हम सभी को अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है, जिससे छुटकारा पाने के लिए हम सभी लोग तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। कब्ज एक ऐसी समस्या है जो कि ख़राब पाचन और खराब खानपान की आदतों की वजह से हो जाती है। क्योंकि पाचन से जुड़ी यह समस्या खराब आदतों से जुड़ी हुई है तो अक्सर यह समझा जाता है कि यह समस्या केवल वयस्कों और बड़े बच्चों को ही हो सकती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कब्ज की समस्या छोटे बच्चों और बहुत छोटे बच्चों को भी हो सकती है। यहाँ हमारे कहने का मतलब हैं कि कब्ज की समस्या शिशु यानि जिसकी उम्र अभी कुछ महीने ही हैं से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति तक को हो सकती है।
कब्ज की समस्या होने पर बड़े लोग और बच्चे तो बड़ी आसानी से इस बारे में बता सकते हैं और इसका उपचार ले सकते हैं। लेकिन जो बच्चे अभी बहुत छोटे हैं यानी ठीक से बोल नहीं सकते वह इस समस्या को कैसे बता सकते हैं? ऐसे में लक्षणों की पहचान कर बहुत छोटे बच्चों में कब्ज की समस्या के बारे में बड़ी आसानी से पता लगाया जा सकता है और कुछ घरेलु उपायों की मदद से इस समस्या से बड़ी आसानी से छुटकारा भी पाया जा सकता है। तो चलिए Medtalks पर लिखे इस लेख के जरिये इस विषय में विस्तार से जानते हैं।
छोटे बच्चों में कब्ज की समस्या की पहचान करने के लिए कई उपाय मौजूद है जिनकी मदद से इस संबंध में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
एक छोटे बच्चे के मल में हुए निम्नलिखित बदलावों की मदद से इस बारे में जानकारी मिल सकती है
दुर्लभ मल जो स्थिरता में नरम नहीं होते हैं।
मिट्टी की तरह मल स्थिरता।
मल के सख्त छर्रे (Hard pellets of feces)।
मल में लाल रक्त की धारियाँ
कठोर और रुखा मल
मल में परिवर्तन होने के अलावा छोटे बच्चों में कब्ज के अन्य निम्नलिखित लक्षणों की पहचान कर के भी इस बारे में पता लगाया जा सकता है :-
पेट में गैस रहना कब्ज का इलाज है।
जोर लगाकर मल त्याग करना।
हफ्ते में 3 बार से कम मल त्याग करना।
मल त्याग करते समय दर्द होने की समस्या होना।
बच्चों में बदहजमी की समस्या होना।
पैरों में लगातार दर्द होना।
बहुत कमजोरी का अहसास होना।
मल त्याग करते हुए लाल चेहरा होना।
मल त्याग करते हुए रोना।
सिर में दर्द होना।
यदि बच्चा मल त्याग करने से डरता हो कि ऐसा करने से उसे चोट पहुँचेगी, तो वह इससे बचने का प्रयास कर सकता है।
पेट में भारीपन लगना।
भूख की कमी।
बहुत छोटे बच्चों में इन लक्षणों से करें पहचान :-
पेट में भारीपन लगना।
भूख की कमी का एहसास होना।
बहुत कमजोरी का अहसास होना।
मल त्याग करते हुए लाल चेहरा होना।
मल त्याग करते हुए रोना।
जोर लगाकर मल त्याग करना।
हफ्ते में 3 बार से कम मल त्याग करना।
शिशुओं में कब्ज के लक्षण उनकी उम्र और आहार के आधार पर अलग-अलग होते हैं। एक बच्चे के ठोस भोजन खाने से पहले एक सामान्य मल त्याग बहुत नरम होना चाहिए, लगभग मूंगफली के मक्खन की स्थिरता या इससे भी बहुत ज्यादा नरम। ठोस भोजन से पहले कठोर मल त्याग शिशुओं में कब्ज का सबसे स्पष्ट संकेत है।
सबसे पहले, स्तनपान करने वाले बच्चे अक्सर मल त्याग कर सकते हैं क्योंकि स्तन का दूध पचने में आसान होता है। हालांकि, एक बार जब बच्चा 3 से 6 सप्ताह के बीच का हो जाता है, तो वह सप्ताह में केवल एक बार एक बड़ा, नरम मल पास कर सकते हैं और कभी-कभी इससे भी कम।
स्तनपान करने वाले शिशुओं की तुलना में फॉर्मूला दूध (formula milk) पीने वाले शिशुओं में मल त्याग की प्रवृत्ति अधिक होती है। अधिकांश फार्मूला खिलाए गए शिशुओं को दिन में कम से कम एक बार या हर दूसरे दिन मल त्याग करते हैं। हालांकि, कुछ फॉर्मूला दूध से पीड़ित बच्चे बिना कब्ज के मल त्याग के बीच अधिक समय तक रह सकते हैं।
एक बार जब माता-पिता बच्चे के आहार में ठोस आहार शामिल करते हैं, तो बच्चे को कब्ज का अनुभव होने की अधिक संभावना हो सकती है। यदि माता-पिता या देखभाल करने वाले अपने आहार में गाय के दूध (फॉर्मूला के अलावा) को शामिल करते हैं, तो बच्चे को कब्ज़ होने की संभावना अधिक हो सकती है।
हम सभी बड़े लोगों में कब्ज की समस्या होने के कारणों के बारे में अच्छे से जानते हैं, लेकिन शिशुओं में कब्ज होने के कारणों के बारे में नहीं जानते। बड़ों के मुकाबले छोटे बच्चों में कब्ज की समस्या होने के कारण अलग है जो कि निम्नलिखित है :-
जब छोटे बच्चे को माँ के दूध के साथ-साथ ऊपर के दूध का सेवन करवाया जाता है।
जब बच्चे को ऊपर का दूध पिलाया जाए जिसे पचा पाना बच्चे के लिए मुश्किल हो।
जब बच्चे को फ़ॉर्मूला मिल्क दिया जाए।
अगर बच्चे के आहार में लगातार या अचानक से बदलाव किया जाए तो उसकी वजह से भी बच्चे को कब्ज की समस्या हो जाती है।
अगर बच्चे के आहार में पर्याप्त फाइबर युक्त फल और सब्जियां या तरल पदार्थ नहीं हो तो भी बच्चे कब्ज को कब्ज की समस्या हो सकती है।
जब बच्चा दूध भी पीता है, लेकिन उसे साथ में सूखे अन्न का सेवन करवाया जाता है।
अगर माँ स्तनपान करवाती है और वह नशीले उत्पादों का सेवन करती है तो इस वजह से भी बच्चे को कब्ज की समस्या हो सकती है।
भोजन करने के बाद तुरंत सो जाने से कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है।
अगर बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो जाए तो उसकी वजह से भी कब्ज की समस्या हो सकती है।
समय पर भोजन नहीं करने से भी कब्ज हो सकती है।
अगर बच्चा किसी रोग से जूझ रहा है और वह ऐसे में खाना पीना बंद कर दें या कम कर दें।
कुछ दवाओं की वजह से भी बच्चे को कब्ज की समस्या हो जाती है। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से बात करें।
जब बच्चे के खाने-पीने या दूध पीने के समय में बदलाव हो जाए। यह स्थिति कई कारणों की वजह से हो सकती है, जैसे – किसी लंबी यात्रा या आप व्यस्त हो।
जब बच्चे घर से बाहर स्कूल जाते हैं तो वह स्कूल में बने शौचालय को प्रयोग करने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। ऐसे में बच्चे को कब्ज की समस्या हो सकती है।
जब बच्चे को दूध के अलावा अनाज दिया जाने लगे। अन्नप्राशन संस्कार के बाद अक्सर बच्चों को यह समस्या होना शुरू हो जाती है।
शिशु को मुख्य रूप से दो प्रकार की कब्ज की समस्या हो सकती है जो कि निम्नलिखित है :-
एक्यूट कॉन्स्टिपेशन Acute Constipation – जो कब्ज की समस्या दो सप्ताह से कम समय तक रहे उसे एक्यूट कॉन्स्टिपेशन कहा जाता है।
क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन chronic constipation – जो कब्जी की समस्या दो सप्ताह से ज्यादा लंबे समय तक रहे और अक्सर होती रहे उसे क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन कहा जाता है।
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा कब्ज की समस्या से जूझ रहा है तो ऐसे में जल्द से जल्द किसी डॉक्टर से बात करनी चाहिए या कुछ घरेलु उपायों को अपना चाहिए। हमने निचे कुछ खास घरेलु उपायों के बारे में बताया है जिसकी मदद से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
सबसे जरूरी है कि अगर आप महसूस करते हैं कि आपके बच्चे ने दो दिन या इससे ज्यादा दिनों से मल त्याग नहीं किया है तो आपको जल्द से जल्द चिकित्सक से बात करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप अपने बच्चे में निम्नलिखित समस्याओं को देख रहे हैं तो भी आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से बात करनी चाहिए :-
दुर्लभ मल जो स्थिरता में नरम नहीं होते हैं।
मिट्टी की तरह मल स्थिरता।
मल के सख्त छर्रे (Hard pellets of feces)।
मल में लाल रक्त की धारियाँ।
कठोर और रुखा मल।
बच्चे के पेट के आकर में परिवर्तन।
बच्चे का ओएत कठोर महसूस होना।
बच्चा चिड़चिड़ा लगना या ज्यादा रोना।
दूध पीने या आहार लेने में आनाकानी करना।
मल त्याग करते हुए चेहरे का रंग लाल होना।
इलाज के लिए कदम उठाने के बाद भी बच्चे के कब्ज में कोई सुधार नहीं होता है
अगर आपका बच्चा कब्ज की समस्या से जूझ रहा है तो आप निम्न वर्णित कुछ घरेलु उपायों की मदद से इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
एक्सरसाइज करवाएं –
अगर शिशु को कब्ज की समस्या है तो ऐसे में आप शिशु के पैरों को हल्के से हिलाएं। आप उसके पैरों को साइकिल के मोशन में भी चला सकते हैं। कब्ज से राहत पाने का यह सबसे आसान तरीका है। आप इस तरीके को ज्यादा समय के लिए इस्तेमाल न करें।
फाइबर युक्त आहार दें –
अगर आपका बच्चा खाना लेता हैं तो ऐसे में आपको अपने बच्चे को फाइबर युक्त आहार देना चाहिए, जिससे उन्हें कब्ज की समस्या में आराम मिल जायगा। ऐसे में आप बच्चे को सेब दे सकते हैं। सेब में मौजूद घुलनशील फाइबर यानी पेक्टिन कब्ज के इलाज में लाभकारी होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को दे सकती हैं। दिन में दूध की बोतल में एक बार सेब का रस पिलाने से कब्ज ठीक हो जाता है।
हाइड्रेशन –
युवा शिशुओं को आमतौर पर पूरक तरल पदार्थों की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि वह स्तन के दूध या फॉर्मूला से अपना जलयोजन प्राप्त करते हैं। हालांकि, कब्ज वाले शिशुओं को अतिरिक्त तरल की थोड़ी मात्रा से लाभ हो सकता है। बाल रोग विशेषज्ञ कभी-कभी बच्चे के आहार में थोड़ी मात्रा में पानी या, कभी-कभी, फलों के रस को जोड़ने की सलाह देते हैं, जब वे 2-4 महीने से अधिक उम्र के होते हैं और उन्हें कब्ज होता है।
एक गर्म स्नान –
एक बच्चे को गर्म पानी से नहलाने से उसके पेट की मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और उसे तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। यह कब्ज से संबंधित कुछ परेशानी को भी दूर कर सकता है।
शुद्ध भोजन का प्रयोग करें –
यदि आपका बच्चा छह महीने से अधिक का है और उसने अभी तक ठोस खाद्य पदार्थों में संक्रमण नहीं किया है, तो ऊपर सूचीबद्ध कुछ खाद्य पदार्थों को उनके शुद्ध रूप में आज़माएँ। ध्यान रखें कि फलों और सब्जियों में बहुत अधिक प्राकृतिक फाइबर होता है जो आपके बच्चे के मल में भारी मात्रा में वृद्धि करेगा। कुछ मल त्याग को प्रोत्साहित करने में मदद करने के लिए दूसरों की तुलना में बेहतर होते हैं।
नारियल का तेल –
कब्ज के घरेलू उपाय में नारियल तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में दो या तीन मि।ली नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्चा 6 महीने सेकम है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं। आप अपने बच्चे को नारियल का पानी भी दे सकते हैं।
दवाएं –
उपचार आमतौर पर घरेलू उपचार की मदद से ही छोटे बच्चों में कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। लेकिन, अगर बच्चे को घरेलु उपायों से आराम न मिले तो ऐसे में आपका डॉक्टर निम्नलिखित दवाएं देने की सलाह दे सकते हैं। शिशु को कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए दुर्लभ स्थिति में ही दवाएं दी जाती है। दवाओं या उपचार में शामिल है :-
रेचक Laxatives
एनिमा Enemas
सपोजिटरी Suppositories
लोगों को यह दवाएं कभी भी बच्चे को नहीं देनी चाहिए जब तक कि डॉक्टर उन्हें निर्धारित न करें।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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