नेजल वैक्सीन बन सकती है बूस्टर डोज, इसके बारे में सब जाने

Written By: user Mr. Ravi Nirwal
Published On: 05 Jan, 2022 11:02 AM | Updated On: 20 May, 2024 9:33 PM

नेजल वैक्सीन बन सकती है बूस्टर डोज, इसके बारे में सब जाने

नेजल वैक्सीन बन सकती है बूस्टर डोज, इसके बारे में सब जाने

इस समय कोरोना के नए वेरिएंट लगातार सामने आ रहे हैं, जिसमे फ़िलहाल ओमिक्रोन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। ओमिक्रोन दुनिया भर में काफी तेजी से बढ़ रहा है और इसकी वजह से दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाए जाने की शुरुआत भी हो चुकी है, ताकि ओमिक्रोन और कोरोना के आने वाने बाकी वेरिएंट से बचाव किया जा सके। 

फ़िलहाल भारत में सभी लोगो को कोविशील्ड या कोवैक्सीन की वैक्सीन लगाई गई है। अभी जल्द ही देश भर में कोरोना की वैक्सीन की एक-एक और खुराक बूस्टर डोज की दी जायगी। अभी लोगों को कोविशील्ड या कोवैक्सीन की वैक्सीन में से ही एक वैक्सीन बूस्टर डोज के रूप में दिए जाने की खबरे थी, लेकिन अभी नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) को बूस्टर डोज के रूप में दिए जाने की बात की जा रही है। 

भारत-बायोटेक (Bharat Biotech) की नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) पर जल्द ही अहम फैसला हो सकता है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की इसे लेकर एक बड़ी बैठक होने वाली है। बैठक में SEC इस बात पर विचार करेगी कि क्या भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर मंजूरी दी जा सकती है या नहीं। भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी मांगी है। आपको बता दें कि पहले नेजल वैक्सीन को बच्चों के लिए इस्तेमाल किये जाने की बाते चली थी, ताकि छोटे बच्चों को बिना दर्द दिए कोरोना का टीकाकरण किया जा सके। 

फ़िलहाल, भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन BBV154 को बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल किये जाने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास प्रस्ताव सौंपा है। भारत बायोटेक ने अपने प्रताव में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के 50-50 प्रतिशत लोगों पर ट्रायल के लिए मंजूरी मांगी है। मतलब नेजल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल कुल 5 हजार लोगों पर किया जाएगा। इनमें ढाई हजार कोविशील्ड और ढाई हजार ऐसे लोगों होंगे, जिन्हें कोवैक्सीन लगी है। 

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भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) के बारे में इतना पढ़ने के बाद आपके मन में इसके बारे में और भी बहुत कुछ जानने की इच्छा हो रही होगी। तो चलिए नेजल वैक्सीन के बारे में सब जानते हैं। 


नेजल वैक्सीन क्या हैं? What are Nasal Vaccines? 

अब तक भारत में केवल इंजेक्शन के जरिये कोरोना का टीकाकरण किया है, लेकिन भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) एक ऐसी वैक्सीन है जिसकी खुराक नाक के जरिये दी जायगी।  वैक्सीन सीधे श्वसन पथ में जाती है, वैक्सीन को या तो एक विशिष्ट नाक स्प्रे के माध्यम से या एरोसोल डिलीवरी के माध्यम से इंजेक्ट किया जाता है। माना जाता है कि यह तरीका बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा कारगर है और इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। 


नेजल वैक्सीन किस प्रकार काम करती है? How does the nasal vaccine work? 

कोरोना वायरस सामान्य रूप से नाक और मुह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, नाक का टीका प्रतिरक्षा प्रणाली को रक्त में और नाक में प्रोटीन बनाता है जिससे शरीर को कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करती है। अब तक हुए शोध के अनुसार इसे काम करना शुरू करने में आमतौर पर लगभग दो सप्ताह लगते हैं।


नेजल वैक्सीन कितनी प्रभावी है? How effective is the nasal vaccine?

एक प्रभावी नेजल वैक्सीन की खुराक न केवल कोविड -19 से बचाती है, बल्कि यह एक अन्य प्रकार की प्रतिरक्षा प्रदान करके रोग के प्रसार को भी रोकती है जो मुख्य रूप से उन कोशिकाओं में होती है जो नाक और गले की रेखा बनाती हैं। नाक का टीका म्यूकोसल झिल्ली (mucosal membrane) और ऊतक (tissue) में मौजूद प्रतिरक्षा कोशिकाओं को लक्षित करता है जो कि फेफड़ों और आंतों जैसे अन्य साइटों में मौजूद व्यवस्थित और साथ ही म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, एक नाक का टीका घातक संक्रमण के खिलाफ बाकी टीको से अधिक सक्षम हो सकता है और हल्के लक्षणों को भी विकसित होने से रोक सकता है। भारत बायोटेक के अनुसार, इस इंट्रानैसल वैक्सीन के प्रयोग में चूहों के अध्ययन में अभूतपूर्व स्तर की सुरक्षा दिखाई है; प्रौद्योगिकी और डेटा हाल ही में प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल सेल 'और' नेचर  “Cell' and in an editorial in 'Nature'”में एक संपादकीय में प्रकाशित किया गया है। 


नेजल वैक्सीन लगाने के क्या लाभ है? What are the benefits of having a nasal vaccine?

एक इंट्रानैसल वैक्सीन न केवल प्रशासित करने के लिए सरल होगी, बल्कि चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों जैसे सुई, सीरिंज आदि के उपयोग को कम करेगी, जिससे टीकाकरण अभियान की समग्र लागत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड प्रिसिजन वायरोलॉजिक्स में बायोलॉजिक थेरेप्यूटिक्स सेंटर के निदेशक और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर, अंतरिम सीईओ, डॉ डेविड टी क्यूरियल ने कहा, "एक नाक की खुराक के साथ प्रभावी टीकाकरण को पूरा करने की क्षमता व्यापक पहुंच और इसे आसानी से टीकाकरण किया जा सकता है।”

इसी के साथ हार्वर्ड के इम्युनोलॉजिस्ट जोस ऑर्दोवास मॉनटेन्स नेजल वैक्सीन के लाभ के बारे में और बताते हुए कहते हैं कि वायरस के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाना है तो टीका वहीं लगाना होगा जहां से वायरस शरीर में प्रवेश कर रहा है। जोस बताते हैं कि जो टीका हमें हाथ में लग रहा है वो उसमें मौजूद तत्त्वों को एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं के आसपास पहुंचाती हैं। अगर टीका सीधे नाक से दिया जाए तो नाक, श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से के साथ फेफड़ों में मजबूत इम्युनिटी बनेगी। इसके साथ ही एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं भी अपना काम करेंगी। इससे फायदा यह होगा कि वायरस जब नाक से प्रवेश करेगा तभी नाक में मौजूद प्रतिरोधक तंत्र उसे निष्क्रिय कर देगा। 

ध्यान दें, “मौजूदा जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से ली गई है।”

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Mr. Ravi Nirwal

Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.

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