जब किसी परिवार में बच्चा जन्म लेने वाला होता है तो उसे लेकर सभी के आँखों में काफी सपने होते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा दुवाएं की जाती है कि बच्चा स्वस्थ हो। लेकिन काफी बार बच्चा जन्म से ही किसी न किसी बीमारी के साथ पैदा होता है जो कि सामान्य से लेकर गंभीर हो सकती है, वहीं कुछ बीमारियाँ ऐसी होती है जो कि बच्चे के साथ उम्र भर तक साथ रहती है, जैसे – कोई शारीरिक विकार और मधुमेह। बच्चों से जुड़ी एक ऐसा ही विकार है जिसे नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) – Neonatal abstinence syndrome (NAS) कहा जाता है। नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर स्थितियों का समूह है जिसे विकार की संज्ञा दी जा सकती है। वर्तमान समय में इस संबंध में लोगों को बहुत कम जानकारी है, जिसकी वजह से यह सबसे गंभीर शिशु विकारों में गिना जाता है। चलिए इस लेख के मध्यम से इस नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) – Neonatal abstinence syndrome (NAS) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नवजात संयम सिंड्रोम स्वास्थ्य स्थितियों का विकार है जो कि शिशु को जन्म से पहले से ही अपनी चपेट में ले लेता है। यदि कोई महिला गर्भवती होने पर ओपिओइड (opioid) नामक दवाओं का उपयोग करती है, तो उसका बच्चा नवजात संयम सिंड्रोम के साथ पैदा हो सकता है। इसे संक्षेप में NAS कहा जाता है।
जब महिलाएं गर्भावस्था के दौरान ओपिओइड दवाओं का उपयोग करती हैं, तो उनके बच्चे दवा के आदि होने लग जाते हैं। ऐसे में जब शिशुओं को माँ के रक्तप्रवाह (blood flow) से दवाएं नहीं मिलती तो उन्हें NAS यानि नवजात संयम सिंड्रोम हो जाता है। अगर समय रहते बच्चे के बच्चे के शरीर से ओपिओइड (opioid) दवाओं को निकाल लिया जाए तो इस समस्या को जल्दी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी होता है कि नवजात शिशु में लक्षणों की पहचान जल्द से जल्द की जाए।
ओपिओइड वो दवाएं है जो कि दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए दी जाती है। इन दवाओं को मादक द्रव्य – Intoxicating drink भी कहा जाता है। ओपिओइड दवाओं में मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल है :-
कौडीन
हाइड्रोकोडोन
अफ़ीम का सत्त्व
ऑक्सीकोडोन
मेपरिडीन
फेंटेनाइल
ड्रग हेरोइन भी एक ओपिओइड है। मेथाडोन को भी ओपिओइड की श्रेणी रखा जाता है। मेथाडोन एक ऐसी दवा है जो लोगों को हेरोइन जैसी दवाओं का उपयोग छोड़ने में मदद करती है।
यदि कोई महिला गर्भवती होने पर इनमें से कोई भी दवा लेती है, तो यह उसके बच्चे के लिए समस्या पैदा कर सकती है। यह समस्या तब भी हो सकती है जब डॉक्टर द्वारा गर्भवती महिला को यह दवाएं दी जाए। इसलिए गर्भवती महिला और डॉक्टर को इन दवाओं के प्रयोग से हमेशा बचना चाहिए।
जो बच्चे नवजात संयम सिंड्रोम के साथ पैदा होते हैं, उनका व्यवाहर काफी चिड़ाचिड़ा होता है। ऐसे बच्चे सामान्य से ज्यादा रोते हैं और काफी बार इतना तेजी से रोते हैं कि कानों में उनकी आवाज चुभनी शुरू हो जाती है। ऐसे बच्चे हर छोटी बात पर नाराज़ हो सकते हैं, यानि उधम मचा सकते हैं। इन शिशुओं को खाने, सोने और वजन बढ़ाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन नवजात संयम सिंड्रोम होने पर हर बच्चे में दिखाई देने वाले लक्षण निम्नलिखित आधार पर दुसरे बच्चे से भिन्न हो सकते हैं :-
इस्तेमाल की जाने वाली दवा का प्रकार
पिछली बार दवा का इस्तेमाल कब किया गया था
बच्चा पूर्ण अवधि में पैदा हुआ है या समय से पहले
नवजात संयम सिंड्रोम होने पर बच्चे में लक्षण जन्म के 24 से 48 घंटे के तुरंत बाद दिखाई दे सकते हैं या जन्म के करीब 10 दिनों के बाद या भीतर भी दिखाई दे सकते हैं।
सामान्य तौर पर बच्चे में नवजात संयम सिंड्रोम होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-
मिरगी
सिहरन shivering
बहुत ज्यादा रोना या तेज रोना
नींद की समस्या
तंग मांसपेशी टोन
अतिसक्रिय सजगता
जम्हाई लेते रहना
भरी हुई नाक और छींक आना
ठीक तरह से दूध न पीना
उल्टी या दस्त की समस्या
पसीना आना
बुखार या अस्थिर तापमान
जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है उनके इस समस्या के चपेट में आने की आशंका काफी कम होती है, क्योंकि वह दवाओं के संपर्क में कम समय के लिए आते हैं। वहीं अगर बच्चों को यह समस्या अपनी चपेट में ले भी लेती है तो भी वह तेजी से ठीक हो जाते हैं क्योंकि उन पर दवाएं ठीक से अपना असर नहीं दिखा पाई थी।
अगर आपको अपने बच्चे में कोई भी असामान्य स्थिति दिखाई दे तो तुरंत इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें या नजदीकी आंगनबाड़ी में मौजूद डॉक्टर या आशा कार्यकर्ता से इस बारे में बात करें, क्योंकि जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा उतनी जल्दी बच्चा ठीक होगा।
लगभग हर दवा और दवा माँ के रक्तप्रवाह से नाल के माध्यम से उसके अजन्मे बच्चे तक जाती है। यदि माँ ऐसे पदार्थों का उपयोग करती है जो उसके तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं, तो वह बच्चे के लिए भी प्रभावित होंगे। अब जन्म से पहले ही बच्चे को दवाएं लेने की आदत लग चुकी है जो कि जन्म के बाद नहीं मिल रही है तो ऐसे में बच्चे में लक्षण तेजी से दिखाई देने लग जाते हैं।
कुछ ड्रग्स (drugs) और दवाओं की वजह से नवजात संयम सिंड्रोम के अलावा भी दूसरी तरफ का सिंड्रोम होने की आशंका बनी रहती है। लेकिन दवाएं और ड्रग्स लेने से सभी बच्चों पर प्रभाव जरूर पड़ता है, अब वो कितना पड़ेगा इस संबंध में दवाओं और ड्रग्स की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करता है। जब एक से अधिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, तो लक्षण अक्सर बदतर हो सकते हैं।
तो यह स्पष्ट हैं कि नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) दवाओं और ड्रग्स (drugs) की वजह से होता है। इन दवाओं में निम्नलिखित मुख्य रूप से शामिल है :-
हेरोइन जैसे ओपियोइड और कोडीन और ऑक्सीकोडोन जैसी निर्धारित दवाएं
एम्फ़ैटेमिन या कोकीन जैसे उत्तेजक। इन दवाओं के लिए, बच्चे पर प्रभाव वापसी के बजाय दवा से ही अधिक होने की संभावना है।
एंटीडिप्रेसेंट दवाएं जैसे चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors)
बार्बिट्यूरेट्स, या अल्कोहल, या मारिजुआना जैसे अवसादक
सिगरेट पीने से निकोटिन
शराब का उपयोग भी समस्याओं का एक और समूह पैदा कर सकता है जिसे भ्रूण अल्कोहल स्पेक्ट्रम विकार – Fetal Alcohol Spectrum Disorder कहा जाता है।
जो गर्भवती महिलाएं ड्रग्स, धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं, उनके अजन्मे बच्चों को नियोनेटल एबस्टेंस सिंड्रोम यानि नवजात संयम सिंड्रोम और अन्य समस्याओं का खतरा होता है। जो महिलाएं नशीली दवाओं का उपयोग करती हैं, उन्हें भी प्रसव पूर्व देखभाल मिलने की संभावना कम हो सकती है। इससे मां और बच्चे दोनों के लिए जोखिम भी बढ़ सकता है।
जिन बच्चों का जन्म नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) के साथ होता है उन्हें जन्म के बाद कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। सबसे पहले उन्हें जन्म के तुरंत बाद नवजात गहन देखभाल इकाई – neonatal intensive care unit में उपचार की आवश्यकता होती है। आम भाषा में इसे नर्सरी भी कहा जाता हैं, जहाँ नवजात शिशु की विशेष देखभाल की जाती है। इसके अलावा बच्चे में निम्नलिखित जटिलताएँ हो सकती है :-
जन्म के समय कम वजन – ऐसे में नवजात शिशु का वजन 5 पाउंड, 8 औंस से कम हो सकता है।
पीलिया – यह तब होता है जब आपके बच्चे की त्वचा और आंखें पीली दिखती हैं। यह तब होता है जब आपके बच्चे का लीवर पूरी तरह से विकसित या काम नहीं कर रहा होता है।
मिर्गी – छोटे बच्चे को जन्म से ही मिर्गी की समस्या हो सकती है।
अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (sudden infant death syndrome) – यह 1 साल से छोटे बच्चे की अस्पष्टीकृत मौत है। अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (sudden infant death syndrome) आमतौर पर तब होता है जब बच्चा सो रहा होता है।
जन्म दोष – इस सिंड्रोम में बच्चे का जन्म किसी दोष के साथ भी हो सकता है जो कि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का हो सकता है।
फिलाहल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि नवजात संयम सिंड्रोम (NAS) होने पर बच्चे को दीर्घकालिक तौर पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं। फ़िलहाल इसे जानने के लिए शोध जारी है, हाँ लेकिन नवजात संयम सिंड्रोम की वजह से होने वाली समस्याएँ शुरूआती कुछ समय के लिए परिवार को काफी परेशान कर सकती है। फ़िलहाल के शोध के अनुसार एक बच्चे में निम्नलिखित जटिलताएँ हो सकती है जो कि बच्चे को लंबे समय तक परेशान कर सकती है :-
बोलने में और भाषा समझने में समस्याएं
नींद की समस्या
कान के संक्रमण
नज़रों की समस्या
बच्चे को हड्डियों से जुड़ी समस्याएँ
मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं का होना
चलने-फिरने में समस्या होना
अक्सर भ्रम में रहना
विकास में होने वाली देर
व्यवहार में हर समय बदलाव होना
कुछ भी सीखने की समस्याएं होना
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को नवजात संयम सिंड्रोम है तो तुरंत इस बारे में डॉक्टर के पास जाए और निम्नलिखित जांच करवाएं :-
नवजात संयम सिंड्रोम NAS स्कोरिंग सिस्टम – इस प्रणाली में लक्षणों की पहचान की जाती है और देखा जाता है कि लक्षण कितने गंभीर है और उन्हें अंक के आधार पर आका जाता है जो कि 1 से 10 की गिनती तक हो सकते हैं।
मूत्र और मेकोनियम परीक्षण – बच्चे के शरीर में दवाओं की उपलब्धता जाचने के लिए मूत्र और मेकोनियम परीक्षण किया जा सकता है। मेकोनियम आपके बच्चे का पहला मल त्याग है।
इसके अलावा डॉक्टर आपसे इस बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे कि आपने कौन-कौन सी दवाएं या ड्रग ली है और कब और कितनी मात्रा में। अगर ऐसे में आप सही जानकारी नहीं देते तो ऐसे में बच्चे के लिए मुश्किल हो सकती है। इसके अलावा आपके मूत्र और रक्त की जांच भी की जा सकती है।
नवजात संयम सिंड्रोम का का उपचार कैसे किया जा सकता है? How can neonatal abstinence syndrome be treated?
अगर आपके बच्चे में नवजात संयम सिंड्रोम की पुष्टि हो जाती है तो निम्न वर्णित तरह से आपके बच्चे का उपचार किया जा सकता है :-
एक बार लक्षण दिखाई देने और नवजात संयम सिंड्रोम की पुष्टि होने के बाद बच्चे को कुछ दवाएं दी जा सकती है। ऐसे में बच्चे को मॉर्फिन, मेथाडोन और ब्यूप्रेनोर्फिन जैसी कुछ दवाएं दी जा सकती है।
नवजात संयम सिंड्रोम होने पर बच्चे को दस्त की समस्या हो सकती है ऐसे में बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए बच्चे के शरीर में सुईं के माध्यम से शरीर में पानी की कमी पूरी की जा सकती है।
उच्च कैलोरी वाला शिशु फार्मूला खिलाया जा रहा है। नवजात संयम सिंड्रोम वाले कुछ बच्चों को बढ़ने में मदद करने के लिए अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें दूध पिलाने में परेशानी होती है या उनका विकास धीमा होता है।
नवजात संयम सिंड्रोम NAS वाले अधिकांश बच्चों का अगर ठीक से उपचार किया जाए तो वह 5 से 30 दिनों में ठीक हो सकते हैं। उपचार के दौरान, आपका शिशु उधम मचा सकता है और उसे शांत करना मुश्किल हो सकता है। इन चीजों को करने से आपके बच्चे को शांत करने में मदद मिल सकती है :-
अपने बच्चे के साथ अलग कमरे में रहें। अगर आपको अस्पताल में दाखिल रहने की सलाह दी जाती है ऐसे में भी बच्चे के साथ अकेले रहें जहाँ ज्यादा शोर न हो।
अपने बच्चे को त्वचा से त्वचा की देखभाल दें (जिसे कंगारू देखभाल भी कहा जाता है)। यह तब होता है जब आप अपने बच्चे को, केवल डायपर पहने हुए, अपनी नंगी छाती पर रखते हैं।
अपने बच्चे के साथ कोमल रहें। अपने बच्चे को धीरे से हिलाएं। अगर वह सो रही है, तो उसे मत जगाओ।
अपने बच्चे को कंबल में लपेटें (उसे आराम से लपेटें)।
अपने बच्चे के कमरे को शांत रखें और रोशनी कम करें।
अपने बच्चे को स्तनपान कराएं। बच्चे को जबरदस्ती दूध न पिलाएं।
अपने बच्चे को शांत करने की कोशिश करें।
आपके बच्चे के घर आने के बाद, उसे उसके सभी फॉलो-अप और वेल-बेबी चेकअप के लिए ले जाएं, भले ही वह पहले से स्वस्थ नज़र आ रहा हो। ऐसे में आपके बच्चे की निम्नलिखित जांच जारी रह सकती है :-
विकासात्मक देरी
मोटर और सीखने के कौशल और व्यवहार के साथ समस्याएं
पोषण और वृद्धि में समस्याएं
सुनने और देखने में समस्या
हानिकारक पदार्थों के उपयोग सहित घरेलू समस्याएं।
क्या नवजात संयम सिंड्रोम को रोका जा सकता है? Can neonatal abstinence syndrome be prevented?
हाँ, नवजात संयम सिंड्रोम को बड़ी आसानी से रोका जा सकता। यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती होने के बारे में सोच रही हैं, तो नवजात संयम सिंड्रोम को रोकने का सबसे अच्छा तरीका दवाओं का उपयोग नहीं करना है।
यदि आप ड्रग्स लेते हैं और गर्भवती होने की योजना बना रहे हैं, तो सेक्स के दौरान गर्भनिरोधक का उपयोग तब तक करें जब तक आप दवा छोड़ न दें। इससे आपको बच्चे को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी दवा से छुटकारा पाने के लिए समय मिलेगा।
यदि आप ड्रग्स लेते हैं और गर्भवती हैं, तो रोकने के सर्वोत्तम तरीके के बारे में अपने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से बात करें। एक ही बार में नशीले पदार्थों को छोड़ने से आपके और आपके बढ़ते बच्चे के लिए गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। आपका डॉक्टर आपको दवा-सहायता प्राप्त उपचार (एमएटी) या किसी अन्य विधि का सुझाव दे सकता है जिससे आपको छोड़ने में मदद मिल सके।
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