कैंसर वह रोग हैं, जिसपर यदि समय रहते काबू कर लिया जाए, तो इससे बचाव मुमकीन है, परंतु लोग इसे एक लाइलाज और जानलेवा बीमारी के रुप में देखते हैं । हमारे समाज के पहलुओं चाहे वो मीडिया हो, फिल्में हो या फिर साहित्य, कैंसर को एक मृत्युदायक बीमारी की संज्ञा दी है, परंतु सच यह है कि टीवी या विज्ञापन में दिखने वाली हर बात सत्य नहीं होती ।
कैंसरके इलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा में आज कईं तकनीकें जुड़ गई हैं, जिन्होंने न केवल सफलता की दर बढ़ाया है बल्कि इलाज के बाद भी जीवन की गुणवत्ता को सुधारा है।
जो लोग चिकित्सा संबंधी ज्ञान नहीं रखते या जो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए नहीं है, उन लोगों को आज भी कैंसर के इलाज में कुछ चंद तकनीके के बारे में ही पता है जैसे –कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी आदि । परंतु आज इनके अलावा और भी तकनीकों से कैंसर का सफल इलाज किया जा रहा है ।
यह थेरेपी रोगी के हिसाब से काम करती है यानि हर रोगी अलग है इसलिए उसका इलाज भी अलग ही होना चाहिए । रोगी के कैंसर की कोशिकाएं जांच हेतु ली जाती हैं और उन कोशिकाओं को स्टेम सेल के रुप में इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके बाद केमो ड्रग्स बेहतर परिणाम पाने के लिए इसकी कोशिकाओं की जांच करते हैं और फिर जो दवा बनती है, वह रोगी को दी जाती है। इस थेरेपी की खूबियां यह है कि यह -
रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी को बहुत बेहतर न मानकर इसे जोखिम भरा माना जाता था । रेडिएशन थेरेपी के बारे में यह कहा जाता था कि यह कैंसर की कोशिकाओं को प्रभावित करने के साथ ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती है । आधुनिक चिकित्सा तकनीक ने सब भ्रांतियों को सिरे से खारिज करते हुए पिन पॉइंट पोजिशन तकनीक को अवगत कराया । इस तकनीक ने इस बात पर मुहर लगा दी कि रेडिएशन थेरेपी से सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाएगा और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा ।
आईएमआरटी के नाम से मशहूर यह तकनीक भी आधुनिक चिकित्सा के दवारा ही उपलब्ध हो पाई है, इसमें कंप्यूटर के कंट्रोल से लीनियर ऐक्सेलरैट और उपयुक्तरेडिएशन मरीज के कैंसर पर डाले जाते हैं। इस तकनीक ने एक कदम आगे जाकर यह पक्का किया कि कैंसर के सैल्स को मारने के साथ-साथ यह सुरक्षा का ऐसा इंतज़ाम करेगी कि कैंसर के आस-पास वाले सैल्स भी प्रभावित नहीं होंगे । इस तकनीक का इस्तेमाल प्रोस्टेट कैंसर, ब्रैन कैंसर और गर्दन के कैंसर का इलाज करने में किया जाता है।
इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी, जिसे आईएमजीटी भी कहते हैं, शरीर में कैंसर की हलचल, उसके आकार की पहचान करती है और अगर कैंसर बढ़ रहा है तो उसे भी पहचान लेती है। कैंसर की पहचान करने के बाद यह उसके आकार और उसकी विकास दर के हिसाब से ही सटीक होकर अपना काम करती है, जिसकी वजह से दूसरे स्वस्थ और सामान्य कोशिकाओं को हानि नहीं पहुंच पाती । इस थेरेपी का इस्तेमाल लंग कैंसर, लिवर कैंसर और प्रोस्टेट कैंसरके लिए सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
इस थेरेपी में एक मशीन का प्रयोग किया जाता है जो मेडिकल टर्म में वाइड-बोअर सीटी सिम्युलेटर के नाम से जानी जाती है । यह मशीन ऑनकोरीडोलॉजी के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। यह डॉक्टरों का काम आसान करते हुए उन्हें कैंसर और उसके आस-पास के सैल्स का थ्री-डायमेंशनल मैप बनाने में सहायता करती है।
कैंसर से बचाव करने के लिए आधुनिक चिकित्सा की तकनीक है, जो हाई-डोज़ रेट के नाम से जानी जाती है ।कैंसर सेल्स को रेडिएशन से खत्म करने के लिए यह एक कैथेटर का उपयोग करती है, जिससे कैंसर को सीधा रेडिएशन मिलता है ।
कैंसर जैसी बीमारी पर यदि वक्त रहते ध्यान न दिया गया तो कैंसर लाइलाज बीमारी साबित होती है और फिर डॉक्टर भी बेबस हो जाते हैं । कैंसर चाहे किसी भी प्रकार का हो, उचित आहार कैंसर से लड़ने में अहम भूमिक निभात है। वो कौन से आहार हैं, जिन्हें आहार में शामिल करके कैंसर से लड़ा जा सकता है -
ब्रोकली एक ऐसी ही वनस्पति है जो कैंसर से सुरक्षित रखने की क्षमता रखती है। ब्रोकली में ग्लूकोसाइनोलेटस गुण पाया जाता है जो शरीर में सुरक्षा करने वाले एंजाइम पैदा करता है। इन एंजाइम सल्फोराफेन नामक गुण होता है, जो कैंसर के प्रभावी दोषों को शरीर से बाहर करता है ।
टमाटर में भारी मात्रा में लाइकोपीन गुण छुपा होता है और यही लाइकोपीन गुण एंडोमेटियल कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है, जिससे कैंसर शरीर में बढ़ नहीं पाता ।
अदरक
अदरक में ऐसे गुण विद्यमान हैं जो कैंसर को तोड़ने में सहायक हैं । अदरक में एंटी−ऑक्सीडेंटस के साथ-साथ ऐसे एंटी-टॉक्सीन गुण होते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को बाधित करने का काम करते हैं । अदरक प्रोस्टेट कैंसर, लंग कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, स्किन कैंसर और पेट के कैंसर में मददगार है। अदरक कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को बहुत कम कर देता है ।
हल्दी
हल्दी कितनी गुणकारी है, यह सब जानते हैं । शरीर की बाहरी चोट से लेकर शरीर के भीतर जमी हुई गंदगी को अगर साफ करना हो तो हल्दी के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है । हल्दी में करक्यूमिन रसायन पाया जाता है जो कैंसर की कोशिकाओं को सतह से खत्म करने की क्षमता रखता है और हल्दी के सेवन से कैंसर अपना दायरा नहीं बढ़ा पाता ।
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