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क्या है बाइपोलर पर्स्नालिटी डिसऑर्डर ?

Published On: 13 Jan, 2022 5:35 PM | Updated On: 21 Dec, 2024 6:47 PM

क्या है बाइपोलर पर्स्नालिटी डिसऑर्डर ?

personality disorder in hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर को लोग पागपल के नाम से भी जानते हैं । लोगों को लगता है जो की इस बीमारी का शिकार होता  है वह पागल है । हालांकि इसका अर्थ एक मनोरोग जरूर है । पर इसका मतलब यह नहीं है की रोगी पागल है । बाइपोलर पर्स्नालिटी डिसऑर्डर का हिन्दी में अर्थ द्विध्रुवी विकार है । यह व्यक्ति के व्यक्तिव से जुड़ा हुआ विकार होता है । व्यक्तित्व को अङ्ग्रेज़ी में पर्स्नालिटी  कहा जाता है । लोग इस रोग को लेकर कई बरं पाले हुए हैं । लोगों को लगता है की यह डबल पर्सनालती दिसोर्डर से संबंध रखता है जो की सच बात नहीं है 

क्या होता है बाइपोलेर पर्स्नालिटी डिसऑर्डर ? (what is bipolar disorder in Hindi )

बाइपोलर डिस्‍आर्डर एक कॉम्प्लेक्स मानसिक बीमारी है, जिसमें रोगी का मन लगातार कई महीनों या हफ्तों तक या तो बहुत उदास रहता है या फिर बहुत ज्यादा उत्साहित रहता है। यह अत्यधिक मूड स्विंग्स का कारण भी बनता है । यह एक साइक्लिक डिसऑर्डर है, जिसमें पीडि़त व्यक्ति की मनोदशा बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़‍ित व्यक्ति के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आने लगता है। ऐसा व्‍यक्ति अचानक से तनाव में आ जाता है और उसका आत्‍मविश्‍वास एकदम से चरम पर हो जाता है। जबकि दूसरे ही पल में वह एकदम शांत हो जाता है। इस बीमारी में कई बार व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता। आमतौर पर यह बीमारी नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में पाई जाती है।

बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में समझा जा सकता है।  ये दोनों समस्‍याएं दिनों से लेकर महीनों तक हो सकती हैं।  व्यक्ति का मूड बार-बार बदल सकता है, वह ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है।  इस दौरान, लोग पूरे दिन और रात में बहुत कुछ करते हैं, पर थकते नहीं हैं। रोगी का यह स्‍वभाव लंबे समय तक भी  जारी रह सकता है। रोगी व्यक्ति हाइपोमेनेक भी हो सकता है । 

क्या होते हैं इस बीमारी के लक्षण ? (Symptoms of bipolar disorder in Hindi)

इस रोग से पड़ित व्यक्ति का व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है।  बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में पागलपन और डिप्रेशन दोनों ही एक साथ हो सकते हैं।  छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ा हो जाना भी इसका एक लक्षण है। बाइपोलर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को नींद की परेशानी रहती है । बहुत ज्यादा विचार में  रहने के कारण नींद नहीं आ पाती है और अनिंद्रा की परेशानी का शिकार रहता है । 

एनर्जी में कमी होना भी बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्‍यक्ति का आम लक्षण होता है।  वह किसी कार्य को पूरा करने में परेशानी महसूस करते हैं।  इस रोग से ग्रस्‍त व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा काम में नहीं लगा पाते हैं।  
खाना न खाना भी इस बीमारी का लक्षण है।  चिड़चिड़ेपन की वजह से ऐसे रोगी खाना भी बहुत कम खाते हैं।  रोगियों को उन चीजों का दुख होता है जिनका कोई महत्व ही नहीं होता है, किसी चीज़ से लेना देना ही नहीं होता है । ।  बिना काम की चीजों पर वह अचानक दुखी हो सकते हैं। 

अक्सर खोये खोये रहना , विचार मग्न रहना , उन बातों को सोचते ही रहना जो हुई भी न हो या कोई लेना देना ही ना हो । इस तरह के विचारों पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण  भी नहीं रहता है । कोई भी बात को बार बार बोलना , जल्दी जल्दी बोलना , किसी बात को बार बार दोहराते रहना अक्सर यह भी लक्षण दिखाई पड़ता है । खुद को चोट पहुंचाना जैसे जलाना , काटना , शारीरक चोट पहुंचाना , बार बार आत्महत्या का विचार लाना । इस बीमारी से ग्रसित लोग अक्सर नशे का सहारा लेते हैं जिससे की उनको लगता है की वह डिप्रेशन तनाव से दूर है पर वह यह बात नहीं जानता है की कोई सा भी नशा इस तरह की चीजों , बीमारियों को बढ़ाता ही है कम नहीं करता है । 

क्या है इस बीमारी का इलाज़ ? (Treatment of bPD in Hindi )

थेरेपी द्विध्रुवी विकार वाले लोगों को भी इसे समझने में मदद कर सकती है और इसे संभालने के लिए कौशल विकसित कर सकती है।
मानसिक रोग के निदान के लिए, मनोचिकित्सक से संपर्क करें, जो रोगी से उनके लक्षणों के बारे में सवाल पूछेगा, जिसमें उनकी गंभीरता और अवधि शामिल है । वे व्यक्ति के परिवार के मेडिकल इतिहास के बारे में भी पूछेंगे कि उनके किसी रिश्तेदार को कोई मानसिक बीमारी है या नहीं । 

असंतुलित भोजन दिनचर्या आपके तनाव को बढ़ाती है। तनाव के ज्‍यादा बढ़ने से बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या बनती है। इसलिए स्‍वस्‍थ खान-पान को अपनी आहार दिनचर्या में शामिल करें। फास्‍ट फूड और हमेशा कुछ चबाते रहने की आदत से छुटकारा पाने की कोशिश करें।

 योगा करना , व्यायाम करना और ध्यान करना नियमित करने की आदात डालना इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज है । इसके पीछे कारण यह की यह सब करने से व्यक्ति अपने आपको और अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाता है । 
इस बीमारी में एमएचपी मानसिक स्वास्थ्य की जांच करके, फैमिली फोकस्ड थेरेपी जैसे ईसीटी द्वारा रोगी को मदद दी जाती है।  रोगी को इलेक्ट्रोकोनवल्सी थेरेपी या साइको-एजुकेशन और कुछ दवाएं, जिनमें मूड स्टेबलाइजर्स और एंटीडिपेंटेंट्स शामिल हैं, दी जाती हैं । 

क्या हो सकते हैं इस बीमारी के कारण ? 
आनुवांशिक कारण :- बाइपोलर डिसऑर्डर के बड़े कारणों में अनुवांशिक कारणों को माना जाता है।
बायोलोजिकल कारण :-मस्तिष्क में होने वाले भौतिक बदलाव बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए जिम्मेदार होते हैं। अभी तक की रिसर्च में इन बदलावों की कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं है। इसलिए इसके कारणों की खोज जारी है।
नशीले पदार्थों का सेवन :- नशीले पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन करना भी इस परेशानी का कारण हो सकता है । इसी के साथ ही बहुत ज्यादा तनाव में रहना भी इसका मुख्य कारण हो सकता है । 

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