हमारी आँखे हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होता है जो कि हल्की सी भी समस्या के होने पर कई गंभीर रोगों की चपेट में आ सकती है और उम्र भर तक की परेशानियाँ हो सकती हैं। फिर भी लोग आँखों का इतना ध्यान नहीं रखते जितना कि की देना चाहिए। आँखों से जुड़ी वैसे तो कई समस्याएँ होती है जो कि सामान्य से लेकर अति गंभीर तक हो सकती है। ऐसी ही एक आँखों से जुड़ी समस्या है जिसे काला मोतिया या ग्लुकोमिया या काला मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है।
कुछ स्वास्थ्य संस्थानों और सरकारी आकड़ों के अनुमान के अनुसार भारत में 40 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1 करोड़ या उससे अधिक लोग काला मोतिया से पीड़ित हैं। अगर ठीक समय रहते उचित उपचार न मिले तो इन लोगों की आँखों की रौशनी भी जा सकती है। इसके होने का सबसे बड़ा कारण है इस संबंध में कम जानकारी। काला मोतिया न केवल अपने आप में एक बीमारी है बल्कि लोग इसे एक कलंक के रूप में भी देखते हैं जो कि काफी असंवेदनशील है। इस लेख के माध्यम से हम आपको ग्लूकोमा यानि काला मोतिया के बारे में जानकारी देंगे और जानेंगे कि यह कोई कलंक नहीं बल्कि एक नेत्र रोग है।
हमारी आँखों की बनावट एक गुब्बारे की तरह होती है और इसके भीतर एक खास तरह का तरल पदार्थ भरा हुआ होता है। आँखों के अंदर का यह तरल पदार्थ हमेशा आँखों के भीतर बनता रहता है और बाहर निकलता रहता है। आँखों में बनने वाला यह तरल पदार्थ आँखों में नमी बनाए रखता है आँखों को सूखने से बचाता है, जिसकी वजह से आप सूखी आँखों की समस्या से बचे रहते हैं।
लेकिन जब किसी कारण के चलते आँखों के भीतर इस तरल के उत्पादन में और बाहर निकलने की प्रक्रिया में किसी भी तरह की समस्या आनी शुरू हो जाए तो इसकी वजह से आँखों में दबाव बढ़ने लग जाता है। हमारी आँखों में ऑप्टिक नर्व होती है जो कि हर चीज़ का चित्र बनाकर दिमाग तक संकेत पहुंचाती है जिससे दिमाग को और फिर हमें इस बारे में जानकारी मिलती है कि हम क्या देख रहे हैं।
लेकिन तरल उत्पाद की कमी के कारण आँखों में पड़े दबाव के चलते ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है जिसकी वजह से आँखों की रौशनी जाने लगती है और इसी स्थिति को ग्लूकोमा या काला मोतिया और काला मोतिबिंद के नाम से जाना जाता है। अगर सही रहते इसकी जांच करवा ली जाए तो काले मोतिया से ठीक से लड़ा जा सकता है और इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है। पहले इस समस्या से 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग ही ग्रसित होते थे, लेकिन वर्तमान में बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
ग्लूकोमा यानि काला मोतिया पांच प्रकार का होता है जो कि निम्न वर्णित किया गया है :-
प्राथमिक (क्रॉनिक) या ओपन एंगल ग्लुकोमा Primary (Chronic) or Open Angle Glaucoma
ओपन-एंगल, या क्रॉनिक ग्लूकोमा या प्राथमिक काला मोतिया सबसे आम काला मोतिया है जो कि अधिकतर लोगों में पाया जाता है। बाकी काले मोतिया के मुकाबले यह सबसे गंभीर भी होता है क्योंकि इसके कोई लक्षण नज़र आते। यह काला मोतिया बहुत ही धीमी गति के साथ बढ़ता है और इससे होने वाले नुकसान इतनी धीमी गति से होते हैं कि जब तक इसके लक्षण दिखाई दें तब तक पीड़ित की आँखों को भारी क्षति हो चुकी होती है। इसमें आंखों से तरल पदार्थों को बाहर निकालने वाली नलियां ब्लॉक हो जाती हैं, जिसके कारण आंखों से तरल पदार्थ उचित मात्रा में बाहर नहीं निकल पाते, जिससे आंखों में दबाव या इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर बढ़ने लगता है।
एंगल-क्लोज़र (एक्यूट) ग्लुकोमा Angle-Closure (acute) Gaucoma
काले मोतिया के इस प्रकार में इसमें आंखों से तरल पदार्थों को निकालने वाली नलियां पूरी तरह बंद हो जाती हैं, जिससे आंखों में दबाव तेजी से बढ़ता है। काले मोतियाबिंद का यह प्रकार के आपातकालीन स्तिथि के रूप में देखा जाता है, इसलिए इसका उपचार जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए। जब आँखों में तरल का प्रवाह एकदम अवरूद्ध हो जाता है तो द्रव अधिक मात्रा में इकट्ठा हो जाता है, जिससे दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है और तेज दर्द हो सकता है। इसकी वजह से सर में गंभीर दर्द, मतली आना और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याओं का सामना भी कर सकते हैं। काले मोतिया के इस प्रकार को क्लोज़्ड एंगल ग्लुकोमा या नैरो एंगल ग्लुकोमा भी कहते हैं।
लो टेंशन या नार्मल टेंशन ग्लुकोमा Low Tension or Normal Tension Glaucoma
यह ग्लूकोमा का एक दुर्लभ रूप है जिसमें आंखों का दबाव सामान्य सीमा से अधिक नहीं होता है लेकिन फिर भी नुकसान होता है जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है। विशेषज्ञ इस स्थिति के बारे में बहुत कम जानते हैं, लेकिन यह ऑप्टिक तंत्रिका को रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण हो सकता है। ग्लूकोमा के इस प्रकार को हिंदी में सामान्य तनाव ग्लुकोमा कहा जाता है।
जन्मजात ग्लूकोमा Congenital Glaucoma
काले मोतिया का यह प्रकार जन्म से ही बच्चे को होता है। इस काले मोतिया में बच्चों की आंख के कोण में एक दोष होता है, जो सामान्य तरल को निकलने की गति को धीमा करता है या रोकता है। इसमें ऑप्टिक नर्व को नुकसान तरल पदार्थ निकालने वाली नलियों के ब्लॉक होने या किसी चिकित्सीय समस्या के कारण उनपर दबाव बढ़ने से हो सकता है।
माध्यमिक ग्लूकोमा Secondary Glaucoma
सेकेंडरी ग्लूकोमा अक्सर चोट या किसी अन्य आंख की स्थिति, जैसे मोतियाबिंद या आंखों के ट्यूमर का एक साइड इफेक्ट होता है, इसके कारण ऑप्टिक नर्व को क्षति पहुंच सकती है जो काला मोतिया का कारण बन जाती है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं भी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन सकती हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि आँखों के ऑपरेशन के कारण माध्यमिक ग्लूकोमा हो जाए। इसका उपचार इसपर निर्भर करता है कि यह ओपन एंगल ग्लुकोमा है या एंगल क्लोज़र ग्लुकोमा। यह चार प्रकार का होता है-
पिग्मेंटरी ग्लुकोमा
सुडोएक्सफोलिएटिव ग्लुकोमा
ट्रॉमेटिक ग्लुकोमा
न्योवॉस्क्युलर ग्लुकोमा
प्राथमिक ओपन-एंगल ग्लूकोमा, काले मोतियाबिंद का सबसे आम प्रकार है, लेकिन इसका कोई लक्षण नहीं होता। इसके पीछे का कारण है कि यह काला मोतिया बहुत ही धीमी गति के साथ बढ़ता है और इसके कारण इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। अगर आपको लगता है कि आपकी आँखें कमजोर होती जा रही है तो आपको इसके लिए समय-समय पर अपनी आँखों की जांच करवाएं जिससे आपको आँखों में हो रहे परिवर्तन के बारे में जानकारी मिल सके।
एक्यूट-एंगल क्लोजर ग्लूकोमा या नैरो-एंगल ग्लूकोमा होने पर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ध्यान रहें यह लक्षण अचानक से दिखाई देते हैं इसलिए इसका उपचार जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए :-
आंखों में तेज दर्द
जी मिचलाना
उल्टी करना
आपकी आंख में लाली
अचानक दृष्टि गड़बड़ी
रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले देखना
अचानक धुंधली दृष्टि
उपरोक्त बताए गये लक्षण बाकी काले मोतिया में भी दिखाई दे सकते हैं।
आपकी आंख का पिछला भाग लगातार एक स्पष्ट तरल बनाता है जिसे जलीय हास्य कहा जाता है। जैसे ही यह द्रव बनता है, यह आपकी आंख के सामने के हिस्से को भर देता है। फिर, यह आपकी आंख को आपके कॉर्निया और आईरिस में चैनलों के माध्यम से छोड़ देता है। यदि ये चैनल अवरुद्ध या आंशिक रूप से बाधित हैं, तो आपकी आंख में प्राकृतिक दबाव, जिसे अंतःकोशिकीय दबाव (IOP) कहा जाता है, बढ़ सकता है। जैसे-जैसे आपका IOP बढ़ता है, आपकी ऑप्टिक तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकती है। जैसे-जैसे आपकी नस को नुकसान पहुंचता है, आप अपनी आंखों की रोशनी खोना शुरू कर सकते हैं।
सामान्यत अभी तक काले मोतिया होने के पीछे के सटीक कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, काला मोतिया होने के निम्नलिखित जोखिम कारक हो सकते हैं :-
उम्र बढ़ना
काला मोतिया का पारिवारिक इतिहास
हाइपरथायरॉइडिज़्म
मधुमेह
हृदय रोग
उच्च रक्तचाप की समस्या
सिकल सेल एनीमिया
माइग्रेन
निकट दृष्टिदोष
आंखों की सर्जरी
डाइलेटिंग आई ड्रॉप्स (मायड्रायटिक्स)
आपकी आंख में अवरुद्ध या प्रतिबंधित जल निकासी
दवाएं, जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
आपके ऑप्टिक तंत्रिका में खराब या कम रक्त प्रवाह
अगर आपको लगता है कि आपको काले मोतिया की समस्या हो सकती है तो इसके लिए सबसे बेहतर होगा कि आप अपनी आँखों की नियमित रूप से जांच करवाते रहें। इसके आलवा काले मोतिया की शंका होने पर डॉक्टर आपको निम्नलिखित जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं :-
नेत्रपटलदर्शन Ophthalmoscopes – इस जांच में नेत्र चिकित्सक पुतली को चौड़ा करने के लिए आंख में बूंद डालता है, फिर एक विशेष प्रकाश और आवर्धक कांच का उपयोग करके आंख के अंदर की जांच करता है।
परिधि Perimetry – डॉक्टर व्यक्ति की परिधीय (पक्ष) दृष्टि की जांच के लिए एक दृश्य क्षेत्र परीक्षण करता है। व्यक्ति सीधे आगे देखता है जबकि डॉक्टर उनकी दृष्टि के किनारे के आसपास विभिन्न स्थानों में एक प्रकाश स्थान प्रस्तुत करता है।
टोनोमेट्री Tonometry – इस जांच में डॉक्टर आपकी आंख को सुन्न करने के लिए आई ड्रॉप का उपयोग करने के बाद, डॉक्टर एक उपकरण के साथ आंख में दबाव को मापता है जो या तो कॉर्निया को छूता है या हवा के झोंके का उपयोग करता है।
गोनियोस्कोपी Gonioscopy – डॉक्टर आंखों को सुन्न करने के लिए आई ड्रॉप का उपयोग करते हैं, फिर आंखों पर एक प्रकार का कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं। लेंस में एक शीशा होता है जो यह दिखा सकता है कि परितारिका और कॉर्निया के बीच का कोण सामान्य है, बहुत चौड़ा (खुला), या बहुत संकीर्ण (बंद)।
पचीमेट्री Pachymetry – डॉक्टर कॉर्निया की मोटाई मापने के लिए आंख के सामने एक जांच करते हैं। डॉक्टर इसे ध्यान में रखते हैं जब वह सभी परिणामों का आकलन करते हैं। क्योंकि कॉर्नियल मोटाई आंखों के दबाव रीडिंग को प्रभावित कर सकती है।
काले मोतिया की पहचान होने के बाद डॉक्टर तीन तरह से इसका उपचार कर सकते हैं जो कि निम्न वर्णित है :-
आँखों में डाले जाने वाली दवाइयां – Eye Drops
एक डॉक्टर आपको निम्नलिखित प्रकार की आई ड्राप दे सकते हैं :-
कार्बोनिक एनहाइड्रेज़ इनहिबिटर
कोलीनर्जिक एजेंट
बीटा अवरोधक
नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीजर्स
आरओ किनेज अवरोधक
आई ड्राप से निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती है :-
चुभन हो सकती है
सिर दर्द
शुष्क मुँह
लालपन हो सकता है
आंखों के रंग या आंख के आसपास की त्वचा में परिवर्तन
कभी-कभी, रेटिना डिटेचमेंट या सांस लेने में कठिनाई
ऐसी समस्या होने पर तुतंत डॉक्टर से बात करें।
दवाएं :-
IOP को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई कई दवाएं उपलब्ध हैं। यह दवाएं आई ड्रॉप या गोलियों के रूप में उपलब्ध हैं, लेकिन ड्रॉप्स अधिक सामान्य हैं। आपका डॉक्टर इनमें से एक या दोनों का प्रयोग करने की सलाह दे सकते हैं।
आँखों की सर्जरी :-
यदि एक अवरुद्ध या धीमा चैनल बढ़े हुए IOP का कारण बन रहा है, तो आपका डॉक्टर तरल पदार्थ के लिए जल निकासी पथ बनाने या बढ़े हुए द्रव के लिए जिम्मेदार ऊतकों को नष्ट करने के लिए सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। कोण-बंद मोतियाबिंद के लिए उपचार अलग है। इस प्रकार का ग्लूकोमा एक चिकित्सा आपात स्थिति है और जितनी जल्दी हो सके आंखों के दबाव को कम करने के लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। आमतौर पर दवाओं का प्रयास पहले कोण को बंद करने के लिए किया जाता है, लेकिन यह असफल हो सकता है। लेज़र पेरिफेरल इरिडोटॉमी नामक एक लेज़र प्रक्रिया भी की जा सकती है। यह प्रक्रिया आपके आईरिस में छोटे छेद बनाती है जिससे द्रव की गति में वृद्धि हो सके।
किसी भी तरह का उपचार लेने से पहले डॉक्टर से उस संबंध में उचित जानकारी लें और लाभ के साथ-साथ हानियों पर भी ध्यान देना जरूरी हैं।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
Please login to comment on this article