ब्रैस्ट कैंसर, लक्षण और इलाज

Published On: 20 May, 2020 9:31 AM | Updated On: 19 Nov, 2024 8:54 PM

ब्रैस्ट कैंसर, लक्षण और इलाज

कैंसर क्या है, ये कैसे होता है, इसके लक्षण क्या-क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है । यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो ब्रेस्ट कैंसर को लेकर महिलाओं के दिमाग में रहते हैं । भारत में हर 10 में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है और विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसरकी इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं की संख्या में बीते कुछ सालों के अंदर तेजी से इजाफा हुआ है । 

क्या होता है ब्रैस्ट कैंसर

स्तन शरीर का एक अहम अंग है । स्तन का कार्य अपने टिश्यू से दूध बनाना होता है । ये टिश्यू सूक्ष्म वाहिनियों द्वारा निप्पल से जुड़े होते हैं । जब ब्रेस्ट कैंसर वाहनियों में छोटे सख्त कण जमने लगते हैं या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ बनती है, तब कैंसर बढ़ने लगता है ।

ब्रेस्ट कैंसर के कारण

मासिक धर्म में परिवर्तन : इस बात का महिलाएं विशेष ध्यान रखें कि अगर मासिक धर्म या पीरियड्स में कुछ परिवर्तन देखें तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें । जैसे कि अगर 12 साल की उम्र से पहले ही मासिक धर्म शुरु हो जाएं या 30 साल की आयु के भाद गर्भवती हों या 55 की उम्र के बाद मीनोपॉज हों या फिर पीरियड्स का समय 26 दिनों से कम या 29 दिनों से ज्यादा का हो जाए ।

नशीले पदार्थों का सेवन :  शराब, सिगरेट या ड्रग्स के सेवन से भी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होता है और अब इसकी तादाद बढ़ गई है । किसी भी नशे का अत्यधिक सेवन शरीर में कैंसर को जन्म देता है ।

परिवार का इतिहास : पारिवार का इतिहास ब्रेस्ट कैंसरमें अहम कड़ी है । ब्रेस्ट कैंसर ऐसा रोग है जो पीढ़ियों तक चलता है । यदि किसी बहुत करीबी रिश्ते जैसे सगे-संबंधी में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तो ऐसे में उस परिवार में किसी महिला में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है । जांच की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि यदि किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है, तो कहीं इसके पीछे परिवार का संबंध तो नहीं है ।

परिवार में ही कोई दूसरा कैंसर : परिवार में सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं, बल्कि यदि किसी भी प्रकार का कैंसर किसी व्यक्ति को है, तो भी परिवार के लोगों को सर्तकता रखनी होगी, क्योंकि यह सारा शरीर की कोशिकाओं का खेल है और परिवारवालों की कोशिकाएं और खून मेल खा सकते हैं ।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण 
स्तन या बाहों के नीचे गांठ होना ।
स्तन के आकार में बदलाव जैसें ऊँचा, टेड़ा-मेड़ा होना ।
स्तन या फिर निप्पल का लाल रंग हो जाना ।
स्तन से खून आना ।
स्तन की त्वचा में ठोसपन हो जाना ।
स्तन या फिर निप्पल में डिंपल, जलन, लकीरें सिकुड़न होना ।
स्तन का कोई भाग दूसरे हिस्सों से अलग होना ।
स्तन के नीचे ठोसपन या सख्त अनुभव होना ।

ब्रेस्ट कैंसर कितने स्टेज का होता है ?

ब्रेस्ट कैंसर शून्य से शुरु होकर आगे की स्टेज यानी श्रेणियों में जाता है और हर स्टेज के साथ गंभीरता भी बढ़ती जाती है :

1. शून्य श्रेणी : दूध बनाने वाली कोशिकाओं में बना कैंसर सीमित रहता है और शरीर के दूसरे हिस्सों तक नहीं जाता ।
2. पहली श्रेणी  : कैंसर वाली कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ने लगती हैं और यह शरीर की बाकि हेल्दी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देती हैं । यह स्तन में मौजूद वसा वाली कोशिकाओं तक भी फैल सकते हैं ।
3. दूसरी श्रेणी : कैंसर इस श्रेणी में आकर बहुत तेजी से बढ़ना शुरु हो जाता है और शरीर के बाकि भागों में भी फैल जाता है और पूरे शरीर पर पकड़ बना लेता है ।
4. तीसरी श्रेणी : इस श्रेणी में आने तक कैंसर मानव की हड्डियों में पहुंचकर उन्हें प्रभावित करना शुरु कर देता है । इसी के साथ कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा फैल चुका होता है, जो इसके इलाज को दुर्गम बनाता है ।
5. चौथी श्रेणी : इस श्रेणी में आकर कैंसर लगभग लाइलाज हो जाता है क्योंकि चौथी श्रेणी में आते-आते कैंसर लिवर, फेफड़ों, हड्डियों और मस्तिष्क में भी पहुंच चुका होता है ।

ब्रेस्ट कैंसर का उपचार

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने के भी कईं साधन हैं, जैसे कि दूसरे कैंसर केसों में प्रयोग होते हैं, जैसे - कीमोथेरेपी, रेडिएशन, सर्जरी आदि । परंतु अगर केस हाई रिस्क वाला है तो समय-समय पर लक्षणों की जांच की जानी चाहिए और इससे कैंसर की श्रेणी का जल्द से जल्द पता लगने और बेहतर रिकवरी होने की संभावना होती है ।

सेल्फ एग्जामिनेशन यानि स्वंय की जांच है बहुत ज़रुरी 

हर महिला को अपने स्तन के आकार, रंग, ऊंचाई और उनके ठोसपन की जानकारी होनी ज़रुरी है । स्तन में किसी भी प्रकार के बदलाव दिखने जैसे त्वचा और निप्पल पर धारियां, निशान या सूजन आदि आने पर विशेष ध्यान रखें । हर महिला को खड़े होकर या फिर सीधा लेटकर अपने स्तनों परीक्षण करना चाहिए । 
महिलाओं को 40 की उम्र के बाद स्क्रीनिंग मैमोग्राम करानी अनिवार्य है । यदि कैंसर का कोई पारिवार में इतिहास हो तो ध्यान रहे कि 20-21 साल की आयु में ही हर 3 साल के अंतराल में स्तनों की जांच आवश्यक है । 
जो महिलाएं हाई रिस्क के अंदर आती हैं उन्हें तो इसपर विशेष ध्यान देते हुए साल में 1 बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करवानी ही चाहिए । अल्ट्रासाउंड भी कराया जा सकता है और अगर रिस्क बहुत अधिक है तो एमआरआई भी करवाना चाहिए ।

ब्रेस्ट कैंसर से बचने की सावधानियां 

ब्रेस्ट कैंसर से बचना आसान है और पूरी तरह सुरक्षित भी है, परंतु आपको हर घड़ी इसके लिए जागरुक रहने की आवश्यकता है और अगर आप जागरुक हैं तो इस बीमारी से निपटना या इसे टालना संभव है ।
नशीले पदार्थों का कम से कम सेवन करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं । वजन को न बढ़ने दें और नित्य व्यायाम करें । जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसरमें हाई रिस्क है, वह महिलाएं डॉक्टरी परामर्श लेकर टेमोक्सिफिन दवा का उपयोग कर सकती हैं ।
डॉक्टर से कंसल्ट करके ब्रेस्ट कैंसर की दूसरी दवा - एविस्टा रेलोक्सिफिन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है । जब केस हाथ से निकलता हुआ दिखाई देता है, तो सर्जरी और ऑपरेशन ही जान बचाने का ज़रिया होता है और ऐसे में शरीर से स्तनों को अलग कर दिया जाता है ।

डॉक्टर की सलाह है बेहद ज़रुरी 
अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें । वर्तमान में कोविड -19 के कारण डॉक्टर से संपर्क टूट रहा है, लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना है । इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें । अपनी दवाईयां, सही प्रिस्क्रिप्शन और बाकि सावधानियों का ख्याल रखें । 

निष्कर्ष 
यह सत्य है कि आज ब्रैस्ट कैंसर तेज़ी से बढ़ता एक शारीरिक रोग है । लेकिन इस रोग को टाला जा सकता है अगर सही सावधानी और परामर्श का पालन किया जाए । सबसे पहले महिलाओं को खुद लक्षणों की जांच करनी चाहिए और अगर कुछ अंतर दिख रहा है तो फौरन जांच करनी चाहिए 


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Dr. Pramod Kumar Julka

MD (Radiotherapy & Oncology), FAMS -Oncology/ Cancer Care, Practices at Max Institute of Cancer Care. Had higher training at the M.D. Anderson Hospital, Houston, Texas, under World Health Organisation fellowship & there after at the Long Beach Memorial Cancer Center, Long Beach, California. Former President - Association of Radiation Oncologists of India (Northern Chapter).

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