घुटनों में दर्द होना आज आम बात हो गई है । पहले-पहले यह रोग उम्रदराज़ लोगों में देखे जाते थे लेकिन अब यह नौजवानों में भी होने लगा है । आज के दौड़ते-भागते जीवन में बहुत कम लोग ऐसे हैं जो घुटनों में होने वाले दर्द से पीड़ित नहीं हैं ।
एक हैरान करने वाली बात यह है कि चिकित्सा और तकनीक में आज एडवांस होने के बावजूद भी घुटनों के दर्द का कोई स्थाई इलाज किसी के पास नहीं है ।आमतौर पर घुटनों में दर्द तीन प्रकार से होता है ।
चोट के कारण
गठिया
वजन बढ़ने के कारण
जीवन में ऐसा हर किसी के साथ कईं बार होता है कि राह चलते, घर पर बैठे हुए, खेलते हुए, वाहन चलाते हुए, फिसलने की वजह से या दुर्घटनावश कभी-कभी घुटना चोटिल हो जाता है । ऐसा होना एक समान्य-सी घटना है जो आए दिन होती ही रहती है और बाहरी चोट लगने पर हम इसे मामूली समझने की भूल भी कर लेते हैं ।
दुर्घटनावश लगी ऐसी चोटों में हमें कईं दिनों तक दर्द का आभास होता रहता है, लेकिन हम इसपर ध्यान नहीं देते और जब दर्द बड़ जाता है तब कुछ घरेलू इलाज जैसे– आइसिंग या गर्म पट्टी,नी कैप लगाना और क्रेप बैंडेज बांधने जैसे तरीके अपनाते हैं परंतु किसी डॉक्टर से परामर्श नहीं करते ।
हम सबको इसका आभास नहीं कि यह कितना जोखिम भरा हो सकता है । यदि हम कुछ बातों पर ध्यान दें, तो छोटी-मोटी चोट से उपजे दर्द से छुटकारा पा सकते हैं ।
घुटने में गठिया होना एक गंभीर स्टेज है और इसकी वजह एक ही है – लापरवाही । जब घुटनों का दर्द लंबे समय तक रहता है, तो गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है । गठिया घुटने में चोट, बढ़ती उम्र, मोटापे, कमजोर हड्डियों, डायबिटीज और शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ जाने के कारण होता है । अगर आपके शरीर में भी यह सब समस्याएं है तो बहुत संभावना है कि आपको गठिया हो सकता हैं। अगर घुटनों में गठिया बढ़ जाए तो रोगी को असहनीय पीड़ा के साथ-साथ घुटने खराब होने की चिंता भी लगी रहती है ।
घुटने दर्द के जिनते भी मालले सामने आते हैं, उनमें से 80 प्रतिशत की वजह बढ़ा हुआ वजन यानि मोटापा होता है । इसमें हैरत की बात नहीं है कि यह क्यों होता है । घुटनों में वजन सहने की अपनी एक सीमा होती है और जब यह सीमा टूट जाती है तो घुटने जवाब दे देते हैं । उसके बाद व्यक्ति दवाईयों और सहारे के बिना चलने में असमर्थ हो जाता है।
भारत में घुटनों के दर्द से पुरुषों से ज्यादा महिलाएं परेशान हैं और अब यह रोग महिलाओं में बहुत आम हो चुका है । महिलाएं ज्यादातर घुटनों में ऑस्टियोअर्थराइटिस से परेशान रहती हैं। इसी कारण कईं बहुत कम उम्र में ही महिलाओं को चलने-फिरने की परेशानी आने लगती है । परंतु यदि इलाज शुरुआती स्टेज में करवा लिया जाए तो जोड़ों के दर्द, गठिया और अर्थराइटिस से बचा जा सकता है ।
इसके लिए ज़रुरी है कि महिलाएं अपना ख्याल रखें, विशेषकर खाने-पीने और व्यायाम में बहुत ध्यान देने की ज़रुरत है । घुटनों को सहारा देने वाले जोड़ों या मांसपेशियों का व्यायाम करने से दर्द में राहत मिलती है ।
यह एक आवश्यक सूचना है । घुटनों की सिकाई करने की लोगों को जानकारी नहीं होती । घुटनों या शरीर के किसी भी भाग में कोई दर्द हो, वह बिना जाने उसकी सिकाई शुरु कर देते हैं । याद रखिए कि अगर घुटने में दर्द अधिक हो तो आइसिंगयानि बर्फ की सिकाई करनी चाहिए ।
अगर दर्द का चोट पुरानी और सहन योग्य है, तब गर्म पानी की सिकाई करना ठीक है। यदि अर्थराइटिस है तो डॉक्टरी परामर्श द्वारा मिली दवाई राहत देने का एकमात्र उपाय है, लेकिन दिक्कत यह है कि अधिक दवाईयों का सेवन शरीर को नुकसान देता है । दवाईयों का अधिक सेवन किडनी और लीवर को डैमेज कर सकता है।
याद रहे कि अगर घुटनों में चोट लगी है, कोई अंदरुनी घाव है जो पीड़ा दे रहा है तो उस समय आइसिंग का प्रयोग करें और अगर दर्द पुराना है तो गर्म या गुनगुने पानी से सिकाई करें । क्योंकि अगर घुटने का दर्द एडवांस स्टेज पर पहुंच गया तो घुटने की सर्जरी के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचता ।
इन सब बातों के अलावा यह भी ध्यान रहे कि घुटनों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना है । साथ ही साथ किसी डॉक्टर से परामर्श लेते रहिए । घुटनों में हो रहे दर्द का यदि सही समय पर इलाज न किया जाए तो घुटने में गठिया होने का खतरा बन जाता है ।
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