारीरिक तौर पर खुद को ऊर्जाहीन और शक्तिहीन समझने के प्रश्न पर लगभग 43 प्रतिशत लोगों ने हामी भरी है ।  इसके अलावा रात को नींद न आने और चिड़चिड़ापन रहने के मामले में 35 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय हां में दी है । 

डब्लूएचओ ने भी कुछ इसी प्रकार का सर्वे भारत के अलग-अलग राज्यों में कराया और यह जानने की कोशिश की कि भारत में डिप्रेशन का प्रभाव कितना है और किस स्तर पर है । बात अगर भारत में डिप्रेशन की करें तो लगभग 36 प्रतिशत आबादी डिप्रेशन की शिकार है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 18 देशों में करीब 90 हजार लोगों पर सर्वे किया । इससे यह पता चला कि भारत में ही सबसे ज्यादा 36 फीसदी लोग मेजर डिप्रेसिव एपिसोड (एमडीई) के शिकार हैं तो वहीं दूसरे नंबर पर फ्रांस है जहां 32.3 फीसदी लोग इससे पीड़ित हैं ।

icon
 More FAQs by
Logo

Medtalks is India's fastest growing Healthcare Learning and Patient Education Platform designed and developed to help doctors and other medical professionals to cater educational and training needs and to discover, discuss and learn the latest and best practices across 100+ medical specialties. Also find India Healthcare Latest Health News & Updates on the India Healthcare at Medtalks