विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हृदय रोग यानि सीवीडी (Cardiovascular disease CVD) विश्व स्तर पर मृत्यु का नंबर 1 कारण है। हृदय रोगों की वजह से साल भर में अनुमानित करोड़ों लोगों की जान चली जाती है, जिसमें पहले वृद्ध लोगों की संख्या ज्यादा होती थी, लेकिन हाल के वर्षों में युवाओं की संख्या में काफी वृधि देखने को मिली है। सीवीडी हृदय और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है जिसमें कोरोनरी धमनी रोग (coronary artery disease), वाल्वुलर हृदय रोग (valvular heart disease), कार्डियोमायोपैथी (cardiomyopathy), अतालता (arrhythmia) और दिल का दौरा (heart attack) जैसी कई स्थितियां या रोग शामिल हैं। दिल की समस्याओं वाले मरीजों में सबसे बड़ा डर यह है कि लक्षणों को जल्दी से पहचाना नहीं हो पाना, जिसकी वजह से इलाज ठीक से नहीं हो पाता।
जब एक व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है तो उस दौरान निम्नलिखित सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं :-
सीने में अचानक तेज दर्द होना
सीने का दर्द जबड़े तक पहुंच जाना
सीने में भारीपन महसूस होना
दिल की धड़कन अचानक तेज होना
सांस लेने में दिक्कत महसूस होना
अचानक बहुत ज्यादा पसीना आना
थकान, एनर्जी लॉस या बेहोशी होना
आंकड़ों के अनुसार, भारत में 60 प्रतिशत मौतों का कारण हृदय की समस्याएं है जिसमें कोरोनरी धमनी रोग (coronary artery disease) सबसे ज्यादा हैं। हृदय रोगों के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों की धमनियों में कैल्शियम का उच्च निर्माण होने की संभावना अधिक होती है। उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नियमित अंतराल पर अपनी कोरोनरी धमनी में कैल्शियम के स्तर की जांच करवाएं, ताकि धीरे-धीरे बढ़ रहे जोखिम की समय पर पहचान हो सके और आने वाले खतरे को टाला जा सके।
दिल के दौरे (heart attack) की समस्या को हमेशा वृद्ध व्यक्तियों से जुड़ा हुआ माना गया है। 40 वर्ष से कम उम्र के किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ना दुर्लभ माना जाता था। लेकिन अब हर पांच में से एक हार्ट अटैक के मरीज की उम्र 40 साल से कम है। यह परेशान करने वाला तथ्य है लेकिन 20 या 30 की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की समस्या अब आम है। वर्ष 2000-2016 के बीच, इस युवा आयु वर्ग में हर साल दिल के दौरे की दर में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। समय की मांग है इस गंभीर समस्या के जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव करने की ओर कदम उठाए जाए।
आज के दौर में कम उम्र के लोगों को भी हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा है। इसकी सबसे बड़ी वजह बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल और अत्यधिक स्ट्रेस (Stress) है। स्मोकिंग, एल्कोहल, खाने-पीने की गलत आदतें और बिल्कुल फिजिकल एक्टिविटी न करना भी हार्ट अटैक की बड़ी वजह होती हैं। बड़ी संख्या में युवा बॉडी बनाने के लिए सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, जो हार्ट के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है। इससे हार्ट अटैक और अन्य कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। अत्यधिक एक्सरसाइज और डांस से भी हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक की वजह बन सकता है।
दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय वाहिकाओं में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। इस रुकावट का एक प्रमुख कारण कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) है। आज दिल के दौरे के जोखिम वाले कारकों में खराब आहार और बिगड़ती जीवनशैली शामिल है जिसका आज युवा नेतृत्व कर रहे हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए, डॉ कपिल छत्री, एसोसिएट डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल, मोहाली, कहते हैं, “युवा वयस्क जिन्हें दिल का दौरा पड़ा है, उनके या तो मोटे होने की संभावना अधिक होती है या उनमें मधुमेह (diabetes) या रक्तचाप जैसी सहवर्ती बीमारियां होती हैं। यदि आपको मधुमेह है, तो आपको मधुमेह न होने वाले वयस्कों की तुलना में हृदय रोग से मरने की संभावना 2 से 4 गुना अधिक है। समस्या तब विकसित होती है जब आपका रक्त शर्करा इसे स्वस्थ सीमा में रखने के लिए पर्याप्त रूप से नियंत्रित नहीं होता है। उच्च रक्त शर्करा आपके रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे आपकी धमनियों में वसा के निर्माण की संभावना बढ़ जाती है और एथेरोस्क्लेरोसिस हो जाता है।
डॉ गगनदीप सिंह, आगे कहते हैं कि “हालांकि यह दुर्लभ है, विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान युवा महिलाएं इसे अनुभव कर सकती हैं, जिसे सहज कोरोनरी धमनी विच्छेदन या एससीएडी कहा जाता है। यह अक्सर दिल के दौरे के रूप में सामने आ सकता है। इसलिए कम उम्र से ही एक निवारक जीवन शैली का पालन करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि परिहार्य जोखिम कारकों का प्रबंधन किया जाता है।”
पहले से मौजूद जोखिम वाले कारकों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अधिक जोखिम होता है। ऐसे में यदि आप हाल ही में कोरोना महामारी की चपेट में आए हैं तो आपका हृदय संबंधित जोखिम काफी बढ़ जाता है। पौष्टिक आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और किसी भी रोग के संबंध में निर्धारित दवाएं लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और इससे जुड़ी जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
सीवीडी में हृदय या रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली स्थितियां शामिल होती हैं। हृदय रोग बहुक्रियात्मक है जिसका अर्थ है कई कारण और तरीके जो हृदय रोग के कारण बन सकते हैं। पारिवारिक इतिहास, कॉमरेडिडिटी जैसे रक्तचाप और मधुमेह, या एक खराब जीवनशैली, धूम्रपान और शराब पीना हृदय रोग होने के संभावित कारण हैं और अब लोगों को अच्छी तरह से इस बारे में पता है, लेकिन फिर भी इस ओर लोग कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं खासकर युवा।
दिल के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कुछ खास उपाय निम्नलिखित है :-
वजन घटाने, रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन लगभग 30 मिनट तक नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल हों।
फल, सब्जियां, बीन्स, साबुत अनाज और नट्स जैसे फाइबर से भरपूर स्वस्थ भोजन खाएं और पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
धूम्रपान और शराब प्रमुख जोखिम कारक हैं और इससे बचना चाहिए।
अपने रक्त शर्करा के स्तर की समय पर जाँच करवाएँ, खासकर यदि आपके पास स्थिति का पारिवारिक इतिहास है। इससे आपको जल्द से जल्द निवारक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
हृदय स्वास्थ्य संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें और उनके द्वारा निर्धारत दवाओं और युक्तियों का पालन करें।
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