जैसे ही बारिश का मौसम आता है हम सभी लोगों का दिल करता है कि भुना हुआ भुट्टा खा लें बाकी स्वीट कॉर्न तो आज कल हमारे पास होती ही है। हम किसी न किसी रूप में भुट्टे को अपने आहार में जरूर शामिल करते हैं। यह न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह कई पौषक त्तवों से भी भरपूर होता है इसी लिए यह बीते कई सालों से हमारे आहार में शमिल है। अब हम सभी अपनी पसंद के अनुसार भुट्टा खाना तो पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी भुट्टे के बालों को अपनी डाइट में शामिल किया है? जी हाँ, हम उन्ही भुट्टे के बालों या रेशों के बारे में बात कर रहे हैं जो कि भुट्टा छिलते हुए निकलते हैं और हम अक्सर उन्हें कूड़ा समझ कर बाहर फेंक देते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि कूड़ा समझे जाने वाले वो रेशे जींगे भुट्टे के बाल, कॉर्न सिल्क या भुट्टे के रेशे के नाम जाना जाता है वह हमारी सेहत के लिए वरदान है। अगर आप नियमित रूप से उनसे बनी चाय का सेवन करते हैं तो इससे आपकी किडनी भी हमेशा के लिए स्वस्थ रह सकती है और आप कई गंभीर रोगों से भी बच सकते हैं। तो चलिए Medtalks पर लिखे इस लेख के लिए कॉर्न सिल्क, भुट्टे के बाल या भुट्टे के रेशों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आप इस बारे में पक्का सोच रहे होंगे कि जब इसे लोग कूड़ा समझ कर फेंक देते हैं तो भला इसमें पौषक तत्व भला कैसे हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, भुट्टे के रेशों में काफी पौषक तत्वों होते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। भुट्टे के बालों में निम्नलिखित पौषक तत्व पाए जाते हैं :-
विटामिन ए
विटामिन बी 2
विटामिन सी
विटामिन ई
विटामिन के
आयरन
फाइबर
कैल्शियम
पोटेशियम
मिनरल्स
एंटी इंफ्लेमेटरी गुण
आपने अभी ऊपर पढ़ा कि भुट्टों के रेशों में कितने सारे पौषक तत्व मौजूद है। यही पौषक तत्व हमारे स्वास्थ्य को मजबूत बनाने और हमें कई गंभीर रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। भुट्टे के बालों से मिलने वाले फायदों को निचे वर्णित किया गया है :-
मूत्र पथ संक्रमण दूर करे -
अगर आप लगातार काफी लंबे समय से मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) या पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप इससे छुटकारा पाने के लिए भुट्टे के बालों से बनी चाय का इस्तेमाल कर सकते हैं। भुट्टों के रेशों से बनी चाय या काढ़ा आपको मूत्र पथ संक्रमण (Urinary tract infection) से बचाने में काफी मदद करती है। भुट्टे के रेशे एंटी इंफ्लेमेटरी गुण एजेंट (anti-inflammatory agent) की भांति काम करते है। यह रेशे मूत्र पथ अस्तर (urinary tract lining) को करने का काम करते हैं और पेशाब में समस्या के कारण होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते है। अगर आप भुट्टे के बालों की बनी चाय का सेवन करते हैं तो आपके ब्लैडर और urinary tract की सूजन को शांत करने में सहायता मिलती है। इससे पेशाब ज्यादा मात्रा में आता है जिससे यूरीन ट्रेक्ट में बैक्टीरिया के निर्माण के जोखिम को कम करता है। मूत्र विकार होने के कारण किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है।
मोटापा कम करे –
हम सभी इस समय में अपना वजन बिना किसी मेहनत के कम करना चाहते हैं, क्योंकि मोटापे से जूझने वाला शरीर वाला बीमारियों का घर बड़ी आसानी से बन जाता है। लेकिन मुमकिन नहीं लगता, पर भुट्टों के रेशों की मदद से ऐसा करना संभव है। अगर आप भुट्टे के बालों से बनी चाय का सेवन करते हैं तो आपके शरीर में वॉटर रिटेंशन और विषाक्तए पदार्थों की मात्रा कम होने लगती है। भुट्टे के बाल इन सब चीज़ों को शरीर से बाहर निकालता है। इस तरह वजन घटाने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा इसमें मौजूद फाइबर पेट में जमा वसा को कम करने में मदद करता है जिससे आपका बढ़ा हुआ वजन कम होने लगता हैं।
किडनी की सफाई करे -
भुट्टों से बनी चाय का सबसे बड़ा फायदा है कि इसकी मदद से किडनी की सफाई काफी अच्छे से होती है। किडनी को साफ करने के लिए आप इन रेशों को घर में छावं में सुखा लीजिये। अच्छे से सूखने के बाद आप इसे 50 ग्राम की मात्रा में लें और इसे दो गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसका सेवन करें, आप इसका स्वाद बढ़ने के लिए इसमें नींबू, नमक या हल्की सी चीनी डाल सकते हैं। आप इस पेय का सेवन महीने में एक बार या दो बार कर सकते हैं। इसका सेवन करने के बाद आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आ सकता है, जोकि सामान्य बात है। इसका सेवन करने के दौरान आप अधिक मीठा, डिब्बाबंद खाना, मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करे।
डायबिटीज से राहत दिलाए –
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो मरते दम तक व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती। वहीं व्यक्ति को इसे काबू में रखने के लिए हर समय दवाएं लेनी पड़ती है, मीठे से दूर रहना पड़ता है और इन्सुलिन के इंजेक्शन भी लेने पड़ते हैं। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि भुट्टे के रेशों से बनी चाय की मदद से ब्लड शुगर लेवल काबू किया जा सकता है? जी हाँ, भुट्टे के रेशों में इन्सुलिन को एक्टिव करने की ताक़त होती है जिससे कमजोर हो चुके इन्सुलिन ठीक से काम करने लगते हैं और फिर शुगर लेवल काबू में आने लगता है।
हाई ब्लड प्रेशर को काबू करे –
डायबिटीज की ही तरह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या एक बार हो जाए तो ठीक होने का नाम नहीं लेती, इसे काबू करने के लिए भी अपने खान-पान में काफी बदलाव करने की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप सप्ताह में दो बार भुट्टे के बालों से बनी चाय का सेवन करते हैं तो इससे आपके हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में काफी राहत मिल सकती है। दरअसल, जब आप इस चाय या काढ़े का सेवन करते हैं तो इससे आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आता है और इसकी वजह से ब्लड में मौजूद सोडियम और अन्य अपशिष्ट उत्पाद जिनकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई होने की समस्या हो सकती है वह सब पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकल जाते हैं, नतीजतन ब्लड प्रेशर काबू में आने लगता है।
किडनी की पथरी से राहत दिलाए –
किडनी में पथरी होने पर इससे होने वाला दर्द इस समस्या को काफी गंभीर बनाता है। जब किडनी में छोटे क्रिस्टलाइज्ड के जमा होने लग जाते हैं तब किडनी में पथरी बन जाती है, जो दर्द और परेशानियों का कारण बन सकते हैं। किडनी में पथरी को रोकने के लिए प्राचीन दिनों से भुट्टे के बाल का उपयोग किया जाता है। भुट्टे के बालों से बनी चाय के सेवन से आपकी किडनी में जमा हुए टॉक्सिन्स और नाइट्रेट निकल जाते हैं, जिससे किडनी में पथरी बनने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा भुट्टे के बाल के उपयोग से मूत्र प्रवाह में वृद्धि हो सकती है।
सूजन में राहत दिलाएं –
भुट्टे को विरोधी भड़काऊ एजेंट (anti-inflammatory) गुणों के लिए जाना जाता है। पारंपरिक चिकित्सा अनुयायियों का मानना है कि इसका उपयोग gout और arthritis जैसे सूजन संबंधी बीमारियों के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है। कॉर्न सिल्क का मूत्रवर्धक गुण शरीर के जोड़ों में अतिरिक्त यूरिक एसिड गठन को रोकता है।
आपने अभी ऊपर जाना कि भुट्टे से बनी चाय से हमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं। चलिए अब जानते हैं कि इस चाय या काढ़े को पीते हुए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे हमें केवल फायदा ही मिले कोई नुकसान न हो। इसके सेवन के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चहिये –
भुट्टे के रेशों से बनी चाय का सेवन करते हुए इस बात को ध्यान में रखें कि यह कोई साधारण चाय या शर्बत नहीं है, बल्कि यह एक दवा है तो इसका प्रयोग हमेशा दवा के रूप में ही करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से जितना हो सके बचना चाहिए, यह गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं मानी जाती। इसका सेवन करने से गर्भाशय उत्तेजित होने लगता है जिसके कारण गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है।
अगर आप अपने शिशु को स्तनपान करवाती हैं तो आपको इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। क्योंकि इसकी वजह से स्तन में दूध बनने की मात्रा कम हो सकती है और बच्चे को सर्दी जुखाम की समस्या भी हो सकती है।
इसका सेवन करने के बाद आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आ सकता है, जो कि सामान्य बात है। ज्यादा पेशाब आने की वजह से शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए आप सही मात्रा में पानी पीते रहें।
यह काढ़ा आपके शरीर को अंदर से साफ़ करता है, इसलिए जरूरी है कि आप इसके सेवन के दौरान सात्विक रहें। आप अधिक मीठा न लें, डिब्बाबंद खाना, मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करें।
भुट्टे के बालों से चाय बनाने के लिए आपको सबसे पहले चाहिए भुट्टे के रेशे यानि भुट्टे के बाल जो कि आप भुट्टे को छीलकर भी निकाल सकते हैं। अगर आपको ताज़ा नहीं मिल रहे हैं तो आप बाज़ार से सूखें हुए भुट्टे के बाल भी ले सकते हैं। यह सूखे हो या ताजा इनके पौषक तत्व कभी कम नहीं होते। आप चाहे तो घर पर भी भुट्टे के बालों को सुखा कर बाद के लिए भी रख सकते हैं, बस ध्यान रहें आप इन्हें सीधे धुप में न सुखाएं।
चलिए अब बनाते हैं भुट्टे के बालों की चाय :-
सबसे पहले आप एक बड़ा गिलास पानी लें और उसे चाय के बर्तन में डाल दें।
अब पानी में करीब 10 ग्राम तक भुट्टे के बाल डालें और इन्हें तब तक उबलने दें, जब तक पानी आधा न रह जाए।
जब पानी आधा रह जाए तो आप इसे छान लें और इसमें कुछ बूंद शहद या सेंधा नमक डालकर इसे गर्म गर्म पियें।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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