खसरे के संदिग्ध मामलों में वृद्धि और बच्चों में तीन मौतों की रिपोर्ट के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक बहु-विषयक टीम को मुंबई भेजा है। यह अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है कि क्या मौतें खसरे के कारण हो सकती हैं क्योंकि कभी-कभी एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन), अंधापन और निमोनिया जैसी समस्याएँ मौत का कारण बनती है जो कि काफी बार खसरे जैसा दिखाई देता है।
आपको बता दें कि तीन सदस्यीय टीम का नेतृत्व डॉ अनुभव श्रीवास्तव, उप निदेशक, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), एनसीडीसी कर रहे हैं।
इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा “हम यह भी नहीं जानते कि मौतें खसरे से हुई हैं या नहीं; राज्य सरकार ने भी इन मौतों को खसरा की श्रेणी में नहीं रखा है। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम यह निर्धारित करेगी कि क्या ये वास्तव में खसरे के मामले थे। टीम उन बच्चों के टीकाकरण की स्थिति भी देखेगी जिनकी मृत्यु हो चुकी है; खसरे से मौतें नहीं होनी चाहिए क्योंकि हमारा टीकाकरण कवरेज लगभग 100% है।“ टीम के गुरुवार शाम तक प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यदि यह वास्तव में खसरा है, तो विशेषज्ञ टीम सक्रिय मामले की खोज करेगी और अन्य हस्तक्षेपों का सुझाव देगी। टीम प्रकोप की जांच के लिए क्षेत्र का दौरा करेगी और मुंबई में खसरे के बढ़ते मामलों के प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, प्रबंधन दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल के संदर्भ में राज्य के स्वास्थ्य विभाग की सहायता करेगी।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में खसरे के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई है - 2022 में सितंबर तक खसरे के 11,156 मामले सामने आए हैं। तुलना करने के लिए, 2021 में 6,078, 2020 में 5,598 मामले और 2019 में 10,708 मामले दर्ज किए गए।
खसरा एक अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है जिसमें टीकाकरण को मामलों और मौतों को कम करने के लिए सबसे प्रभावी हस्तक्षेप माना जाता है। खसरा और रूबेला (एक अन्य समान वायरल संक्रमण) को खत्म करने के लक्ष्य के साथ, भारत ने 2017 के बाद से चरणबद्ध तरीके से 9 महीने से 15 साल की उम्र के सभी बच्चों के लिए एक बार का टीकाकरण अभियान शुरू किया, जिसमें महाराष्ट्र सहित लगभग सभी राज्यों ने टीकाकरण पूरा कर लिया है।
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