बाइपोलर पर्सनालिटी डिसऑर्डर

Written By: user Dr. KK Aggarwal
Published On: 17 Nov, 2021 6:30 PM | Updated On: 21 Nov, 2024 3:26 PM

बाइपोलर पर्सनालिटी डिसऑर्डर

लोग बाइपोलर पर्सनालिटी डिसऑर्डर और बाइपोलर डिसऑर्डर के बीत असमंजस की स्थिति में रहते हैं क्योंकि उनके समान लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि गंभीर सोच, डिप्रेशन और उग्र व्यवहार । हालांकि, इनके लक्षण भी अलग होते हैं और इनका इलाज भी अलग-अलग होता है ।

इस मानसिक रोग में लोग अलग-अलग आत्म-छवि, मनोदशा और व्यवहार के एक निरंतर चक्र का अनुभव करते हैं । ये पैटर्न आमतौर पर ऐसे मुद्दों का कारण बनते हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन और रिश्तों को प्रभावित करते हैं और जिस तरह से वे समझते हैं और दूसरों से संबंधित हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 1.4 प्रतिशत लोगों को यह रोग है । यह रोग एक व्यक्ति के मनोदशा, ऊर्जा, विचार, गतिविधि में कार्यक्षमता को प्रभावित करता है जो महीनों तक रह सकते हैं । 

यह रोग दुनिया भर में लगभग 45 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है और दुनिया भर में विकलांगता का छठा प्रमुख कारण भी यही है । संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल एपिडेमियोलॉजिकल कैचमेंट एरिया सर्वेक्षण ने सुझाव दिया है कि 0.8 प्रतिशत आबादी कम से कम एक बार इसका अनुभव करती है । एक दूसरे यूएस नेशनल कोमर्बिडिटी सर्वे और हालिया विश्लेषण में पाया गया कि दुनियाभर के 10 प्रतिशत से अधिक लोग इसकी चपेट में रहते ही हैं ।


क्या है यह रोग ?  

यह एक प्रकार का व्यक्तित्व रोग है जो बिना किसी परिस्थिति के व्यक्ति को दूसरे लोगों की तुलना में महसूस करने, सोचने और व्यवहार करने का कारण बनता है जबकि बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मूड आधारित रोग है, जिसमें पल-पल में मूड में गंभीर परिवर्तन देखे जाते हैं ।

लक्षण क्या हैं ?

इस रोग से ग्रसित होने वाले लोग अपनी आत्म-छवि, मनोदशा और व्यवहार में अस्थिरता का अनुभव करते हैं । ये लक्षण रोज़मर्रा की जिंदगी के साथ बैचेनी भरी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं । इसके लक्षण इस प्रकार हैं –
दुनिया में किसी की भूमिका और उसके काम के बारे में सोचना
बार-बार पसंद और आदत में बदलाव
चीजों को अच्छे या बुरे, दोनों तरफ से देखने की आदत
दूसरों के बारे में जल्दी से राय बदलना, जैसे किसी को एक दिन दोस्त और अगले को दुश्मन मानना ।
परिवार और दोस्तों के साथ बने न रहना ।
रिश्तों को तोड़ने की कल्पना करना और सच्चाई से बचने का प्रयास करना ।
स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले काम करना, जैसे कि काटना, जलाना या किसी दवाई का ओवरडोज कर लेना ।
लोगों पर भरोसा करने में कठिनाई ।
आत्महत्या जैसे विचार बार-बार आना ।
बैचैनी भरा या लापरवाह व्यवहार, जैसे कि असुरक्षित यौन संबंध, नशीली दवाओं का दुरुपयोग, लापरवाह ड्राइविंग और बेवजह खर्चा ।
डिप्रैशन, क्रोध, और चिंता ।
खालीपन का अहसास ।
अकेले में डरना ।

इस मानसिक रोग के साथ हर कोई इन सभी लक्षणों का अनुभव नहीं करता है । कुछ लोगों में केवल कुछ मामूली लक्षण हो सकते हैं, जबकि अन्य गंभीर और लगातार इन लक्षणों का अनुभव करते हैं । तनावपूर्ण या भावनात्मक घटनाएं बीपीडी के कुछ लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं । तनावपूर्ण या भावनात्मक घटनाएं इस रोग के कुछ लक्षणों को उठा सकती हैं । 

इलाज क्या है ?

इस मानसिक रोग के निदान के लिए, मनोचिकित्सक से संपर्क करें, जो रोगी से उनके लक्षणों के बारे में सवाल पूछेगा, जिसमें उनकी गंभीरता और अवधि शामिल है । वे व्यक्ति के परिवार के मेडिकल इतिहास के बारे में भी पूछेंगे कि उनके किसी रिश्तेदार को कोई मानसिक बीमारी है या नहीं । 

इस रोग के होने के पीछे सबसे बड़ा कारण तनाव है, इसलिए कोशिश करें कि जितना हो सके तनाव कम लें । तनाव कम करने के लिए सबसे पहले यह जानना होगा कि तनाव का क्‍या कारण है ।

यह रोग उन लोगों को जल्दी पकड़ता है जो नशीले पदार्थो का सेवन करते हैं । डिप्रेशन से छुटकारे के लिए या दिमाग को शांत रखने के लिए लोग नशा करते हैं लेकिन शायद आपको पता नहीं है कि नशीले पदार्थों जैसे कि सिगरेट या शराब आदि के सेवन से तनाव कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है ।

यदि आप नियमित योगाभ्यास और व्‍यायाम करते रहेंगे तो आपको बेहतर परिणाम मिल सकते है । रोज़ कम से कम 30 मिनट व्यायाम और 30 मिनट योग को दें । योग और व्यायाम इस बीमारी का एक उत्तम उपचार है । क्योंकि जब आप व्यायाम या योग करते हैं, तो आपका शरीर और आपकी आत्मा केंद्रित हो जाती है, जिससे तनाव कम होता है ।

अपनी डाइट पर खास ध्यान दें । बाहर का तला हुआ या असंतुलित भोजन को अपनी दिनचर्या में शामिल न करें, क्योंकि यह आपके तनाव को बढ़ाती है । तनाव के बढ़ने से ही इस रोग की संभावना बढ़ती है । भोजन का सीधा संबंध आपके मस्तिष्क से होता है, क्योंकि अगर भोजन ताज़ा और स्वादिष्ट होगा तो उसका अनुभव दिमाग करता है और आनंद महसूस करता है ।

अपनी सोच को जितना हो सके सकारात्मक रखें । नकारात्मक बातों को दिमाग में आने न दें । यदि आपके साथ कुछ नकारात्मक घटित हुआ है और आप बार-बार उसी बात को लेकर चिंतित और भयभीत हो रहे हैं तो ऐसे समय में अपने जीवन के खुशनुमा पलों को याद करें । जैसे – आपका बचपन, आपके स्कूल-कॉलेज के दिन, आपकी नौकरी, शादी या बच्चा पैदा होने की खुशी आदि ।

निष्कर्ष 
यह कोई लाइलाज रोग नहीं है, यह एक ऐसा विकार है जिसे हम खुद आमंत्रित करते हैं, कभी अपने कामों से तो कभी कुछ न करने की वजह से यह हमसे जुड़ते हैं लेकिन यदि एक सटीक और सही जीवनशैली में ढला जाए तो यह बीमारी कभी भी आपको ग्रसित या प्रभावित नहीं करेगी ।

Https://Www.Who.Int/News-Room/Fact-Sheets/Detail/Mental-Disorders

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Dr. KK Aggarwal

Recipient of Padma Shri, Vishwa Hindi Samman, National Science Communication Award and Dr B C Roy National Award, Dr Aggarwal is a physician, cardiologist, spiritual writer and motivational speaker. He was the Past President of the Indian Medical Association and President of Heart Care Foundation of India. He was also the Editor in Chief of the IJCP Group, Medtalks and eMediNexus

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