लिवर कैंसर के लक्षण और इलाज

लिवर कैंसर के लक्षण और इलाज

कैंसर जिसका नाम सुन कर भी लोग डरने लगते हैं । यह वह बीमारी है जिसका नाम लेने से भी लोग कतराया करते हैं । वैसे तो कैंसर के कई सारे प्रकार होते हैं । डॉक्टर्स का मानना है की कैंसर के लगभग 200 से भी ज्यादा प्रकार होते हैं । लिवर कैंसर उनमे से एक है । लिवर कैंसर पेट में होने वाले कैंसर में से एक गम्भीर प्रकार का कैंसर है । 

लिवर हमारे शरीर का अहम भाग है। जो कि शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। लिवर पित्त के उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाता है। यह विटामिन, वसा जैसे अन्य पोषक तत्वों को पचाने में मदद करता है।  लिवर कैंसर 40 साल की उम्र के लोगों को होने का ज्यादा खतरा रहता है।लिवर कैंसर वैसे तो लिवर में शुरू होता है या फिर लिवर में शरीर के अन्य अंगों से फैलता है। दूसरे भागों से होकर लिवर तक होने वाले कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाने वाला ठोस ट्यूमर है, जिसके एक मिलियन से अधिक मामलों का हर वर्ष इलाज किया जाता है। 

क्या होता है लिवर कैंसर ? 

लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर भी कहा जाता है। लिवर कैंसर एक ऐसी स्थिति है जहां लिवर में कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति और वृद्धि के कारण लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है। लिवर रक्त और विषाक्त पदार्थों को छानने और पित्त का उत्पादन करने वाला एक ग्रंथि बड़ा  अंग है। इसके कारण, रक्तप्रवाह से गुजरने वाली विभिन्न कोशिकाएं जिगर तक पहुँचती है, जिसमें कैंसर कोशिकाएं भी शामिल हैं जो ट्यूमर में विकसित होती हैं। इस प्रकार लिवर कैंसर की शुरुआत होती है।

लिवर कैंसर दो प्रकार के होते हैं :-

लिवर कैंसर के प्रकारों को प्राथमिक और द्वितीयक लिवर कैंसर में बांटा गया है। प्राथमिक लिवर कैंसर लिवर में उत्पन्न होता है, जहां असामान्य कोशिकाएं विभाजित होने लगती हैं और तेजी से बढ्ने लगती हैं, जबकि द्वितीयक लिवर कैंसर पास के या अन्य आंतरिक अंगों के कैंसर का परिणाम होता है। 

लिवर कैंसर के प्रकार :- 

हालांकि दो सबसे आम लिवर कैंसर प्रकार प्राथमिक और द्वितीयक लिवर कैंसर हैं , इस स्थिति को लिवर में पाई जाने वाली असामान्य कोशिकाओं की विशेषताओं और प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ये रोगियों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के लिवर कैंसर हैं:

हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी) – 75% लिवर कैंसर कैंसर हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा पर आधारित होते हैं। यह हेपेटाइटिस बी या सी से संबंधित संक्रमण के माध्यम से उत्पन्न होता है।

फ़िब्रोलामेलर एचसीसी – एक दुर्लभ प्रकार का लिवर कैंसर है जो आमतौर पर चिकित्सा उपचारों और उपचारों के लिए बहुत रेस्पॉन्सिव होता है।

छोलंगिओकार्सिनोमा  – यह लिवर के पित्त-नलिका में होता है और रोगियों में लिवर कैंसर के 10-20% मामलों में होता है।

एंजियोसारकोमा – यह लिवर में रक्त वाहिकाओं से शुरू होता है और वहां से तेजी से बढ़ता है। 1% लिवर कैंसर के मामले इस प्रकार के हैं।

सेकेंडरी लिवर कैंसर – जब शरीर के किसी अन्य स्थान से प्राथमिक कैंसर आंतरिक रूप से फैलने से लिवर को प्रभावित करता है, तो यह द्वितीयक लिवर कैंसर में बदल जाता है। अधिकांश लिवर कैंसर के मामलों को इस प्रकार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

 लिवर कैंसर के लक्षण :- 

वजन कम होना

उल्टी होना

पीलिया

भूख की कमी

बुखार

नार्मल खुजली

हेपटेमेगाली

बढ़े हुए स्प्लीन

पेट में सूजन

स्किन और आंखों का पीला होना

पैरों में सूजन होना

स्किन पर  खुजली होना 

दाहिने कंधे की ब्लेड में या आसपास दर्द 


क्या है लिवर कैंसर का कारण ?

जेनेटिक्स – यदि आपके परिवार में लिवर की बीमारी का इतिहास है, तो लिवर कैंसर के विकास की संभावना अधिक है । 

सिरोसिस

डायबिटीज

लिवर फैटी होना।

अधिक मोटा होना, वजन का बहुत ज्यादा बढ़ जाना भी इस बीमारी का कारण बन जाता हैं । 

क्रोनिक संक्रमण – हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी वायरस से जुड़े किसी भी पुराने संक्रमण से रोगियों में लिवर कैंसर हो सकता है । 

रासायनिक पदार्थ – विनाइल क्लोराइड और आर्सेनिक जैसे रासायनिक पदार्थों का सेवन । 

दुर्लभ बीमारियां – लिवर कैंसर के विकास को विल्सन की बीमारी और टायरोसिनेम जैसी दुर्लभ बीमारियों से जोड़ा गया है।

धूम्रपान और शराब के दुरुपयोग से रोगियों में लिवर कैंसर का विकास हो सकता है । 

जन्म से ही – जन्म से ही किसी दोष या स्वास्थ्य समस्या के दोष के कारण भी यह परेशानी हो सकती है । 


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क्या है लिवर कैंसर बीमारी का इलाज ?

लिवर कैंसर में इलाज़ 5 प्रकार से किया जाता है । 

सर्जरी :- लिवर कैंसर में सर्जरी भी की जाती है। इसमें कैंसर वाले लिवर को हटा दिया जाता है। अगर लिवर में छोटा ट्यूमर है तब ही इस प्रक्रिया से इलाज किया जाता है  लेकिन इसमें कई बार अधिक खून बहने का खतरा होता है। इसलिए इस पर विचार विमर्श अच्छे से किया जाना चाहिए । 

लिवर ट्रांसप्लांट :-इस ट्रांसप्लांट में डॉक्टर कैंसर वाले लिवर को हटाकर हेल्दी लिवर से बदल देते है। यह तब किया जाता है। यह इलाज़ तब ही संभव होता है जब कैंसर किसी और अंग में न फैला हो।  

आबलेशन :-इस उपचार में कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए इंजेक्शन दिए जाते है। इसमें रोगी को बेहोश कर फिर इंजेक्शन दिया जाता है। जिससे उसे दर्द का अहसास न हो। यह उनके लिए फायदेमंद होती है जिनकी सर्जरी या फिर लिवर ट्रांसप्लांट न हुआ हो।

रेडिएशन थेरेपी :- इसमें हार्ट एनर्जी वाली रेडिएशन का यूज किया जाता है। जिससे कैंसर की सेल्स नष्ट करने का प्रयास किया जाता हैं । लेकिन इसका साइड इफेक्ट भी अधिक होता है। इसके कारण स्किन में समस्या, उल्टी की समस्या हो सकती है।

कीमोथेरेपी :-कीमोथेरेपी का नाम सभी ने सुना हुआ है । कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स को खत्म कर देती है। यह दवाओं के माध्यम से दी जाती है। यह लिवर कैंसर में काफी प्रभावी होती है लेकिन इसकी दवाओं के कारण मरीज को उल्टी, भूख कम लगना या ठंड लगना, हेयर लॉस  होना , बॉडी पेन होना , शरीर में गर्मी का बहुत ज्यादा बढ़ जाना  सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

लिवर कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज़ :- 

विरेचन कर्म :- इस इलाज़ में रोगी के शरीर की क्षमता के अनुसार जड़ी बूटियों के द्वारा शरीर के विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है । जिससे रोगी को दस्त होते हैं । इस प्रक्रिया मे छोटी आंत को भी साफ किया जाता है । 

इसके आलावा कुछ आहार के जरिये भी आयुर्वेद में कैंसर का इलाज़ किया जाता है । जैसे हल्दी दूध :- हल्दी में कैंसर रोधी गुण पाये जाते हैं उसके अलावा शरीर में कई ऐसे पोशाक तत्वों की पूर्ति हल्दी करती है जो कैंसर को बढ्ने से रोकने में वह मददगार होते हैं । इन सभी के अलावा आहार में आंवला , पपीता , सेब का सिरका , मुलेठी ,मकोय , टमाटर और ग्रीन टी को शामिल किया जाता है । इन सभी में कैंसर रोधी गुण प्ये जाते हैं साथ ही यह एंटीओक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो की हमारे शरीर को डिटोक्स करने का काम भी करते हैं । इसलिए आयुर्वेद लिवर कैंसर का इलाज़ करने के लिए इन आहारों को शामिल करता है । इसके साथ ही योगासन और जड़ीबूटियों के उपयोग पर भी एक्सपर्ट्स की सलाह दी जाती है उनकी निगरानी में इसका इलाज़ किया जाता है जो की रासायनिक प्रक्रिया से मुक्त होता है ।       

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