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वायु प्रदुषण से बढ़ता गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा | Air Pollution in Hindi

Published On: 25 Oct, 2022 4:12 PM | Updated On: 16 May, 2024 1:12 PM

वायु प्रदुषण से बढ़ता गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा | Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण में हवा में ऐसे रसायन या कण होते हैं जो मनुष्यों, जानवरों और पौधों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वायु प्रदूषण न केवल मनुष्यों, जानवरों और पौधों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा पहुंचाता हसी बल्कि यह इससे इमारतों वह अन्य निर्जीव वस्तुओं को भी नुकसान पहुंचाता है, जैसे घर के पंखे और बाहर लगे ऐसी आदि। हवा में प्रदूषक कई रूप लेते हैं, वह गैसें, ठोस कण या तरल बूंदें हो सकती हैं। 

वायु प्रदूषण के स्रोत क्या है? What are the sources of air pollution?

प्रदूषण कई अलग-अलग तरीकों से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है। अधिकांश वायु प्रदूषण कारखानों, कारों, विमानों या एयरोसोल के डिब्बे से उत्सर्जन का रूप लेते हुए लोगों द्वारा बनाया जाता है। सेकेंड हैंड सिगरेट के धुएं को वायु प्रदूषण भी माना जाता है। प्रदूषण के इन मानव निर्मित स्रोतों को मानवजनित स्रोत कहा जाता है। कुछ प्रकार के वायु प्रदूषण, जैसे जंगल की आग से निकलने वाला धुआं या ज्वालामुखियों की राख, प्राकृतिक रूप से होते हैं। इन्हें प्राकृतिक स्रोत कहा जाता है।

बड़े शहरों में वायु प्रदूषण सबसे आम है जहां कई अलग-अलग स्रोतों से उत्सर्जन केंद्रित है। कभी-कभी पहाड़ या ऊंची इमारतें वायु प्रदूषण को फैलने से रोकती हैं। यह वायु प्रदूषण अक्सर एक बादल के रूप में हवा को धुंधला बना देता है। इसे स्मॉग कहते हैं। "स्मॉग" शब्द "स्मोक" और "फॉग" शब्दों के मेल से आया है।

गरीब और विकासशील देशों के बड़े शहरों में विकसित देशों के शहरों की तुलना में अधिक वायु प्रदूषण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहर कराची, पाकिस्तान हैं; नई दिल्ली, भारत; बीजिंग चाइना; लीमा, पेरू; और काहिरा, मिस्र है। हालाँकि, कई विकसित देशों में वायु प्रदूषण की समस्याएँ भी हैं। लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, को स्मॉग सिटी का उपनाम दिया गया है।

इनडोर वायु प्रदूषण क्या है? What is indoor air pollution?

वायु प्रदूषण को आमतौर पर बड़े कारखानों से निकलने वाले धुएं या वाहनों से निकलने वाले धुएं के रूप में माना जाता है। लेकिन घर के अंदर भी वायु प्रदूषण होता है जिसे इनडोर वायु प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है। इनडोर वायु प्रदूषण भी कई प्रकार के होते हैं।

मिट्टी के तेल, लकड़ी और कोयले जैसे पदार्थों को जलाकर घर को गर्म करने से घर के अंदर की हवा दूषित हो सकती है। राख और धुएं से सांस लेना मुश्किल हो जाता है, और वे दीवारों, भोजन और कपड़ों से चिपक सकते हैं, जिसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएँ होती है। 

प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली रेडॉन गैस (radon gas), जो कैंसर पैदा करने वाली सामग्री है, घरों में भी जमा हो सकती है। रेडॉन पृथ्वी की सतह के माध्यम से छोड़ा जाता है। पेशेवरों द्वारा स्थापित सस्ते सिस्टम रेडॉन के स्तर को कम कर सकते हैं। 

इन्सुलेशन सहित कुछ निर्माण सामग्री भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। इसके अलावा, घरों और कमरों में वेंटिलेशन या हवा की आवाजाही से जहरीले सांचे फैल सकते हैं। एक घर में नम, ठंडी जगह में, जैसे कि दीवारों के बीच, मोल्ड की एक कॉलोनी मौजूद हो सकती है। मोल्ड के बीजाणु हवा में प्रवेश करते हैं और पूरे घर में फैल जाते हैं। बीजाणुओं में सांस लेने से लोग बीमार हो सकते हैं 

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है? How does air pollution affect health?

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से लोग स्वास्थ्य प्रभावों की एक विस्तृत श्रृंखला का अनुभव करते हैं। प्रभावों को अल्पकालिक प्रभावों और दीर्घकालिक प्रभावों में विभाजित किया जा सकता है।

अल्पकालिक प्रभाव (Short-term effects), जो अस्थायी होते हैं, उनमें निमोनिया या ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां शामिल हैं। इनमें नाक, गले, आंखों या त्वचा में जलन जैसी परेशानी भी शामिल है। वायु प्रदूषण से सिरदर्द, चक्कर आना और मतली भी हो सकती है। कारखानों, कचरे या सीवर सिस्टम से निकलने वाली दुर्गंध को भी वायु प्रदूषण माना जाता है। ये गंध कम गंभीर हैं लेकिन फिर भी अप्रिय हैं। 

वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव (Long-term effects) वर्षों तक या पूरे जीवनकाल तक रह सकते हैं। वे किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं। वायु प्रदूषण से दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों में हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर और श्वसन संबंधी रोग जैसे वातस्फीति (emphysema) शामिल हैं। वायु प्रदूषण लोगों की नसों, मस्तिष्क, किडनी, लीवर और अन्य अंगों को भी लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ वैज्ञानिकों को संदेह है कि वायु प्रदूषक जन्म दोष का कारण बनते हैं। दुनिया भर में हर साल करोड़ों की संख्या में लोग बाहरी या इनडोर वायु प्रदूषण के प्रभाव से मर जाते हैं। 

विभिन्न प्रकार के वायु प्रदूषण पर लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया करते हैं। छोटे बच्चे और बड़े वयस्क, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, अक्सर प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी जैसी स्थितियां और खराब हो सकती हैं। एक्सपोजर की लंबाई और मात्रा और प्रदूषकों के प्रकार भी कारक हैं। 

वायु प्रदूषण हृदय के लिए हैं गंभीर! Air pollution is serious for the heart!

वायु प्रदूषण का असर न केवल आँखों और सांस से जुड़ी समस्याओं को जन्म देता है बल्कि यह हृदय संबंधित समस्याओं को भी बढ़ाता है। जब हम दूषित वायु में सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद प्रदूषण के कण यानि पार्टिकल्स फेफड़ों और हृदय में पहुंचने वाले रक्तप्रवाह में गहराई तक जा सकते हैं, जिसकी वजह से रक्त प्रवाह प्रणाली (blood flow system) बाधित होती है। जब ऐसा लंबे समय तक होता है तो सांस से जुड़ी समस्याएँ, रक्तचाप और अन्य सामान्य से लेकर गंभीर हृदय समस्याएँ होनी शुरू हो जाती है। 

वायु प्रदुषण रक्त वाहिकाओं को संकरा और हार्ड बना सकता है जिससे शरीर में रक्त प्रवाह प्रभावित हो सकता है। जब शरीर में ऐसी स्थिति होती है तो खून के थक्के (Blood Clot) बनने की आशंका सबसे ज्यादा बनी रहती है। खून के थक्कों की वजह से दिल ठीक से शरीर के अन्य हिस्सों में सही मात्रा में रक्त प्रवाह नहीं कर पाता, जिसके चलते दिल को सामान्य से तेजी से रक्त को पंप करना पड़ता है जिसके चलते रक्तचाप यानि ब्लड प्रैशर बढ़ने लगता है। इस क्रिया की वजह से दिल की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ने लगता है।

इससे हृदय की विद्युत प्रणाली (electrical system) प्रभावित हो सकती है जो दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है।  जब ऐसा होता है हृदय अतालाता (heart arrhythmia) की समस्या होने लगती है जो कि अन्य समस्याओं को न्योता देता है। इन सभी स्थितियों के चकते शरीर में हार्ट रेट बिगड़ने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। यही वजह है कि यह सभी कारण कहीं न कहीं हार्ट फेल्योर (heart failure) के खतरे को बढ़ाते हैं। जिन लोगों को दिल की समस्या है उन्हें लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। 

वायु प्रदूषण से बचाव कैसे करें? How to prevent air pollution? 

बढ़ते वायु प्रदूषण खासकर ठण्ड के मौसम और त्योहारी मौसम में अपना बचाव करने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं, जिसमें सबसे खास है वायु प्रदूषण फ़ैलाने से खुद को रोके। वायु प्रदूषण से बचाव का यह सबसे खास उपाय है जो कि न केवल आपको बल्कि आपके अपनों को भी सुरक्षित रखेगा। इसके लिए आप पटाखों के प्रयोग से बचें, ई-वाहनों का प्रयोग करें, लकड़ी के चूल्हों का प्रयोग बिलकुल न करें या कम करें, जैसे उपाय अपना सकते हैं। 

खैर इन सभी उपाय के साथ-साथ आप निम्नलिखित उपायों से अपने स्वास्थ्य को वायु प्रदूषण से बचा सकते हैं :- 

  1. प्रदूषण मास्क पहनें

  2. एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें

  3. बाहर व्यायाम करने से बचें

  4. अनुलोम-विलोम, कपालभाति जैसे स्वांस संबंधित व्यायाम करें (घर में) 

  5. निम्न स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ होने पर अपने चिकित्सक से परामर्श लें 

  1. सांस लेने में कठिनाई (यदि आपको सांस की बीमारी है)

  2. हृदय गति में वृद्धि (यदि आपको हृदय रोग है)

  3. आंखों में जलन

  4. सिरदर्द और थकान

इन बीमारियों और स्थितियों की तीव्रता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की उम्र, लिंग और उनके द्वारा पालन की जाने वाली जीवन शैली के आधार पर भिन्न हो सकती है।

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