ख़ुशी का कोई भी मौका क्यों न हो वो बिना मीठे के अधुरा ही रहता है। लेकिन आज के आधुनिक काल में भागती-दौड़ती के बीच यह मीठा कई बीमारियों की जड़ बन रहा है जिसकी शुरुआत होती है मधुमेह से। मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी बीमारी या स्थिति है जो एक बार हो जाए तो व्यक्ति के साथ उम्र भर तक रहती है। तकरीबन हम सभी लोग इस बीमारी से वाकिफ हैं, लेकिन फिर भी इसे गंभीरता से नहीं लेते। आज इस लेख के मध्याम से हम आपको मधुमेह और इसकी वजह से होने वाले गंभीर परिणामों से अवगत कराने वाले हैं तो अपने स्वास्थ्य के लिए इस लेख को अंत तक पूरा पढ़ें।
जब भी खाना खाते हैं तो वह अंदर जाकर टूटना शुरू करता हैं और इस दौरान उसमे मौजूद ग्लुगोज यानि मीठा या चीनी और शर्करा निकलना शुरू करता है। इसी दौरान दूसरी तरफ अग्न्याशय यानि पैंक्रियास इन्सुलिन (एक प्रकार का हार्मोन) छोड़ना शुरू करता है ताकि ग्लूकोज को शर्करा (ग्लुगोज) रक्त के माध्यम से पुरे शरीर में जाती है और पुरे शरीर में उर्जा का संचार कर सके जो कि वह बिना इन्सुलिन के नहीं कर सकता। लेकिन जब पैंक्रियास से इन्सुलिन उचित मात्रा में या ठीक तरह से सक्रिय इंसुलिन (Active Insulin) न निकले तो इसकी वजह से रक्त में ग्लुगोज का स्तर बढ़ने लग जाता है और फिर इसी स्थिति को मधुमेह कहा जाता है। इन्सुलिन की मात्रा कम होने और कम सक्रिय होने के अलावा अगर व्यक्ति ज्यादा मात्रा में मीठे का सेवन करता हैं तो भी मधुमेह हो सकता है, क्योंकि पैंक्रियास की मात्रा ग्लुगोज की मात्रा के अनुपात में कम हो जाती है।
भारत में अधिकांश लोगों का मत है कि मधुमेह यानि डायबिटीज केवल एक ही प्रकार का होता है और वो है वंशानुगत। लेकिन ऐसा नहीं है, मधुमेह न केवल वंशानुगत होती है बल्कि यह कुछ अन्य कारणों के चलते भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है और इसी वजह से डायबिटीज के एक से ज्यादा प्रकार है। मूलतः मधुमेह के तीन प्रकार होते हैं, लेकिन फ़िलहाल इसमें एक अन्य प्रकार को भी गिना जाने लगा है।
मधुमेह के चार प्रकार निम्नलिखित प्रकार है :-
टाइप 1 मधुमेह Type 1 Diabetes
टाइप 2 मधुमेह Type 2 Diabetes
गर्भावस्था मधुमेह Gestational Diabetes
प्री-डायबिटीज Prediabetes
टाइप 1 मधुमेह, मधुमेह का सबसे साधारण प्रकार है, यह तब होता है जब शरीर में पैंक्रियास इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती। डायबिटीज का यह प्रकार वंशानुगत है, इसलिए इसकी पहचान और इसका बचाव बचपन से ही किया जा सकता है। साधारणत, कम उम्र में होने वाले इस प्रकार के मधुमेह के उपचार में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। व्यक्ति इसे इंजेक्शन या इंसुलिन पंप के साथ कर सकते हैं। इसकी सबसे गंभीर बात यह है कि फ़िलहाल इसका कोई उपचार मौजूद नहीं है, हाँ लेकिन इसकी पहचान होने के बाद इससे कुछ परहेज, दवाओं और इन्सुलिन की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह Type 2 Diabetes – नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज (non-insulin dependent diabetes)
टाइप-2 डायबिटीज वर्तमान समय में डायबिटीज का सबसे आम प्रकार माना जाता है है। यह मुख्यतः किशोरों में पाया जाता है। डायबिटीज के इस प्रकार में पैंक्रियास पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण नहीं कर पाती, जिसकी वजह से रक्त में ग्लुगोज की मात्रा बढ़ती रहती है। इसके पीछे का मुख्य कारण है मोटापा और ज्यादा मीठा या ऐसा खाना लेना जिससे शरीर में ग्लुगोज की मात्रा बढ़े या मोटापा बढ़े। मधुमेह का यह प्रकार भी कई जोखिमों को बढ़ा सकता है, लेकिन इसे आहार में और जीवनचर्या में बदलाव करके बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
गर्भावधि मधुमेह या गर्भावस्थाजन्य मधुमेह Gestational Diabetes
गर्भावस्था के दौरान एक महिला को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं जिसमे से एक है गर्भावधि मधुमेह या गर्भावस्थाजन्य मधुमेह। मधुमेह का यह प्रकार केवल गर्भवती महिलाओं को होता है और ऐसा तब होता है जब महिला का इन्सुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं होती। ऐसा कई कारणों के चलते हो सकता है, जैसे चिंता, ज्यादा मीठा खाना, कम सक्रिय होना, एक जगह बैठे रहना, दवाओं का सेवन आदि। मधुमेह का यह प्रकार महिला के साथ-साथ उसके होने वाले बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन समय पर उचित उपचार से कुछ ही दिनों में इससे छुटकारा पा लिया जाता है। हाँ, लेकिन कुछ मामलों में उम्र के बढ़ने के साथ माँ या बच्चे को बाद में टाइप 2 मधुमेह होने की आशंका बनी रहती है। कई मामलों में इसकी वजह से समय से पहले बच्चे का जन्म भी हो सकता है। ( नोट :- समय से पहले जन्म होने के और भी कई कारण हो सकते हैं)
प्रीडायबिटीज Prediabetes
प्रीडायबिटीज का मतलब है कि आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य से अधिक है। मधुमेह का यह स्तर अभी इतना नहीं है कि इसे टाइप 2 मधुमेह माना जा सके, लेकिन यह इसके काफी करीब होता है। हां, अगर आप अपने बढ़े हुए मधुमेह स्तर को देखते हुए अपनी जीवनशैली में उचित बदलाव करें तो टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना को टाला जा सकता है। अगर आप लगातार प्रीडायबिटीज से जूझ रहे हैं तो आपको आने वाले समय में निम्नलिखित शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :-
दिल से जुड़ी समस्याएँ
रक्त वाहिकाओं में सूजन
रक्त वाहिकाओं में थक्के बनना
किडनी से जुड़ी समस्याएँ
उच्च रक्तचाप बने रहना
अक्सर लोगों का कहना होता है कि वह ऐसा कुछ नहीं खा रहे हैं जिसकी वजह से उनका रक्त शर्करा स्तर बढ़े और उन्हें मधुमेह जैसी जानलेवा बीमारी हो जाए। लेकिन मधुमेह होने के पीछे केवल मीठे का सेवन करना ही एक मात्र कारण नहीं है। मधुमेह होने के कारण निम्नलिखित हैं :-
टाइप 1 डायबिटीज
अभी तक टाइप 1 डायबिटीज होने के पीछे के मुख्य कारण का पता नहीं चल सकता है।फिलाहल तक यही माना जाता है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जो कि हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती है वह पैंक्रियास में इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं जिसकी वजह से टाइप 1 डायबिटीज होता है। इसके अलावा टाइप 1 डायबिटीज होने के संभावित कारण निम्नलिखित है :-
वंशानुगत
वायरस और अन्य पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में
टाइप 2 डायबिटीज
एक व्यक्ति को निम्नलिखित कारणों के चलते टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है :-
मोटापे की वजह से
शारीरिक क्रियाओं में कमी
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो
गर्भावस्था से संबंधित जोखिम
रक्त लिपिड स्तर
टाइप 1 की तरह अनुवांशिक होने पर
ज्यादा तला हुआ और मसालेदार खाना लेने से
ज्यादा मात्रा में मीठे का सेवन करना
इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) यानी जब इंसुलिन का काम बाधित हो जाता है
गर्भावधि मधुमेह
टाइप 2 मधुमेह के समान, गर्भकालीन मधुमेह तब विकसित होता है जब शरीर इंसुलिन के लिए प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम नहीं होता है – यह एक ऐसी स्थिति जिसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है। जब शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज को ठीक से अवशोषित नहीं करती हैं, तो साधारण चीनी रक्तप्रवाह में जमा हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त परीक्षण में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
ओहियो में क्लीवलैंड क्लिनिक में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट केविन बोर्स्ट, डीओ (Kevin Borst, DO, an endocrinologist at Cleveland Clinic) कहते हैं, "गर्भकालीन मधुमेह प्लेसेंटल हार्मोन के प्रभाव के कारण होता है। यह अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ा सकते हैं। यह पूरी तरह से समझ में नहीं आता है कि क्यों कुछ महिलाएं इन हार्मोनों को अच्छी तरह से सहन नहीं कर पाती हैं और अंततः गर्भावधि मधुमेह का विकास करती हैं।" इन हार्मोन में शामिल हैं:
वृद्धि अंतःस्राव
कोर्टिसोल (एक तनाव हार्मोन)
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन
मानव प्लेसेंटल लैक्टोजेन (प्लेसेंटा में उत्पादित एक हार्मोन जो भ्रूण को ऊर्जा प्रदान करने के लिए मां से वसा को तोड़ने में मदद करता है)
प्लेसेंटल इंसुलिनेज (प्लेसेंटा से एक अन्य हार्मोन जो इंसुलिन को निष्क्रिय करता है)
इनके अलावा एक गर्भवती महिला को निम्नलिखित कारणों के चलते भी मधुमेह का खतरा हो सकता है :-
पहले कभी गर्भपात हुआ हो
ज्यादा बढ़ा हुआ वजन
महिला के घर में पहले मधुमेह का इतिहास
महिला को उच्च रक्तचाप की समस्या
बहुत अधिक एमनियोटिक द्रव हो
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो (Polycystic Ovary Syndrome)
प्रीडायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज की तरह ही प्रीडायबिटीज के पीछे के कारण के बारे मेंफ फ़िलहाल कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन इसके होने के पीछे पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण निभा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों से दूर रहते हैं तो इसकी वजह से पेट में जमा होने वाली चर्बी की वजह से प्रीडायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। लेकिन फ़िलहाल तक यह स्पष्ट है कि प्रीडायबिटीज होने पर शरीर इन्सुलिन कम सक्रिय हो जाता है और रक्त में मौजूद ग्लुगोज अब्सोर्ब नहीं हो पाता और नतीजतन मधुमेह स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है, लेकिन कभी इतना नहीं बढ़ता कि उसे टाइप 2 मधुमेह कहा जा सके। इसके अलावा कुछ निम्नलिखित को भी प्रीडायबिटीज होने का कारण माना जाता है :-
बढ़ती उम्र
धुम्रपान करना
ज्यादा शराब पीना
लाल मांस का ज्यादा सेवन
डिब्बाबंद खाना लेना
लगातार बढ़ता वजन
ठीक से नींद न लेना
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो
गर्भावधि मधुमेह
लीवर से जुड़ी कोई समस्या
कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन करना
सामान्य तौर पर मधुमेह होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-
ज्यादा पेशाब आना
गला सुखना
बार-बार प्यास लगना
कोई घाव होने पर जल्दी न भरना
थकान महसूस होना
धुंधला दिखाई देना
हाथ-पैरों में झुनझुनाहट होना
अचानक से वजन घटना या बढ़ना
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण
जो लोग टाइप 1 डायबिटीज से जूझते हैं उनमे लक्षण अचानक से दिखाई दे सकते हैं और वह काफी गंभीर हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल है :-
सामान्य से ज्यादा प्यास लगना
बार-बार पेशाब आना
बिस्तर गिला करने की आदत
सामान्य से अत्यधिक भूख लगना
अचानक से वजन घटना
चिड़चिड़ापन और अन्य मूड में बदलाव
थकान और कमजोरी
धुंधली दृष्टि होना
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 2 डायबिटीज होने पर लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने में कई सालों का समय लग सकता है, क्योंकि इसके लक्षण काफी धीरे-धीरे विकसित होते हैं और आते-जाते रहते हैं। इस मधुमेह में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :-
धुंधली दृष्टि होना
समय से घाव ठीक न होना
हाथ या पैर में सूजन बने रहना
त्वचा के कुछ क्षेत्र काले पड़ता, आमतौर पर बगल और गर्दन में
सामान्य से ज्यादा प्यास लगना
हर थोड़ी-थोड़ी देर में पेशाब आना
हर समय भूख लगे रहना
अनपेक्षित वजन घटाने
हमेशा थका हुआ महसूस करना
बार-बार संक्रमण होना – सामान्यत पेशाब से जुड़े संक्रमण होना या त्वचा संबंधित संक्रमण होना
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, गर्भावधि मधुमेह होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :-
सामान्य से ज्यादा पेशाब आना
बार-बार पेशाब आना
ज्यादा पानी पीने की इच्छा होना
हमेशा थकान बने रहना
सामान्य से ज्यादा मतली या उल्टियाँ आना
भूख बढ़ने पर भी वजन कम होना
आँखे कमजोर होना
खमीर संक्रमण yeast infection
ऐसा नहीं कि हर महिला को मधुमेह की समस्या हो, लेकिन फिर भी गर्भ धारण करने के बाद सामान्यत इसकी समय-समय पर जांच करवानी जरूरी होती है।
प्रीडायबिटीज के लक्षण
जिस प्रकार प्रीडायबिटीज कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है ठीक उसी प्रकार इस मधुमेह होने पर इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। हाँ, लेकिन त्वचा के कुछ हिस्सों का काला पड़ना इसके सबसे सटीक लक्षणों के तौर पर देखा जाता है। अगर किसी व्यक्ति के गर्दन, बगल, कोहनी, घुटने और उँगलियों के जोड़ों का रंग सामान्य से ज्यादा काला पड़ रहा है तो यह प्रीडायबिटीज का लक्षण हो सकता है।
हम सभी इस बारे में अच्छे से जानते हैं कि मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो कि उम्र भर साथ रहती है, इसे बस काबू किया जा सकता हैं लेकिन कभी जड़ से खत्म करना मुश्किल होता है। लगातार रक्त में बढ़ता शर्करा का शरीर को कई शारीरिक समस्याओं का सामान करना पड़ सकता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो “मधुमेह एक ऐसी बीमार है जो शरीर को बीमारियों का घर बना सकता है”। मधुमेह के कारण एक व्यक्ति को सामान्य से लेकर अति गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर किसी भी प्रकार के मधुमेह को नियंत्रित नहीं किया जाए तो निम्नलिखित बीमारियाँ या समस्याएँ होने की आशंका बनी रहती है :-
कीटोएसिडोसिस
नस की क्षति
आँखों की समस्या
त्वचा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है
किडनी संबंधित रोग होना – जैसे किडनी खराब होना
हृदवाहिनी रोग
उच्च रक्त चाप
दिल का दौरा पड़ना
दिल की धड़कन प्रभावित होना
आघात की आशंका
आँख से जुड़ी समस्याएँ
पैर की क्षति
स्लीप एप्निया
डिमेंशिया
सुनने में परेशानी
त्वचा की समस्या
मुंह की समस्या
कवकीय संक्रमण
मूत्र संक्रमण
शरीर में लगातार सूजन बने रहना
घाव का धीमी गति से भरना
गर्भावधि मधुमेह होने के कारण माँ और बच्चे को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं :-
सामान्य से बड़े आकार का शिशु
उच्च रक्तचाप (प्रीक्लेम्पसिया)
निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया)
उम्र भर तक माँ और बच्चे को मधुमेह होने की आशंका
पेशाब से जुड़ी समस्याएँ बने रहना
मधुमेह होने पर इससे कैसे बचाव किया जा सकता है?
एक बार मधुमेह होने पर सबसे बड़ी चुनौती होती है इससे छुटकारा पाना या इससे अपना बचाव करना ताकि आपको और दूसरी शारीरिक समस्याओं का सामना न करना पड़े। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने आहार में और जीवनशैली में उचित बदलाव करें, जिससे आप खुद को हमेशा स्वस्थ महसूस करते रहें। काफी लोगों का मानना होता है कि केवल आहार में परिवर्तन करें और इन्सुलिन लेने से मधुमेह काबू में आने लग जायगा। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, हाँ इससे मधुमेह स्तर तो काबू में आ जायगा लेकिन दूसरी शारीरिक समस्याओं के होने की आशंका फिर भी बनी रहेगी। इसलिए सबसे जरूरी है कि आप अपने आहार में परिवर्तन करने के साथ-साथ कुछ निम्नलिखित आदतों को भी जरूर पनाएं :-
अपने वजन को काबू में रखें
जिम जाएं या योग करें
अपने रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखें
दिन भर में कम से कम 15 से 20 मिनट तक पैदल चलें
अपने शरीर की सफाई का खास ख्याल रखें
धुम्रपान और शराब से दूर ही रहें
हर थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहें
लंबे समय तक भूखा न रहें
हमेशा सक्रिय बने रहें, ज्यादा आराम न करें
हमेशा ताज़ा खाना ही लें, डिब्बाबंद और फ्रोजन खाने से दूर रहें
अगर मधुमेह होने के कारण आप दवाएं या इन्सुलिन लेना शुरू कर चुके हैं तो आप अपने डॉक्टर से उन उपायों के बारें में बात करें जिनसे दवाओं और इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर न रहना पड़े।
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