हमारे जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए हमारे शरीर का स्वस्थ होना बहुत ज़रुरी है और इसकी अहमियत हमें तब पता चलती है जब शरीर का कोई भाग कमज़ोर रह जाता है या काम नहीं कर पाता । घुटनों का स्वस्थ रहना हमारे शरीर के लिए कितना ज़रुरी है, यह तभी पता चलता है जब घुटनों में दिक्कत आती है ।
दूसरे काम तो छोड़ों, रोज़मर्रा के काम करने में भी व्यक्ति असमर्थ हो जाता हैं । अगर आप ठीक से चल पा रहे हैं, दौड़ पा रहे हैं, तो उसमें आपके घुटनों का बहुत महत्व है ।चलना, दौड़ना, नृत्य करना, झुकना, साइक्लिंग करना, स्विमिंग करना, इसके अलावा हर काम करने के लिए घुटनों की आवश्यक्ता होती है ।
आप सोचिए, अगर यह सब आप न कर पाएं या करने में दर्द हो, तो जीवन कैसा होगा ?
लेकिन यदि व्यक्ति अपने जीवन में कुछ बदलाव करें, कुछ आदतें बदले और थोड़ा सजग रहे तो घुटनों के दर्द की शिकायत कभी नहीं हो सकती ।
• घुटनों को कुछ हल्के व्यायाम मजबूत बनाते हैं
प्रतिदिन व्यायाम करने से न केवल मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, बल्कि इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि भविष्य में भी घुटनों से संबंधित कोई रोग न हो । ध्यान रहे व्यायाम करने से पहले कभी भी खुद को वार्म-अप करना न भूलें ।
• वज़न का ख्याल रखें
यह बात आपको पता होनी ही चाहिए कि घुटनों से जुड़े जितने भी रोग होते हैं,उसका सबसे बढ़ा कारण वजन का बढ़ना होता है । हां, जो लोग पतले हैं और फिर भी उनके घुटने में दिक्कत है तो वो एक अलग केस हैं, लेकिन घुटने से संबंधित अधिकतर रोग वजन बढ़ने की वजह से होते हैं ।को स्वस्थ रेंज में बनाये रखना बेहद जरूरी है। अधिक वजन के होने से घुटने के दर्द के साथ टखने के मोड़, पीठ दर्द और दूसरी समस्याएं पैदा होती हैं।
• डाइट
व्यायाम, कसरत, योग, चाहे जो भी हो, जब तक खान-पान ठीक नहीं है, इन सबका कोई फायदा नहीं होने वाला । डॉक्टर हो या डाइटिशियन, आपके स्वास्थ्य के बिगड़ने पर सबसे पहले आपको डाइट संबंधी सलाह ही दी जाती है । हर तरह के पोषक वाली डाइट न सिर्फ आपके घुटनों को सुरक्षित रखता है बल्कि आपको सही वजन और संतुलित आकार देता है । बल्कि कई शारीरिक रोगों को भी दूर रखने में सहायक है। अपनी डाइट में हल्दी को शामिल करें, क्योंकि इसमें कर्क्यूमिन होता है, जो जोड़ों में दर्द नहीं होने देता ।
• आपका पॉश्चर
एक संतुलित पॉश्चर यानि मुद्रा आपके घुटनों को सुरक्षित रखती है । बार-बार झुकते हुए उठने-बैठने को इग्नोर करें । गलत पॉश्चर यानि गलत तरीके से उठने-बैठने से आपको गर्दन से लेकर घुटने तक समस्या हो सकती है । आपकी यही कोशिश होनी चाहिए कि हमेशा सीधा ही बैठें और खड़े हों । झुकने के दौरान, अपनी पीठ को झुकाने के बजाय, अपने घुटनों के जोड़ों का (स्क्वैटिंग द्वारा) उपयोग करेंऔर लेटने की मुद्रा से उठने के दौरान, हमेशा एक तरफ मुड़ेंऔर उठने के लिए अपनी बाहों का सहारा लें।
• कमज़ोर और मज़ूबत हड्डियों की पहचान करें
आपको हमेशा इस बात का ध्यान होना चाहिए कि आपके शरीर में कौन सी हड्डी और मांसपेशियां कमज़ोर हैं और कौन सी मज़बूत हैं । आपकी कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि कमजोर मासंपेशियों पर ज्यादा बोझ न डालें । दिनभर का अधिकतर काम मजबूत हड्डीयों और मांसपेशियां ही करें । हमेशा याद रखें कि जब भी किसी भारी वस्तु को पकड़ें, तो हथेली से पकड़ें ।
• ज़रुरत की चीजों को दूर न रखें
इतनी होशियारी तो आप कर ही सकते हैं । जिन वस्तुओं की आवश्यकता आपको बार-बार होती है और प्रतिदिन होती है, उन वस्तुओं को बहुत ऊंचाई या ऐसी जगह न रखें, जहां आपको उसे निकालने में दिक्कत हो और मांसपेशियों में खिंचाव आए ।उन वस्तुओं को ऐसे स्थान पर रखें, जहां न तो आपको अधिक खिंचना पड़े और न ही झुकना ।
• सही दिनचर्या बहुत ज़रुरी है
ऐसे काम जो आप रोज़ करते ही हैं, और एक बार नहीं, बार-बार करते हैं, उनके लिए आपको अपनी आदते बदलनी चाहिए । अगर आप किसी प्रकार के घुटने की पीड़ा से परेशान हैं तो आपको वज़न उठाने से परहेज करना है, जिसमें आपको बाल्टी, कपड़े, नहीं धोने हैं । इसके अलावा कपड़े डालने के लिए पंजो पर खड़ा नहीं होना है । ऐसा कोई काम न करें जिसमें गर्दन झटकना शामिल हो या किसी प्रकार का खिंचाव शामिल हो ।
अगर आप बताए गए नियमों का पालन नहीं करते हैं और लंबे समय जोड़ या मांसपेशियों पर दवाब बनाते हैं तो घुटनों की हड्डियों में क्रैक पड़ने की शुरुआत हो जाती हैऔर लास्ट स्टेज में जाकर वह लाइलाज हो जाती है ।
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