अश्वगंधा के अर्क में कई बायोएक्टिव कम्पाउंड होते हैं और इसी तरह एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लामेट्री और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण भी होते हैं।पौधे के अर्क और इसके बायोएक्टिव कम्पाउंड का उपयोग गठिया, नपुंसकता, भूलने की बीमारी, चिंता, कैंसर जैसी कई बीमारियों की रोकथाम और उपचार में किया जाता है।अश्वगंधा के बहुत से गुण होते है और साथ ही रोगों को ठीक करने की काबिलियत भी।
अश्वगंधा को मेन्टल हेल्थ के लिये काफी फायदेमंद माना जाता है, इसको आयुर्वेद मे मध्य रसायन कहा जाता है, जो दिमाग के इन गतिविधियों मे फायदा पहुंचाता है, जैसे-
एकाग्रता
लर्निंग
बाइपोलर डिसऑर्डर
स्ट्रेस
एन्ग्जाइटी
डिप्रेशन
नियुरल फंक्शन
मेमोरी प्रॉब्लम
अन्य ब्रैन डिसॉर्डर
अश्वगंधा इन दिमागी परेशानियों से निजात दिलाता है।अश्वगंधा ऑक्सीडेटिव तनाव के परिणामस्वरूप दिमाग को न्यूरोडीजेनेरेशन (न्यूरॉन फ़ंक्शन का नुकसान) से बचाता है।
मोटापा चाहे किसी भी वजह से हो थायरोइड, डायबिटिज या कोई स्ट्रेस-हार्मोनल कारण, अश्वगंधा मोटापे को कम करने का सबसे कारगर उपाय है। अगर आपके खून मे लम्बे समय तक स्ट्रेस के कारण कोर्टिसोल लेवल बढ़ जाता है, तो शरीर मे चर्बी जमा होने लगता है और अक्सर आपको पता नही चलता की मोटापे की वजह क्या है। इसके लिये अगर आप रोज सिमित मात्रा मे अश्वगंधा का सेवन करे।अगर मोटापे का पारिवारिक इतिहास है तो उस केस मे एक्सरसाइज के साथ अश्वगंधा का सेवन करे; आप इसे थोड़े गुनगुने दूध के साथ भी ले सकते है।
अगर आपका काम बहुत ज्यादा मेहनत वाला है या आप कोई खेल खेलते है तो आपके लिए अश्वगंधा लेना आपके शारीरिक क्षमता को बढाता है और आपको थकान भी कम होती है।इसके लिये आप प्रतिदिन 2 से 4 ग्राम अश्वगंधा का सेवन करेगे तो फायदा होगा।कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि वजन उठाने वाले लोगों के लिए अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद हो सकता है। अश्वगंधा के जड़ को "रसायन" की औषधि माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह यौवन और दीर्घायु को बढ़ाता है।
अश्वगंधा का सेवन खून मे ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। अश्वगंधा लेने से पैन्क्रियाज ऐक्टिवेट होता है जिस के करण इन्सुलिन का उत्पादन होता है, इन्सुलिन ही ब्लड शुगर लेवल को शरीर मे सही मात्रा मे बनाये रखता है।इसके कारण डायबिटिज टाइप-2 की समस्या नही होती या फिर कण्ट्रोल मे रहती है।एक अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा टाइप-2 डायबिटिज वाले लोगों में ब्लड शुगर को उतना ही कम करता है जितना कि डायबिटिज की दवा। एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा ज्यादा खुराक मे लेने वाले लोगों के ब्लड शुगर में तेजी से गिरावट आई थी।
आयुर्वेद के अनुसार, अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन को बूस्ट करता है और इसके स्तर को प्राकृतिक रूप से बढाता है । अश्वगंधा स्पर्म की क्वालिटी, क्वान्टिटी और मोटिलिटि को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है। ये आदमियों मे रीप्रोडयूस करने की क्षमता को बेहतर करता है।अश्वगंधा लेने की सबसे अच्छा फायदा यह है की ये वो सब कर सकता है जो स्टेरॉइड करता है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के, यानी ये टेस्टोस्टेरोन का ज्यादा उत्पादन प्राकृतिक रूप से करने मे मदद करता है।
अश्वगंधा को लंबे समय से एक रिजुविनेटर , एक सामान्य स्वास्थ्य टॉनिक और कई स्वास्थ्य दिक्कत के इलाज का रूप माना जाता है।कोरोना काल मे भी लोगो ने इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया अपने रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए ।
अश्वगंधा प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है, इन्फ्लामेशन का मुकाबला करता है, याददाश्त बढ़ाता है और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।अश्वगंधा को सर्दी और खांसी, अल्सर, दुर्बलता, मधुमेह, मिर्गी, अनिद्रा, लेप्रॉसी, पार्किंसंस रोग, नर्वस डिसॉर्डर, गठिया, आंतों में संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, नपुंसकता और एचआईवी में इलाज के रूप मे लिया जाता है। अश्वगंधा मे एंटी-वायरअल और इम्मूयोनो-बूस्टिंग पोटेंशियल होता है।
अश्वगंधा क पौधा त्वचा और बालों के लिए वरदान है। इसमे एंटी-एजिंग और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते है। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर मे बनने वाले फ़्री रेडीकल को नष्ट कर बढ़ती उम्र की झुर्रियों से बचाता है। यह त्वचा के जरूरी तेल को बनाकर सहायता प्रदान करता है और इसे मुलायम और नमीयुक्त रखता है। अश्वगंधा कोलेजन और इलास्टिन यौगिक को भी बढाता है जो झुर्रियाँ और महीन रेखाएँ दूर करता है।अश्वगंधा बालों को झड़ने और रुखे होने से बचाता है। मेलेनीन कम्पाउंड जो की बालों और स्किन के रंग को बनाने के लिये जिम्मेदार होता है, अश्वगंधा इसे बरकरार रखता है और बालों को सफेद होने से बचाता है।
अश्वगंधा खून मे कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराईड लेवल को कम देता है, तो जिन्हे भी हार्ट डिजिज है उनके लिये ये बहुत फायदेमंद है, ये दिल के फंक्शन को सही रख्ता है।अश्वगंधा कार्डियोवेसकुलर मांसपेशियों को मजबुत बनाने मे सहायक होता है जिसके कारण हार्ट अटैक की सम्भावना कम हो जाती है।एक स्टडी मे बताया गया है की ये खून मे फैट की मात्रा को कम रखता है, तो ज्यादा फैट के कारण दिल को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
अश्वगंधा मे कैंसर, या टयूमर जैसे घातक बिमारी को नियंत्रण मे रखने की शक्ति होती है ।पौधे के विभिन्न भागों जैसे जड़, तना और पत्तियों से अलग किए गए अलग-अलग क्म्पाऊंड में महत्वपूर्ण कैंसर-रोधी और इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग गुण पायी जाती है।
इस प्रकार कैंसर के इलाज मे कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल से होने वाले साइड इफेक्ट से भी काफी हद तक बचाती है।
तनाव, हार्मोनल असंतुलन, पोषक तत्वों की कमी और बीमारियां महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकती हैं। क्लिनिकल स्टडीइज से पता चलता है कि अश्वगंधा थायरॉयड ग्रंथि के फंक्शन में सुधार करता है जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन को कण्ट्रोल करने के लिए जिम्मेदार है। अश्वगंधा शरीर मे तनाव कम करके, हार्मोन को संतुलित कर सकता है, और महिलाओ के फेर्टीलिटी में सुधार कर सकता है।
एक महिला की जिंदगी मे जब मेनोपौजल स्टेट आता है तब कई तरह के मूड स्विंग्स, और इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते है, अश्वगंधा इन लक्षण से आराम दिलाने मे मदद कर करता है।अश्वगंधा एंडोक्रइन ग्लैंड (ग्लैंड जो हार्मोन को सीधे रक्तप्रवाह में सीक्रीट करता हैं) को उत्तेजित करता हैं और हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने में मदद करता हैं।51 मेनोपौजल महिलाओं के साथ किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जब उन्हें अश्वगंधा दिया गया था, तो हॉट फ्लसेस, मूड में उतार-चढ़ाव और चिंता जैसे लक्षणों में कमी देखी गई थी।
अश्वगंधा खून में T4 और T3 हार्मोन के स्राव को बढ़ाकर थायरॉयड ग्लैंड के फंक्शन में सुधार करता है।इस तरह ये लिपिड पेरोक्सीडेशन को कम करता है - वह प्रक्रिया जिसके द्वारा फ़्री रेडीकल सेल में लिपिड (वसा) से इलेक्ट्रॉन को निकालते हैं, जिससे सेल को नुकसान होता है।अश्वगंधा थायरॉइड ग्लैंड, दिल, त्वचा और शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान से बचाने के लिए फ़्री रेडीकल का सफाया करता है। यह शरीर को थकान, डिप्रेशन, कब्ज और मांसपेशियों में ऐंठन से राहत देता है - ये सभी हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण हैं।
इन सब फायदे के अलावा अश्वगंधा के कुछ और गुण होते है जैसे -
एडाप्टोजेन होने के कारण, यह व्यक्ति की तनाव से निपटने की क्षमता में सुधार करता है। यह लोअर लिम्ब मस्कुलर की ताकत और न्यूरो-मस्कुलर को-ओर्डिनेसन में भी सुधार करता है।
अश्वगंधा के एंटी-माइक्रोबीयल गुण और एंटी-बैक्टेरियल गतिविधियां खतरनाक बैक्टीरिया से बचाती हैं, जिसमें साल्मोनेला-एक बैक्टीरिया शामिल है जो फूड पोइसिनिंग कर सकता कर सकता है।
आंखो की रौशनी के लिये भी काफी फायदेमंद है।
टी.बी जैसी बिमारी का भी बेहतर प्राकृतिक इलाज है अश्वगंधा।
अश्वगंधा एक प्राकृतिक जड़ी बुटी है जो ज्यादतर बिमारी के ठीक होने के लिए सबसे उत्तम इलाज है।अश्वगंधा को वैज्ञानिक तौर पर भी असरदार माना गया है। आज के तनावपूर्ण जिंदगी इसका सेवन करना आपके सेहत के लिए अच्छा साबित होगा।रोज इसका कम से कमसिमित मात्रा मे एक समय स,ेवन करना आपके शरीर के फंक्शन को सही रखेगा।
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