अल्जाइमर मस्तिष्क से संबंधित रोग है जिसमें व्यक्ति को याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को हानि पहुंचाता है। अल्जाइमर रोग रोगी के दैनिक जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयों को पैदा कर सकता है जो कि सामान्य से लेकर अति गंभीर तक हो सकती है, उदहारण के लिए अपनों की पहचान न कर पाना या फिर घर का रास्ता भूल जाना। वैसे तो अल्जाइमर किसी भी व्यक्ति को किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन इसके होने की ज्यादा आशंका वृद्ध लोगों में होती है।
यद्यपि हम अल्जाइमर को पहले से कहीं अधिक समझ रहे हैं, फिर भी औसत व्यक्ति अभी भी बहुत कुछ सीख सकता है। यह परिवार, जीवनसाथी और दोस्तों को प्रभावित करता है, फिर भी बहुत से लोग अल्जाइमर के बारे में या संभावित कारणों, जोखिम कारकों और रोकथाम के बारे में नहीं जानते हैं। अल्जाइमर की गंभीरता को देखते हुए इसे बेहत तरीके से जानना काफी जरूरी है, इसके लिए हमने अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease)से जुड़े 10 रोचक तथ्यों की एक सूची तैयार की है जिनकी मदद से आप अल्जाइमर के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं।
अल्जाइमर रोग से जुड़े 10 रोचक तथ्य
1. इस दिमागी बीमारी का नाम अल्जाइमर रोग कैसे पड़ा?
अल्जाइमर रोग का नाम जर्मन के रहने वाले डॉ अलॉइस अल्जाइमर (Dr Alois Alzheimer) के नाम पर रखा गया है जो कि एक मनोचिकित्सक थे। 1906 में डॉ अलॉइस अल्जाइमर ने एक महिला के मस्तिष्क के ऊतकों में कुछ बदलावों को देखा जिसकी असामान्य मानसिक बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। उसके लक्षणों में स्मृति हानि, बोलने में समस्याएं, और अप्रत्याशित व्यवहार शामिल थें। उसके मरने के बाद जब मस्तिष्क की जांच हुई तो अमाइलॉइड प्लेक्स (amyloid plaques) यानी असामान्य क्लम्प और तंतुओं (tangles) के उलझे बंडल मिले, जिसके कारण से महिला को समस्याएँ हो रही थी।
2. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अल्जाइमर रोग होने की अधिक संभावना होती है।
देखा जाए अल्जाइमर रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन एक तथ्य यह भी है कि यह मानसिक रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है। अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (U।S। Department of Health & Human Services) के अनुसार, पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुनी महिलाओं को अल्जाइमर रोग होता है। महिलाओं में अल्जाइमर के लक्षण भी तेजी से खराब होने लगते हैं। अल्जाइमर से पीड़ित महिलाएं अधिक गंभीर स्तर पर मस्तिष्क के सिकुड़न का अनुभव करती हैं। शोध बताते हैं कि यह अन्य स्वास्थ्य कारकों के कारण हो सकता है।
3. अल्जाइमर रोग किसी व्यक्ति की गंध की भावना को प्रभावित कर सकता है।
एक शोध में जानकारी मिली है कि अल्जाइमर न केवल याददाश्त से जुड़ी समस्याएँ होती है बल्कि रोगी को गंध आना भी बंद होने लगता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) से अल्जाइमर के बारे में एक चौंकाने वाले तथ्य से पता चलता है कि अल्जाइमर के शुरुआती चरणों में एक व्यक्ति गंध की भावना खो सकता है। यह परिवर्तन मस्तिष्क की चोट, साइनस संक्रमण और पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) सहित अन्य कारकों के कारण भी हो सकता है, इसलिए निदान द्वारा ही इस बारे में पुष्टि हो सकती है कि गंध न आना किस कारण से हो रहा है।
4. अल्जाइमर रोगियों को जानकारी नहीं कि वह इस मानसिक रोग से जूझ रहे हैं।
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि अल्जाइमर से जूझ रहे आधे से ज्यादा लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं होती कि उन्हें एक गंभीर मस्तिष्क रोग है। इसका कारण है कि अल्जाइमर रोग बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके लक्षण इतनी धीमी गति से दिखाई देने शुरू होते हैं कि रोगी को इस बारे में पता ही नहीं लग पाता। जब तक अल्जाइमर अपने चौथे या अंतिम चरण में नहीं पहुँच जाता तब तक रोगी को इस बारे में पता नहीं चल पाता।
5. अल्जाइमर रोग प्रगतिशील बीमारी है।
अल्जाइमर रोग प्रतिशील बीमारी है यानि कि यह चरणों में आगे बढ़ती है और अपने हर चरण के साथ पहले के चरण के मुकाबले ज्यादा गंभीर होने लगती है। देखा जाए तो अल्जाइमर रोग के साथ चरण है, लेकिन इसके चरणों को निम्न प्रकार से भी समझा जा सकता है :-
प्रारंभिक चरण (Early stage) :- इस चरण में अल्जाइमर के लक्षण हल्के होते हैं। इस स्तर पर एक व्यक्ति अपनी स्थिति से पूरी तरह अवगत होता है और अनुरोध किए जाने पर केवल न्यूनतम सहायता की आवश्यकता होती है।
मध्य चरण (Middle stage) :- इस चरण में लक्षण अधिक ध्यान देने योग्य होने लगते हैं। अल्जाइमर के साथ रहने वाले व्यक्ति को दैनिक कार्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए और अधिक सहायता की आवश्यकता होगी।
देर का चरण (Late stage) :- एक बार जब व्यक्ति इस अवस्था या चरण में पहुँच जाता है, तो वः अंततः मौखिक रूप से संवाद करने या अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाते हैं। देखभाल की गुणवत्ता यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति के पास जीवन की गुणवत्ता है।
अंतिम चरण (End stage) :- संज्ञानात्मक गिरावट उस बिंदु तक बढ़ गई है जहां व्यक्ति को 24 घंटे देखभाल की आवश्यकता होती है। मृत्यु की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपशामक देखभाल और आराम पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
6. अल्जाइमर रोग है एक क्रोनिक बीमारी।
अल्जाइमर रोग एक क्रोनिक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी (chronic neurodegenerative disease) है जो कि मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिससे सोचने की क्षमता और याददाश्त समय के साथ बिगड़ जाती है। अल्जाइमर रोग उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा नहीं है, और अपरिवर्तनीय है।
7. अल्जाइमर रोग मस्तिष्क को बदलता है।
अल्जाइमर रोग एक घातक बीमारी है जो अंततः किसी व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है - वे कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कार्य करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति यह अलग तरह से प्रभावित होता है। हालांकि लक्षणों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, जिस क्रम में वे प्रकट होंगे या उनकी प्रगति की गति, कुछ चेतावनी संकेत हैं जिन पर आप ध्यान दे सकते हैं।
8. अल्जाइमर रोग के लक्षणों का इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसे खत्म नहीं किया जा सकता।
आपको यह जानकर दुःख होगा कि अल्जाइमर रोग इतना गंभीर है कि इसके साथ रोगी को पूरी उम्र भर जीना पड़ता है, क्योंकि वर्तमान समय में (यह लेख लिखे जाने तक) इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है। हाँ, लेकिन अल्जाइमर से जुड़ी कुछ ऐसी दवाएं जरूर मौजूद है जो कि इसके लक्षणों को काबू कर सकती है। अल्जाइमर होने के बाद रोगी को उम्र भर इसकी दवाएं लेनी पड़ती है, ताकि लक्षणों को काबू में कर इसके चरणों को बढ़ने से रोका जा सके या चरणों के बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकेw।
9. अल्जाइमर और दिल के रोगियों में हैं संबंध।
हम सभी जानते हैं कि दिल और दिमाग का आपस में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से निकटता से संबंधित हैं। शायद इसी कारण से हृदय रोगियों को अल्जाइमर होने का खतरा बना रहता है। खासकर जो हृदय रोगी उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल( high cholesterol) स्तर, और मधुमेह से जूझ रहे हैं उन्हें इसका खतरा रहता है। इसके अलावा अगर हृदय रोगी एक खराब जीवनशैली और उचित आहार या दवाएं नहीं लेता उन्हें भी अल्जाइमर होने का खतरा बना रहता है। क्योंकि हृदय रोग की वजह से मस्तिष्क तक सही मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुँच पाता।
10. अल्जाइमर और डिमेंशिया के बीच है अंतर।
डिमेंशिया या मनोभ्रंश एक सामान्य शब्द है, अल्जाइमर रोग एक विशिष्ट मस्तिष्क रोग है। यह मनोभ्रंश के लक्षणों से चिह्नित होता है जो समय के साथ धीरे-धीरे खराब होते जाते हैं। अल्जाइमर रोग सबसे पहले सीखने से जुड़े मस्तिष्क के हिस्से को प्रभावित करता है, इसलिए शुरुआती लक्षणों में अक्सर याददाश्त, सोच और तर्क कौशल में बदलाव शामिल होते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षण अधिक गंभीर होते जाते हैं और इसमें भ्रम, व्यवहार में बदलाव और अन्य चुनौतियाँ शामिल होती हैं। डिमेंशिया 70-75 वर्ष आयु के बाद होता है, जबकि अल्जाइमर ऐसी बीमारी है, जिसे होने के लिए किसी उम्र की कोई सीमा ही नहीं है।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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