टीबी एक ऐसी बीमारी हैं जो कि व्यक्ति को जान के जोखिम में डाल सकती है, हालाँकि बीते कई सालों के प्रयासों से न केवल भारत बल्कि अन्य कई देशों में टीबी के मामलों में भारी गिरावट आई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, सरकारी अस्पताल और विभिन्न जिलों में बने टीबी केंद्रो पर टीबी की फ्री दवाएं दे रही है।
लेकिन अब हाल ही में टीबी से जुड़े आकड़ों ने दुनिया को डरा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी किये गये टीबी से जुड़े आकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में, दुनिया भर में अनुमानतः एक करोड़ 6 लाख लोग टीबी से पीड़ित हुए जोकि वर्ष 2020 की तुलना में 4.5 प्रतिशत वृद्धि थी और टीबी से लगभग 16 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें एक लाख 87 हजार मरीज एचआईवी संक्रमण से भी ग्रसित थे।
27 अक्टूबर को जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022 के मद्देनजर, जिसमें टीबी के निदान, उपचार और बीमारी के बोझ पर कोविड -19 महामारी के प्रभाव को नोट किया गया है, भारत ने शुक्रवार को कहा कि भारत वास्तव में, देश ने अन्य की तुलना में प्रमुख मेट्रिक्स पर कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में कहा कि "वर्ष 2021 के लिए भारत की टीबी की घटना प्रति 100,000 जनसंख्या पर 210 है, 2015 के आधारभूत वर्ष की तुलना में (घटना भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर 256 थी); 18 प्रतिशत की गिरावट आई है जो वैश्विक स्तर से 7 प्रतिशत बेहतर है, औसत 11 प्रतिशत। ये आंकड़े भारत को घटनाओं की दर (सबसे बड़ी से छोटी घटनाओं की संख्या) के मामले में 36 वें स्थान पर रखते हैं”।
आपको बता दें कि टीबी यानि ट्यूबरकुलोसिस लंग्स से जुड़ी बीमारी है। जब किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या फिर आसपास फैल रहे टीबी के इंफेक्शन के कारण यह बीमारी आपको जकड़ लेती है। एक समय में टीबी महामारी की तरह सामने आई थी, लेकिन विश्व स्तर पर अलग अलग देशों के प्रयास के कारण अब यह सामान्य रोग बनकर रह गया है।
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