आज स्ट्रेस हमारी जिंदगी का अनचाहा हिस्सा बन गया है। स्ट्रेस हमे कितनी तरह से प्रभावित करता है ये लिस्ट बनाना भी मुश्किल है, ये जितनी असानी से आता है, उतनी असानी से जाता नहीं है। लोगों को बहुत तरह के स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है हर रोज और हम ये नहीं कह सकते की स्ट्रेस बिल्कुल खत्म किया जा सकता है क्योंकि जब तक जिंदगी रहती है कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है; हम कह सकते है की यह हमारी जिंदगी का हिस्सा है लेकिन ‘हा’ अगर हम सच मे खुद को स्ट्रेस या चिंता से आजाद करना चाहे तो ये मुश्किल भी नहीं है, हम एक बेहतर स्ट्रेस फ्री लाइफ जी सकते है, अपनी लाइफस्टाइल मे थोड़ा बदलाव के साथ।
जब भी कोई परेशानी से हमारा सामना होता है तो हम लगातार प्रॉब्लम के बारे मे ही सोच कर खुद को परेशान करते है और वही हमारी स्ट्रेस का कारण होता है, अगर उसके बजाय उसके समाधान (solution) पर ध्यान दे तो बहतेर होगा, चाहे वो उपाय सफल न भी हो। जब हम स्ट्रेसफुल स्थिति मे होते है तो कॉर्टिसॉल हार्मोन का स्त्राव होता है जो चिंता और उसे जुड़े घबराहट को बढ़ा देता है, और दिमाग के दूसरे भाग पर भी असर डालता है ।
इसलिया जब हम स्ट्रेस खत्म करने के लिए समाधान पर ध्यान देगे और उसे करने मे बिजी हो जाएगे तो स्ट्रेस का हार्मोनल इफेक्ट को कम होने की संभावना होगी और स्ट्रेस को भी काफी हद भूल जाएगे ।
जैसे - कोविड के कारण आपके बिजनेस को नुकसान हुआ तो इस पर तनाव लेने से बेहतर है की आगे आप अपने बिजनेस को कैसे ठीक कर सकते, बिजनस को अनलाइन प्रमोट कर के या कोई और तरीका पर सोचे, आइडीया एक्सक्यूट करे ।
हावर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ केरी रेसलेर कहते है, ‘’ यदि स्ट्रेस का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, तो जो चीज़े है उन्हे नियंत्रित करने पर ध्यान दें”। एक रूटीन का होना विकाश और स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।2. ईमोशनल रेग्युलेशन को स्वस्थ्य बनाए –
ईमोशनल रेग्युलेशन का मतलब भावनात्मक नियंत्रण है, जब हम स्ट्रेस मे होते है तो हमारा दिमाग उस स्ट्रेस से लड़ने का काम शुरू कर देता है। जिसमे हमारे दिमाग के पार्ट्स जैसे अमीगडाला (amygdale), प्रेफ़रोंटल कॉर्टेक्स (prefrontal cortex), और इत्यादि शामिल होते है; अमीगडाला हमारे दिमाग का एक संरचना है जो असल मे स्ट्रेस (चिंता) को डिटेक्ट करता है और HPA को सूचित करता है, और पेरिफेरल कॉर्टेक्स इंसानी दिमाग की भावनाओ से लेकर तनाव को कंट्रोल करने का काम करता है।
यदि आप बार-बार या आसानी से तनावग्रस्त होते हैं, आप पहले से अधिक अपना आपा खो देते हैं, या अनावश्यक रूप से चिंतित महसूस करते हैं, तो आपकी भावनात्मक प्रतिक्रिया पर प्रीफ्रंटल नियंत्रण (prefrontal control) कमजोर हो सकता है। उभरते हुए रिसर्च बताते हैं कि आप विशिष्ट प्रशिक्षण तकनीकों के साथ प्रीफ्रंटल नियंत्रण में सुधार करने में सक्षम हो सकते हैं जैसे –
• मेमोरी गेम – जो अक्सर हम अपने स्टूडेंट लाइफ के दौरान कॉपी मे वर्ड प्ले या सूडोको खेलते थे ।
• ब्रैन ट्रैनिंग एप – आज कल हर तरह एप अनलाइन मौजूद है; कई ब्रैन ट्रैनिंग एप भी है जिन्हे आप इस्तेमाल कर सकते है ।
• चेस – चेस भी खेल सकते है , चेस को खेलने के लिया प्रेज़न्स ऑफ माइन्ड की जरूरत होती है जो आपके दिमाग के स्ट्रेस को दूर करने मे अच्छा रोल प्ले कर सकती है।
प्रीफ़रोंटल कॉर्टेक्स को मजबूत बनाने के लिए ब्रैन को चैलिंजिंग काम देना होगा, जिसमे दिमाग का भरपूर इस्तेमाल हो लेकिन साथ ही आपको संयम और वक्त भी देना होगा। अगर गंभीर स्थिति हो तो डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते है मेडिकल ट्रीट्मन्ट के लिए ।
3. स्ट्रेस कम करने के लिए मदद से करे दोस्ती –
स्ट्रेस या चिंता के दौरान हम अक्सर अलग और अकेला रहना पसंद करते है, इसमे कुछ गलत भी नहीं है अगर हम कुछ वक्त के लिए खुद के साथ वक्त बिताना चाहे लेकिन किसी चिंता के साथ खुद मे घुटते रहना गलत है। हमे अपने सबसे करीबी रिश्ते या दोस्त से अपनी बातें शेयर करनी चाहिए, उनकी मदद लेने मे कोई हर्ज नहीं है।
लेकिन यहा उन पर भी रोशनी डालना चाहेगे जो अपनी बातें या फिक्र किसी के साथ चाह कर भी शेयर नहीं कर पाते, इस समय आप टेक्नॉलजी का मदद ले सकते है,
आज कल सबके पास फोन और इंटरनेट होता है जिसके द्वारा आप मोटीवेशन प्रोग्राम और माइंडफुलनेस अकाउंट से खुद को कनेक्ट कर सकते है और इस से सही मायने मे काफी हद तक मदद मिलती है।
इंस्टाग्राम, फेसबुक पर ऐसे कई लोग मिल जाएगे, या कोई फनी विडिओ देख सकते ये आपकी मदद करेगे।
अगर लिखने का शौक रखते है तो ये आपके लिए मददगार साबित होगा, आप अपनी बातें किसी डायरी मे लिख सकती है, इस से आपका मन हल्का होगा।
“मदद से करे दोस्ती” का मतलब खुद के मदद के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों की मदद करना भी हमे बहुत खुशी देता है, अगर हमे किसी और की मदद करने की अवसर मिले तो जरूर करना चाहिए, चाहे कोई छोटा सा ही हेल्प हो, क्योंकि इस से हमारा मन हल्का और स्ट्रेस फ्री के साथ सुकून भी देता है।
4. स्ट्रेस फ्री डाइट शामिल करे –
स्ट्रेस फ्री डाइट मे हम स्वास्थ्य और टैस्टी खाना शामिल कर सकते है। कोई भी मेंटल या फिज़िकल प्रॉब्लेम हो तो स्वास्थ्य खाना हमेशा जरूरी होता है।
स्ट्रेस्फुल स्थिति मे न सिर्फ स्वस्थ्य बल्कि टैस्टी डाइट भी मन करता, और आप ऐसा ही डाइट अपने खाना मे शामिल कर सकते है
जैसे ब्राउन ब्रेड सैंडविच, मिक्स फ्रूट जूस, दिन मे कम से कम दो फल खाना फायदेमंद होगा । तरल पदार्थ मे ग्रीन टी या कॉफी (कम मात्रा मे) पी सकते ।
5. सामाजिक संपर्क स्ट्रेस को कम करेगा –
यहा सामाजिक संपर्क का मतलब सिर्फ लोगों से मिलन-जुलना ही नहीं है बल्कि हर वो काम है जो प्रकृति से भी जुड़ा हो, क्रीऐटिवटी या आर्ट से जुड़ा हो, खेल-कूद से जुड़ा हो, यानी जो आपका स्ट्रेस दूर कम करने मे या भूलने मे आपका साथ दे।
स्ट्रेस होने का एक कारण ये भी है की हम असल दुनिया से संपर्क/इनरैक्शन को भूलते जा रहे है लेकिन हमे इसका एहसास नहीं है मतलब हर वो चीज जो हम रियल मे कर सकते है वो स्मार्टफोन या लैपटॉप के द्वारा कर रहे जैसे खेलना, इत्यादि।
आज हम सब टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रहे जो की कई मायनों मे जरूरी भी है, पर हर चीज का वक्त निर्धारित कर ले तो हम बेहतर होगा और चीजों से अच्छे से डील कर पायेगे ।
मोबाईल गेम खेलने के बजाए आउट्डोर गेम और बोर्ड गेम जैसे लूडो या कैरमबोर्ड खेले दोस्तों या परिवार के साथ।
पौधरोपन मे वक्त दे, कोशिश करे की हफ्ते मे चार बार कम से कम फूल – पौधे की देखभाल मे समय दे जो न सिर्फ उनके लिए बल्कि आपके लिए भी फायदेमंद साबित होगा ।
हमारे हर परेशानी का इलाज प्रकृति के पास है ।
हफ्ते या महीने मे एक दिन गेट – टुगेदर प्लान करे, जहा सब लोग कुकिंग, बातचीत करेंगे।
6. नींद पूरी करे –
नींद का पूरा न होना आपके स्ट्रेस को और बढ़ सकता है। अपने बॉडी क्लाक के अनुसार रात को समय पर सोये ताकि नींद पूरी हो सके, नींद पूरा न होना समान्यत दिमाग पर बुरा प्रभाव डालता है जिसके कारण हमारे दिमाग के हाई ऑर्डर फंगक्शन मे रुकावट आ सकती है ।
अगर आपको नींद आने मे परेशानी हो रही या रात मे नींद नहीं आती तो डॉक्टर से सलाह ले, गलती से भी खुद से कोई नींद की दवा न ले, ये आपके मेंटल हेल्थ पर बुरा असर दल सकती है ।
7. रोज योग या एक्सर्साइज़ करे -
हर रोज योग या एक्सर्साइज़ करना हमारे फिज़िकल और मेंटल हेल्थ दोनों ही के लिए बेहतर है । रोज कम से कम 15 से 30 मिनट एक्सर्साइज़ के लिए जरूर निकले और सुबह मे योग या एक्सर्साइज़ करने का सबसे सही समय होता है ।
स्ट्रेस का सबसे अच्छा उपाय यही है । खुली जगह पर ही योग करे ।
आप कोई भी एक्सर्साइज़ या योग कर सकते है, दिमाग को शांत रखने के लिए कपाल भारती या मेडिटेशन करना भी बहुत फायदेमंद होता है ।
ये सारे टिप्स स्ट्रेस कम या खत्म करने मे मददगार है । हमे एक बात याद रखने की जरूरत है की बिना स्ट्रेस के जिंदगी पॉसिबल नहीं है या फिर शायद अगर हमारे लाइफ मे स्ट्रेस न रहे लाइफ बोरिंग भी हो सकती है और कही न कही छोटा स्ट्रेस हमे आगे बढ़ने मे मदद करता है, लेकिन स्ट्रेस काबू मे रहे और ये हमारे ऊपर हावी न हो इसलिया ये टिप्स आपकी हेल्प करेगे स्ट्रेस को कम करने मे ।
Miss Shruti has over two years of experience in content writing. Having worked as a content writer and content marketing manager in a media house and also in an IT Company, she is an expert in lifestyle and health blogging.
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