बचपन में जब गर्मियों के मौसम में घमोरियां या स्किन से जुड़ी कोई भी समस्या हो जाती थी तो ऐसे में कोई भी स्किन प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पहले नीम का इस्तेमाल जरूर किया होगा। क्योंकि नीम एक ऐसा पेड़ है जो की कई सामान्य से लेकर गंभीर से गंभीर रोग से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। गावों में भी आपने देखा होगा की नीम के पेड़ को ख़ासा महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह कोई सामान्य पेड़ न होकर एक ऐसा पेड़ है जिसके हर एक हिस्से से औषधि बनाई जा सकती है। हम सभी नीम से मिलने वाले फायदों के बारे में सदियों से जानते हैं। आयुर्वेद में नीम को काफी महत्व दिया गया है।, खासकर त्वचा संबंधित इस्तेमालों के लिए। आज इस लेख के जरिये हम नीम के कुछ खास फायदों और नुकसान के बारे में बात करेंगे।
आयुर्वेद के इतर, नीम को लेकर कई वैज्ञानिक अनुसंधान चल रहे हैं जिनमें यह देखा जा रहा है कि नीम से हमें क्या-के और कैसे फायदे मिल सकते हैं। जो लोग आयुर्वेद में ज्यादा विश्वाश रखते हैं उनके लिए नीम कोई नई चीज़ नहीं है। तो चलिए जानते हैं नीम से मिलने वाले कुछ खास फायदों के बारे में :-
बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है Promotes hair health
नीम के बीज के अर्क में अज़ादिराच्टिन (azadirachtin) होता है, एक सक्रिय यौगिक जो परजीवियों से लड़ सकता है जो बालों और त्वचा को प्रभावित करते हैं, जैसे कि जूँ। अज़ादिराच्टिन परजीवी विकास को बाधित करके और प्रजनन और अन्य सेलुलर प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करके काम करता है, जिससे सर में जूं और अन्य परजीवियों से छुटकारा मिलता है।
भारत में अगर सर में जूं या अन्य कोई परजीवी से छुटकारा पाने के लिए नीम के तेल का ख़ासा इस्तेमाल किया जाता है और बच्चों के लिए नीम के पानी से सर धोने का घरेलू उपाय को अपनाया जाता है। नीम के तेल में पाया जाने वाला एक यौगिक नीम का अर्क और निम्बिडिन, इसके विरोधी भड़काऊ और रोगाणुरोधी गुणों के कारण रूसी का भी इलाज कर सकता है। डैंड्रफ और स्कैल्प में जलन स्कैल्प पर फंगल बिल्डअप के कारण हो सकती है।
दाँत की मैल Dental plaque
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि नीम के पत्तों के अर्क को 6 सप्ताह तक रोजाना दो बार दांतों और मसूड़ों पर लगाने से प्लाक बनना कम हो सकता है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को भी कम कर सकता है जो प्लाक का कारण बन सकता है। हालांकि, 2 सप्ताह के लिए नीम के अर्क युक्त माउथ रिंस का उपयोग करने से पट्टिका या मसूड़े की सूजन कम नहीं होती है। नीम से दांतों को कितना फायदा मिलता है आप इस बारे में अपने बड़ों से जान सकते हैं। भारत आज भी नीम की टहनी से दातुन करना आम बात है। मसूड़े की बीमारी का एक हल्का रूप (मसूड़े की सूजन)। नीम के पत्तों के रस से युक्त जेल को दांतों पर लगाने या नीम के माउथवॉश का उपयोग करने से कुछ लोगों में मसूड़े की सूजन कम हो सकती है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नीम क्लोरहेक्सिडिन माउथवॉश या जेल के उपयोग के समान सहायक है या नहीं।
लीवर और किडनी के स्वास्थ्य में मदद कर सकता है May aid liver and kidney health
नीम के एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में मदद कर सकते हैं, जो बदले में लीवर और किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। ऑक्सीडेटिव तनाव मुक्त कण (oxidative stress free radicals) नामक अस्थिर अणुओं (unstable molecules) के निर्माण के कारण होता है। यद्यपि आपका शरीर स्वाभाविक रूप से चयापचय के उपोत्पाद के रूप में मुक्त कणों का उत्पादन करता है, बाहरी स्रोत उनकी उपस्थिति को बढ़ाते हैं। कैंसर की दवा, दर्द निवारक और एंटीसाइकोटिक्स सहित कुछ दवाएं ऑक्सीडेटिव तनाव में योगदान कर सकती हैं, जिससे आपके लीवर और किडनी में ऊतक क्षति हो सकती है।
दिलचस्प बात यह है कि चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नीम की पत्ती का अर्क उच्च खुराक वाले एसिटामिनोफेन (acetaminophen) से प्रेरित लीवर की क्षति को कम करता है। एक अन्य चूहे के अध्ययन ने इसी तरह के प्रभाव दिखाए, यह सुझाव देते हुए कि नीम के अर्क ने कीमोथेरेपी दवा के कारण किडनी के ऊतकों की क्षति में सुधार किया। हालांकि, मनुष्यों में अध्ययन की जरूरत है।
त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है Improve skin health
नीम के बीज का तेल फैटी एसिड से भरपूर होता है, जिसमें ओलिक, स्टीयरिक, पामिटिक और लिनोलिक एसिड शामिल हैं। सामूहिक रूप से, इन फैटी एसिड में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा देते हैं। नीम में मौजूदा पौषक तत्व रक्त को साफ़ करने में काफी मदद करते हैं जिससे त्वचा संबंधित समस्याओं से बड़ी तेजी से छुटकारा मिलता है। नीम का पानी पीने से त्वचा पर आने वाले तेल से काफी तेजी से आराम मिलता है, लेकिन इस पानी का बहुत कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। ध्यान रखें कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज के लिए नीम का उपयोग करती है, बहुत कम वैज्ञानिक अध्ययन इन दावों का समर्थन करते हैं। नाम में
मुंहासा Acne
ऐतिहासिक रूप से, नीम का उपयोग मुंहासों के इलाज, दाग-धब्बों को कम करने और त्वचा की लोच में सुधार करने के लिए किया जाता रहा हैं। दरअसल, अध्ययनों से पता चलता है कि नीम के तेल के जीवाणुरोधी गुण मुंहासों से लड़ते हैं। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन से पता चला है कि ठोस लिपिड नैनोकणों (एसएलएन) में जोड़े जाने पर नीम का तेल दीर्घकालिक मुँहासे उपचार में मदद कर सकता है, एक नए प्रकार का दवा निर्माण जो सक्रिय अवयवों की एक स्थिर रिहाई प्रदान करता है।
घाव जल्दी ठीक करने में मदद करें Help wounds heal faster
काफी बार किसी चोट से लगा घाव बहुत देर से भरता है जिसकी वजह से व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नीम की मदद से घाव को जल्दी भरा जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार निम्न कुछ उपायों से घाव भरने में काफी मदद मिलती है :-
हमेशा बहते रहने वाले जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार धो लें। इसके बाद नीम के छाल की राख को उसमें भर दें। 7-8 दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है।
10 ग्राम नीम की गिरी तथा 20 ग्राम मोम को 100 ग्राम तेल में डालकर पकाएं। जब दोनों अच्छी तरह मिल जायें तो आग से उतार कर 10 ग्राम राल का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह हिलाकर रख लें। यह मलहम, आग से जले हुए और अन्य घावों के लिए लाभदायक है।
आग से जले हुए स्थान पर नीम के तेल को लगाने से जल्द लाभ होता है। इससे जलन भी शांत हो जाती है।
इन उपायों का इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
बुखार में तेजी से सुधार Rapid improvement in fever
कुछ आयुर्वेदिक अध्यनों के अनुसार अगर आप बुखार से जूझ रहे हैं तो आप निम्न उपायों की मदद से बड़ी आसानी से बुखार से छुटकारा पा सकते हैं :-
सबसे पहले आप 20-20 ग्राम नीम, तुलसी तथा हुरहुर के पत्ते तथा गिलोय और छह ग्राम काली मिर्च को मिला लें। इसे महीन पीसकर पानी के साथ मिलाकर ढाई-ढाई ग्राम की गोली बना लें। तैयार इन गोली का एक एक करके 2-2 घंटे के अन्तर पर गर्म पानी से सेवन करें, बुखार जल्द ही ठीक हो जाएगा।
5 ग्राम नीम की छाल और आधा ग्राम लौंग या दाल चीनी को मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे दो ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से साधारण वायरल बुखार, मियादी टायफायड बुखार एवं खून विकार दूर होते हैं।
नीम की छाल, धनिया, लाल चन्दन, पद्मकाष्ठ, गिलोय और सोंठ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से सब प्रकार के बुखार में लाभ होता है।
नीम की छाल, सोंठ, पीपलामूल, हरड, कुटकी और अमलतास को बराबर भाग लें। इसे एक लीटर पानी में आठवाँ भाग शेष बचने तक पकाएं। इस काढ़े को 10-20 मिली मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें। बुखार समाप्त हो जाएगा।
नीम की छाल, मुनक्का और गिलोय को बराबर भाग मिला लें। 100 मिली पानी में काढ़ा बना कर 20 मिली की मात्रा में सुबह, दोपहर तथा शाम को पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
इन उपायों का इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
नीम पर किए कुछ अध्ययनों में पाया गया कि इसके पत्तों में खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। हालांकि, अभी तक इन अध्ययनों की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है। नीम से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ पूरी तरह से अध्ययनों पर ही आधारित हैं, जिनमें से कुछ अध्ययनों को चूहों व अन्य जानवरों पर ही किया गया है। हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति के अनुसार उसपर नीम का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।
रक्त विकार (खून साफ करने के लिए) में नीम Neem in blood disorders (to purify the blood)
अगर आप रक्त संबंधित किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो आप नीम का इस्तेमाल करके उससे छुटकारा पा सकते हैं। आयुर्वेद में नीम की मदद से खून से जुड़ी कई समस्याओं से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जाता है। हमने ऊपर भी इस बारे में बात की है कि कैसे नीम खून साफ़ करते हुए हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार निम्न उपायों की मदद से आप रक्त संबंधित समस्याओं से बच सकते हैं :-
नीम का काढ़ा या ठंडा रस बनाकर 5-10 मिली की मात्रा में रोज पीने से खून के विकार दूर होते हैं।
10 ग्राम नीम के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से खून की गर्मी में लाभ होता है।
20 मिली नीम के पत्ते का रस और अडूसा के पत्ते का रस में मधु मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से खून साफ होता है।
नीम के पंचांग को पानी में कूट-छानकर 10-10 मिली की मात्रा में 15-15 मिनट के अंतर से पिलाएं। इसके साथ ही प्लेग की गाँठों पर इसके पत्तों की पुल्टिस (गीली पट्टी) बाँधें तथा आसपास इसकी धूनी करते रहने से प्लेग में लाभ होता है।
इन उपायों का इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
लू से बचाए Protect from heat
कितनी भी गर्मी क्यों न हो अगर आप नीम के पेड़ के नीचे जाएंगे तो वहा आपको ठंडक का एहसास होता है, इससे पता चलता है की नीम ठंडक देने का काम करता है। अगर आप गर्मियों के मौसम में नीम के पानी से नहाते हैं या नीम के साबुन का इस्तेमाल करते हैं तो आप निश्चित ही लू और लू से होने वाली समस्याओं से खुद का और अपने परिवार का बचाव कर सकते हैं। ध्यान रहे, नीम से बना काढ़ा गर्म तासीर का होता है।
मलेरिया के लिए नीम Neem for Malaria
नीम की मदद से मच्छरों को बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है, इस बारे में हर भातीय जानता है। इसके लिए बस आपको कुछ सुखी नीम की पत्तियों से धुँवां करना होगा। लेकिन क्या आपको मालूम है कि नीम की मदद से मलेरिया से भी छुटकारा मिलता है? नाइजीरियाई अध्ययन के अनुसार, नीम के पत्तों में एंटीमाइमरियल (antimalarial ) गुण होता हैं। नीम की पत्तियां मलेरिया से लड़ने में मदद करती हैं। इन पत्तों का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में और मलेरिया की रोकथाम के लिए किया जा सकता है। नीम की चाय का इस्तेमाल भी मलेरिया के उपचार के रूप में किया जा सकता है।
हाँ, क्यों नहीं भले ही नीम एक महत्वपूर्ण औषधि ही क्यों न हो लेकिन इससे भी कई स्वास्थ्य हानियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए नीम का इस्तेमाल हमेशा सही सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। नीम से वैसे तो कोई खास नुकसान नहीं होता, लेकिन इससे होने वाले संभावित नुकसान निम्न है :-
जब मुंह से लिया जाता है When taken by mouth : नीम की छाल का अर्क संभवतः अधिकांश वयस्कों के लिए सुरक्षित होता है जब अल्पावधि का उपयोग किया जाता है। 10 सप्ताह तक प्रतिदिन 60 मिलीग्राम तक की खुराक का सुरक्षित रूप से उपयोग किया गया है। बड़ी मात्रा में या लंबे समय तक मुंह से लेने पर नीम संभवतः असुरक्षित होता है। यह किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
जब त्वचा पर लगाया जाता है When applied to the skin : नीम का तेल या क्रीम त्वचा पर 2 सप्ताह तक लगाने पर संभवतः सुरक्षित होता है।
जब मुंह के अंदर लगाया जाता है When applied inside the mouth : 6 सप्ताह तक मुंह के अंदर लगाने पर नीम की पत्ती का अर्क जेल संभवतः सुरक्षित होता है।
गर्भावस्था Pregnancy : गर्भावस्था के दौरान मुंह से लेने पर नीम का तेल और नीम की छाल असुरक्षित हो सकती है। वे गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
स्तनपान Breast-feeding : यह जानने के लिए पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी नहीं है कि स्तनपान करते समय नीम का उपयोग करना सुरक्षित है या नहीं। सुरक्षित पक्ष पर रहें और उपयोग से बचें।
बच्चे Children : नीम के अर्क का शैम्पू बच्चों के लिए संभवतः सुरक्षित है जब इसे सिर पर एक या दो बार 10 मिनट के लिए लगाया जाता है, फिर गर्म पानी से धो दिया जाता है। नीम के बीज और बीज का तेल मुंह से लेना बच्चों में असुरक्षित होने की संभावना है। नीम का तेल लेने के कुछ घंटों के भीतर शिशुओं और छोटे बच्चों में गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इन गंभीर दुष्प्रभावों में उल्टी, दस्त, उनींदापन, दौरे, चेतना की हानि, कोमा और मृत्यु शामिल हैं।
"ऑटो-इम्यून डिजीज" जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस), ल्यूपस (सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, एसएलई), रुमेटीइड आर्थराइटिस (आरए), या अन्य स्थितियां "Auto-immune diseases" such as multiple sclerosis (MS), lupus (systemic lupus erythematosus, SLE), rheumatoid arthritis (RA), or other conditions: नीम के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक सक्रिय हो सकती है। इससे ऑटो-इम्यून बीमारियों के लक्षण बढ़ सकते हैं। यदि आपके पास इनमें से कोई एक स्थिति है, तो नीम का उपयोग करने से बचना सबसे अच्छा है।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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