भोजन विकार या ईंटिग डिस्आर्डर की समस्या महिला व पुरुष दोनों को किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन यह विकार सबसे ज्यादा कम उम्र के व्यक्तियों को अधिक होता है। इस विकार में व्यक्ति भोजन से संबंधित और अपने शरीर के अनुसार जैसे वजन का कम होना या शरीर के आकार के बारे में अधिक चिंता करता है और भोजन अधिक मात्रा में खाने लगता है या व्यक्ति भोजन बहुत कम करता है। जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में मृत्यु का जोखिम अधिक हो जाता है।
भोजन विकार के अनेक लक्ष्ण है जिससे इस विकार को आसानी से पहचाना जा सकता है और समय रहते ही डॉक्टर की सलाह पर उपचार भी किया जा सकता है। भोजन विकार के सभी लक्ष्ण निम्नलिखित है।
1. अधिक भोजन करने व भोजन ना करने के कारण व्यक्ति के शरीर का वजन बहुत अधिक या बहुत कम हो जाता है।
2. इस विकार के कारण व्यक्ति को थकान महसूस करना, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना आदि समस्या होने लगती है।
3. व्यक्ति अपने शरीर के आकार और वजन के बारे में अधिक सोचता है।
भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर के कई प्रकार होते है। भोजन विकार की समस्या व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है। यह सभी भोजन विकार के प्रकार निम्नलिखित है।
1.अधिक भोजन करने का विकार
जब व्यक्ति भोजन को अधिक खाने लगता है और भोजन के प्रति काबू नहीं रहता है तब व्यक्ति को अधिक भोजन का विकार या ईटिंग डिस्आर्डर होने लगता है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति भूख ना होने पर भी अधिक भोजन कर लेते है जिसके बाद उन्हें बेचैनी, जी मचलना जैसे सम्बन्धित परेशानी होने लगती है।
2.बुलमिया विकार
बुलमिया विकार से ग्रसित व्यक्ति कम समय के अंतराल में अधिक भोजन करने लगता है या बार बार अधिक भोजन करना लगता है। इसके कारण व्यक्ति के जीवन में जोखिम या हानिकारक स्तिथि उत्पन होने लगती है।
3.एनोरेक्सिया विकार
इस विकार से ग्रसित व्यक्ति भोजन कम करता है या वजन कम करने के लिए कई बार भूखा भी रहता है। जिसके कारण मृत्यु होने की संभावना बढ़ने लगती हैं। इससे ग्रसित व्यक्ति वजन कम करने के लिए गतिविधि करना, भोजन कम करना आदि का प्रयोग करते है और अपने वजन को लेकर चिंतित रहते है।
भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर के कारण | Causes of Eating Disorder in Hindi
भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर के कई जोखिम कारक व कारण है जिससे व्यक्ति इस विकार से ग्रसित हो जाता है। यह सभी भोजन विकार के कारण निम्नलिखित है।
1. आनुवंशिक कारक
आनुवंशिक कारक की वजह से व्यक्ति अधिक भोजन करने लगता है जिससे भोजन विकार के जोखिम की समस्या बढ़ने लगती हैं।
2. पारिवारिक इतिहास
जिस परिवार में इस विकार का पारिवारिक इतिहास हो तो उस परिवार के सदस्य को भोजन विकार होने की संभावना अधिक हो जाती है।
3. तनाव
जब व्यक्ति को अन्य कारणों की वजह से तनाव होने लगता है तब वह नियमित रूप से भोजन नहीं करता है जिससे भोजन विकार होने की संभावना बढ़ने लगती है या व्यक्ति को भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर हो जाता है।
4. वजन कम करने के लिए डायिटिंग करना
जब किस व्यक्ति का वजन अधिक हो जाता है तो वह वजन कम करने के लिए डायिटिंग करना शुरू कर देता है। जिसमें भोजन कम करना, किसी समय भूख रहना आदि शामिल है। इसके कारण भी भोजन विकार की संभावना बनी रहती है।
भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर से बचाव
भोजन विकार से बचने के लिए अनेक उपाय है जिससे इस विकार से बचा जा सकता है, यह सभी बचाव के उपाय निम्नलिखित है।
1. भोजन विकार से बचाव के लिए प्रत्येक दिन में भोजन नियमित रूप से करें व दिन के तीनों समय सुबह, दिन और शाम को स्वस्थ आहार लें व जरूरत या भूख से अधिक भोजन करने से बचें।
2. व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में पौष्टिक आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि को शामिल करना चाहिए जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है और वजन भी नियंत्रित रहता है।
3. व्यक्ति को जबरदस्ती भोजन करने से बचना चाहिए और समय के अनुसार ही भोजन करना चाहिए।
भोजन विकार के लिए दवाओं से ज्यादा थैरेपी अधिक मददगार साबित होती है। मनोवैज्ञानिक और डॉक्टर की सलाह पर भोजन विकार का उपचार संभव है। यह सभी उपचार निम्नलिखित है।
1. स्वस्थ आहार लेना
व्यक्ति को प्रत्येक दिन स्वस्थ आहार या भोजन करना चाहिए व प्रत्येक दिन में भोजन का नियमित समय और शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है और भोजन विकार की समस्या भी दूर होती है।
2. दवाओं का प्रयोग
भोजन विकार से ग्रसित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। डॉक्टर भोजन विकार के प्रकारों के अनुसार दवाओं की सलाह देते है जिससे भोजन विकार को नियंत्रित किया जाता है और अधिक भोजन करने के बाद होने वाली बेचैनी, जी मिचलाना को भी ठीक करता है। तनाव के कारण भोजन विकार को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा तनाव, डिप्रेशन को कम करने की दवा भी जाती है जिससे भोजन विकार की समस्या कम हो जाती है।
3. पारिवारिक थैरेपी
भोजन विकार से ग्रसित व्यक्ति या वयस्क की देखभाल करने के लिए परिवार के सदस्य की मदद ली जाती है इसे ही पारिवारिक थैरेपी या परिवार पर आधारित थैरेपी कहते है। इसमें परिवार के सदस्यों को भोजन विकार से ग्रसित व्यक्तियों का ध्यान रखने के लिए, नियमित रूप से भोजन करने, स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए कहा जाता है। इससे भोजन विकार से ग्रसित व्यक्ति की दिनचर्या में बदलाव आता है और भोजन विकार की समस्या दूर होने लगती है।
निष्कर्ष
भोजन विकार की समस्या महिला व पुरुष दोनों को प्रभावित करती है लेकिन इससे बचने के लिए अनेक उपाय भी है जैसे नियमित रूप से भोजन करना, स्वस्थ आहार लेना आदि इन सभी को जीवन शैली में शामिल करके भोजन विकार से बचा जा सकता है। यदि भोजन विकार के कारण स्तिथि गंभीर होने लगे तो डॉक्टर की सलाह पर उपचार व दवाओं का सेवन करे जिससे इस विकार को दूर किया जा सकता है।
अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल | FAQ's Eating Disorder in Hindi
1. भोजन विकार या ईटिंग डिस्आर्डर के कारण क्या समस्या होने लगती है?
भोजन विकार के कारण यदि व्यक्ति अधिक भोजन करता है तो उल्टी होना, जी मिचलाना, बेचैनी होना आदि समस्या होने लगती है और यदि व्यक्ति भोजन बहुत कम करता है तो कमजोरी महसूस करना, चिड़चिड़ापन, भूख ना लग पाना आदि समस्या होने लगती है।
2. भोजन विकार से बचने के लिए बचाव के उपाय क्या है?
भोजन विकार या ईटिंग डिसऑर्डर से बचने के लिए व्यक्ति को स्वस्थ आहार लेना, दिन में तीनों समय भोजन करना, अधिक भोजन करने से बचना और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करने से इस विकार से बचा जा सकता है।
3. क्या तनाव के कारण भी भोजन विकार या ईटिंग डिस्ऑर्डर होने की संभावना होती है?
तनाव या डिप्रेशन के कारण भोजन विकार या ईटिंग डिस्ऑर्डर हो सकता है क्यूंकि तनाव से ग्रसित व्यक्ति को भूख नहीं लग पाती है या वह तनाव के कारण के भोजन नहीं करता है जिससे भोजन विकार या ईटिंग डिसऑर्डर की संभावना बढ़ जाती है।
Recipient of Padma Shri, Vishwa Hindi Samman, National Science Communication Award and Dr B C Roy National Award, Dr Aggarwal is a physician, cardiologist, spiritual writer and motivational speaker. He was the Past President of the Indian Medical Association and President of Heart Care Foundation of India. He was also the Editor in Chief of the IJCP Group, Medtalks and eMediNexus
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