स्लीप एपनिया के कारण, लक्षण, इलाज और प्रकार| Sleep Apnea in Hindi

Written By: user Dr. KK Aggarwal
Published On: 28 Sep, 2021 1:15 PM | Updated On: 21 Nov, 2024 3:28 PM

स्लीप एपनिया के कारण, लक्षण, इलाज और प्रकार| Sleep Apnea in Hindi

स्लीप एपनिया के कारण, लक्षण, इलाज और प्रकार

स्लीप एपनिया अर्थात सोते समय सांस लेने में रुकावट आना। यह एक ऐसे बीमारी है जिसमे व्यक्ति की सांस नींद में ही रुक जाती है और उन्हें पता भी नहीं चलता है। नींद में सांस रुकने की यह तकलीफ कुछ सेकंड्स से लेकर 1 मिनट तक हो सकती है। स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोग अधिकतर जोर से खराटे लेते है लेकिन हर कोई  खराटे लेना वाला व्यक्ति स्लीप एपिनिया बीमारी से ग्रस्त नहीं रहता है। इस बीमारी में सांस लेने वाली नली के ऊपरी मार्ग में रुकावट होने की वजह से वायु का प्रवाह सही से नहीं होता है। यदि रोगी के सांस लेने में रुकावट देर तक रहती है तो खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।


स्लीप एपनिया के कारण

स्लीप एपिनिया के अनेक कारण है।

1. शरीर में अधिक मोटापा होना।

2. टॉन्सिल के आकार का बढ़ा होना।

3. किडनी से सम्बन्धित समस्या

4. बच्चे का समय से पहले जन्म होना।

5. मस्तिष्क में संक्रमण।

6. स्ट्रोक।

7. तंत्र तंत्रिका को प्रभावित करने वाली बीमारियों जैसे न्यूरोमस्कुलर रोग।


स्लीप एपनिया के लक्षण

रोगी में निम्नलिखित लक्षणों से स्लीप एपिनिया की समस्या को समझा जा सकता है।

1. सांस लेने में रुकावट आना।

2. खराटे लेना

3. थकान लगना

4. दिन के समय अधिक नींद आना

5. पेशाब के लिए रात में अक्सर जागना

6. ध्यान रखना, सतर्कता और एकाग्रता में कमी होना


स्लीप डिसॉर्डर (नींद विकार) : स्लीप डिसॉर्डर के प्रकार, लक्षण

स्लीप एपनिया का इलाज

 विभिन्न प्रकार के उपाय को अपनाकर स्लीप एपनिया का इलाज किया जा सकता है

1. सीपीएपी मशीन का प्रयोग करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती यह स्लीप एपनिया के इलाज के लिए आवश्यक होती है।

2. स्लीप एपनिया से ग्रस्त रोगी के लिए सोते समय टंग रिटेनिंग और माउथपिस का प्रयोग करने की सलाह देते है। यह सांस लेने वाली नली के उपरी वायु मार्ग में आने वाली रुकावट को कम करने खोलने में मदद करता है।

3. डॉक्टर की सलाह पर मुंह और जीभ की थेरेपी मांसपेशियों को मजबूत करती है। यह थैरेपी स्लीप एपनिया के इलाज के लिए कारगर साबित होती है।


स्लीप एपनिया के प्रकार।

स्लीप एपनिया के सिर्फ दो ही प्रकार होते है

1ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया: यह स्लीप एपनिया का पहला और सामान्य प्रकार है। इस समस्या में व्यक्ति के सोते समय वायु मार्ग में रुकावट के दौरान सांस लेने में परेशानी होती है। जिसके कारण अधिकतम लोग जोर से खराटे लेते है।

2सेंट्रल स्लीप एपनिया:- इस रोग से ग्रस्त रोगी का मस्तिष्क सांस को नियंत्रित करने वाली मासपेशियों में संकेत भेजने में विफल हो जाता है जिसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है।

3ऑब्सट्रक्टिव और सेंट्रल स्लीप एपनिया का एक साथ होना: यदि किसी रोगी में स्लीप एपनिया की यह दोनों समस्याएं एक साथ हो जाती है तो उसे मिक्स स्लीप एपनिया कहा जाता है।


स्लीप एपनिया को कम करने बचाव के उपाय

1. मोटापा कम करना: स्लीप एपनिया को कम करने बचाव के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है वजन बढ़ने के साथ साथ स्लीप एपनिया के बढ़ने की भी संभावना बढ़ जाती है क्यूंकि अधिकत वजन मोटापा से गले के संकुचन में परेशानी होती है।

2शारीरिक गतिविधि: प्रत्येक दिन 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से स्लीप एपनिया के लक्षणों को दूर किया जा सकता है।

3. धूम्रपान और शराब का सेवन ना करे: धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए इनकी वजह से सांस लेने की मांसपेशियों और गले के पिछला हिस्सा शिथिल हो जाता है।


ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बारे में सब जाने

स्लीप एपनिया का टेस्ट

स्लीप एपनिया के लक्षणों के बारे में जानने के लिए कुछ टेस्ट या परीक्षण निम्नलिखित है।

1. इस परीक्षण में डॉक्टर रोगी के सोने के समय एक उपकरण का प्रयोग करते है यह उपकरण अनेक गतिविधि और स्तर पर नियंत्रण रखता है जैसे मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े और हाथ पैरो की गतिविधि और खून में ऑक्सीजन का स्तर की निगरानी इसी उपकरण की मदद से होती है।


2. घरेलू परीक्षण:- डॉक्टर की सलाह पर स्लीप एपनिया की जांच आसानी से घर में भी हो सकती है जैसे हृदय की गति, खून में ऑक्सीजन का स्तर और सांस लेने का तरीका शामिल है। स्लीप एपनिया से ग्रस्त रोगी के ऑक्सीजन का स्तर सोते समय कम हो जाता है और

जागते समय ज्यादा होता है।


स्लीप एपनिया को बढ़ाने वाले जोखिम कारक

1. गर्दन का मोटा होना: यदि किसी व्यक्ति की गर्दन मोटी है तो उनका वायुमार्ग संकुचित रहता है जिसकी वजह से स्लीप एपनिया के बढ़ने का खतरा बना रहता है।

2. अधिक उम्र:- उम्र बढ़ने के साथ साथ स्लीप एपनिया के जोखिम भी बढ़ने लगते है।

3. शराब दर्द निवारक दवाईयां: इनका प्रयोग करने की वजह से गले के उत्तक शिथिल हो जाते है जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत वायु मार्ग में रुकावट की समस्या आती है।

4. हृदय सम्बन्धित रोग: जिन व्यक्तियों को हृदय से संबंधित रोग होते है उनमें स्लीप एपनिया के जोखिम का खतरा ज्यादा होता है।


स्लीप एपनिया से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. खराटे लेना क्या स्लीप एपनिया के लक्षण है?

 स्लीप एपनिया से ग्रस्त अधिकतर रोगी जोर से खराटे लेते है लेकिन हर कोई खराटे लेने वाला व्यक्ति स्लीप एपनिया से ग्रस्त नहीं रहता है इसके लिए स्लीप एपनिया से सम्बन्धित लक्षणों की जांच करना जरूरी है


2. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण क्या होता है?

सोते समय वायु प्रवाह में रुकावट आना सांस लेने में परेशानी होना यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण होते है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगियों को  कुछ सैकंड से लेकर कुछ मिनट तक सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जोर से खराटे लेना भी इसके लक्षण होते है लेकिन यह अधिक गंभीर होते है।


स्लीप पैरालिसिस - कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम


user
Dr. KK Aggarwal

Recipient of Padma Shri, Vishwa Hindi Samman, National Science Communication Award and Dr B C Roy National Award, Dr Aggarwal is a physician, cardiologist, spiritual writer and motivational speaker. He was the Past President of the Indian Medical Association and President of Heart Care Foundation of India. He was also the Editor in Chief of the IJCP Group, Medtalks and eMediNexus

 More FAQs by Dr. KK Aggarwal
Logo

Medtalks is India's fastest growing Healthcare Learning and Patient Education Platform designed and developed to help doctors and other medical professionals to cater educational and training needs and to discover, discuss and learn the latest and best practices across 100+ medical specialties. Also find India Healthcare Latest Health News & Updates on the India Healthcare at Medtalks