गर्दन में दर्द होने की दिक्कत भारत में बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। शरीर का संतुलन ठीक न होने के कारण गर्दन में जो मांसपेशियां होती हैं उनमें खिंचाव आ जाता है। आज कल की कार्य जीवन शैली जैसे मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर ने इस खतरे को काफी गंभीर कर दिया है ।
आजकल के दौर में ज्यादातर लोग अपना काम या फिर बिना काम के कईं घंटों तक लगातार मोबाइल औरकंप्यूटर पर झुके रहते हैं, और इस वजह से यह दिक्कत आजकल आम हो गई है ।
अगर वक्त रहते इसका इलाज न कराया जाए तो सर्वाइकल पेन हो जाता है और अगर एक बार सर्वाइकल हो गया तो यह सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता बल्किधीरे-धीरे शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित करके अपनी पकड़ में ले लेता है ।
गर्दन दर्द की समस्या को ही सर्वाइकल पेन भी कहते हैं। गर्दन से जुड़ी हुई और गुज़रकर जाने वाली सर्वाइकल स्पाइन में जब दर्द होता है तो उसे ही सर्वाइकल पेन कहते हैं । ऐसा अक्सर हड्डियों के टूटने से होता है।
आयु के बढ़ने के विपरित कईं दूसरे कारण भी होते हैं जो गर्दन दर्द की समस्या पैदा करते हैं । जैसे- गर्दन में चोट,लिगामेंट का कठोर हो जाना औरगर्दन का लंबे वक्त तक किसी असुविधाजनक स्थिति में रहना ।
अगर आपके शरीर के किसी भी भाग में विशेषकर कमर से उपर की मांसपेशोयों में आप अकड़न का अनुभव कर रहे हैं तो यह गर्दन दर्द का सुचक हो सकती है ।
कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल में यदि आप एक ही मुद्रा में रहकर लंबा समय बिता रहे हैं तो यह मांसपेशियों में खिंचाव का कारण बनता है, जिस कारण गर्दन दर्द होता है।
जब आप किसी भी तरह का पठन कार्य कर रहे हैं या कोई दूसरा कार्य कर रहे हैं तो गर्दन में दर्द पैदा होना आम बात है ।
गर्दन का दर्द आयु पर भी कईं हद तक निर्भर करता है । यदि आपकी आयु 60 या इससे अधिक हो चुकी है तो आपको गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है, इसीलिए स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहें ।
अर्थराइट्स के कारण गर्दन की हड्डियों काकमजोर या क्षतिग्रस्त होकर पीड़ा महसूस करना
किसी दुर्घटना या घाव लगने पर भी गर्दन का दर्द हो सकता है । क्योंकि चोट लगने पर मांसपेशियों में खिंचाव आना स्वभाविक है । ऐसे समय पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।
गर्दन में होने वाली पीड़ा या सर्वाइकल पेन की स्थिति अगर मामूली हैतो उसे सहजता से दूर किया जा सकता है । अगर व्यक्ति अपनी दिनचर्या को अनुशासित कर ले और जीवनशैली में बदलाव ले आए तोगर्दन के दर्द से छुटकारा मिल सकता है । परंतु यदि मामला गंभीर है तो फौरन किसी आर्थोपेडिक सर्जन से संपर्क करें ।
आजकल तकनीक के चलते चिकित्सा बहुत आगे निकल गई है । एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन द्वारा बढ़ी सहजता से दर्द के कारण का पता लगाया जा सकता है और सही दवाईयों और परामर्श के द्वारा दर्द को ठीक भी किया जा सकता है ।
कभी-कभी गर्दन में दर्द सूजन का रुप ले लेता है और मांसपेशियां अकड़ जाती हैं । ऐसे में इसे कम करने हेतु कुछ दवाइयां दी जाती हैं । यहां तक कि कभी – कभी पीड़ा हरने के लिए स्टेरॉइड भी देना पड़ता है।
व्यायाम, एक्सरसाइज़ या फिजिकल थेरेपी, यह वह दवा है जो गर्दन के दर्द में सबसे असरकारक काम करती है और इसे मुक्ति भी दिलाती है । सर्वाइकल पेन में भी एक्सरसाइज़ करके बहुत आराम मिलता है ।
आप चाहे कोई भी काम करें, किसी भी अवस्था में बहुत अधिक समय तक वक्त न बिताएं । कहने का तात्पर्य यह है कि आप अगर सीधे बैठे हैं तो घंटों तक वैसे बैठे न रहें, थोड़ा ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं हो लें।
अपने शरीर पर पूरा ध्यान दें, नित्य व्यायाम करने जाएं । दौडें, लेटें, स्ट्रेचिंग करें, योगा करें और वह व्यायाम विशेष तौर पर करें जो आपको गर्दन के दर्द में आराम दे ।
एक बात हमेशा याद रहे कि कभी भी मोबाइल पर बात करने के लिए अपने कंधों और गर्दन का सहारा न लें । यह गर्दन दर्द होने का प्रमुख कारण हो सकता है । चाहे कितना भी ज़रुरी फोन हो, जब आप उसे उठाने में समर्थ और सहज महसूस करें तभी फोन को उठाएं ।
मानव शरीर में हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत उपयोगी होता है और हड्डियों को स्वस्थ रखने में विटामिन और कैल्शियम का अहम योगदान होता है, इसीलिए ऐसा भोजन करें जिसमें विटामिन और कैल्शियम की मात्रा अत्यधिक हो । याद रखिए यह आपको भविष्य में गर्दन में होने वाले तमाम रोगों से बचाएगी ।
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