जब कोई महिला गर्भवती होती है तो वह दौर उसके जीवन के सबसे खुबसूरत पलों में से एक होते हैं। इस दौरान महिला अपने अजन्मे शिशु के सबसे करीब होती है। इस समय न केवल एक महिला की जिन्दगी में बदलाव हो रहा होता है, बल्कि एक परिवार में भी काफी कुछ बदलने वाला होता है। लेकिन काफी बार कुछ ऐसी स्थितियां आ जाती है जिसकी वजह से गर्भवती महिला को कई गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसके चलते उन्हें मृत शिशु को जन्म देना पड़ता है। एक मृत शिशु को जन्म देना स्टिलबर्थ कहलाता है। एक अजन्मे शिशु की मृत्यु होना सच में काफी गंभीर स्थिति है, इसकी वजह से गर्भवती महिला के ऊपर ने केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से बुरा असर पड़ता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या होता क्यों है? इस लेख के जरिये हम आज स्टीलबर्थ के विषय पर विस्तार से बात करेंगे।
गर्भ धारण करने के 20 वें सप्ताह में या इसके बाद माँ के गर्भ में ही हुई शिशु की मृत्यु को स्टिलबर्थ कहा जाता है। प्रसव के दौरान गर्भाशय हुई शिशु की मृत्यु को भी स्टिलबर्थ यानि मृत जन्म कहा जाता है। जब ऐसा गर्भ धारण की शुरुआत में हो जाए तो उसे गर्भपात (miscarriage) भी कहा जाता है। लेकिन स्टिलबर्थ गर्भपात से कहीं ज्यादा दर्दनाक स्थिति है।
स्टिलबर्थ को भी गर्भावस्था की लंबाई के अनुसार तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है :-
20 से 27 सप्ताह : प्रारंभिक मृत जन्म (early stillbirth) – इसे गर्भपात (abortion) के रूप में भी देखा जाता है।
28 से 36 सप्ताह : लेट स्टिलबर्थ (late stillbirth)
37 सप्ताह के बाद : टर्म स्टिलबर्थ (term stillbirth)
जैसे-जैसे चिकित्सा विज्ञान आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे स्टिलबर्थ की समस्या भी लगातार कम होती जा रही है। भारत ने पिछले दो दशकों में मृत जन्म दर को कम करने में पर्याप्त प्रगति की है। आकड़ों की माने 2019 में प्रति 1,000 जन्मों पर यह दर घटकर 13.9 हो गई, जो 2000 में 29.6 थी, इसके अनुसार स्टिलबर्थ के मामलों में 53 प्रतिशत की कमी आई है। लैंसेट जो कि एक वैश्विक चिकित्सा पत्रिका है उसने वर्ष 2015 में अपनी एक शोध पत्रिका में छापा था कि भारत में एक वर्ष के भीतर करीब 5 लाख 92 हज़ार मृत बच्चों ने जन्म लिया। यह आकड़ा काफी चौका देने वाला है, क्योंकि इससे पता चलता है कि आज भी देश भर में स्वास्थ्य सेवाएँ ठीक से हर महिला तक नहीं पहुँच पा रही है।
मृत बच्चों को जन्म देने की समस्या सबसे ज्यादा दूरदराज गावों, पिछड़े क्षेत्रों और जन जातीय समूहों में ज्यादा देखने को मिलती है। क्योंकि इन लोगों के पास स्वास्थ्य सेवाएँ ठीक से उपलब्ध नहीं है। वहीं ऐसे इलाकों में गर्भवती महिलाओं को पौषक आपूर्ति नहीं हो पाती। इंडिया स्पेंड नामक एक वेबसाइट पर लिखे एक लेख में एक महिला जिसका नाम शांता है वह बताती है कि जब वह गर्भवती थी तो उसे अचानक से दर्द होना शुरू हो गया, जिससे वह समझ गई कि अब बच्चे के जन्म का समय हो गया है। लेकिन उसके घर से अस्पताल ऑटो रिक्शा से भी 20 किलोमीटर दूर स्थित था, जब तक वह वहां पहुँचती तब तक बच्चे की मृत्यु हो चुकी थी, वह बताती है कि वह एक लकड़ा था। इसी तरह अन्य महिला अंबिका बताती है कि उसे गर्भ धारण के समय से ही ठीक से चिकित्सीय सलाह नहीं मिल पाई वहीं वह मधुमेह (diabetes) से भी जूझ रही थी। अंबिका ने बताया कि वह जहाँ रहती है वहां से अस्पताल काफी दूर है और इसी कारण उसके बच्चे की जन्म से पहले ही मृत्यु हो गई। आकड़ों के अनुसार भारत में फ़िलहाल इस स्थिति में भले ही सुधार नज़र आ रहे हैं लेकिन अभी इस ओर अभी काफी काम करने की जरूरत है ताकि कोई भी माँ अपने बच्चे को जन्म से पहले न खोएं।
दुर्भाग्यवश, फ़िलहाल तक इस बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है कि आखिर जन्म से पहले शिशु की मृत्यु कैसे हो जाती है। हाँ, लेकिन निचे वर्णित कुछ कारण है जो कि जन्म से पहले शिशु की मृत्यु का कारण बन सकते हैं :-
गर्भावस्था और प्रसव संबंधित जटिलताएं Pregnancy and labor complications
कुछ परिस्थितियां जन्म से पहले बच्चे के लिए चीजों को जोखिम भरा बना सकती हैं। इनमें से कुछ हैं:
प्रीटरम लेबर, संभवतः गर्भावस्था में जटिलताओं के कारण होता है
42वें सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली गर्भावस्था
गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होना
गर्भावस्था के दौरान दुर्घटना या चोट लगना (पेट के आसपास)
गर्भावस्था और प्रसव संबंधी जटिलताएं आमतौर पर स्टिलबर्थ का कारण होती हैं जब प्रसव 24 वें सप्ताह से पहले होता है।
प्लेसेंटा की समस्याएँ Placenta problems
प्लेसेंटा बच्चे को ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, इसलिए अगर इसमें कुछ भी खामी या बदलाव हुआ तो इससे बच्चे को जोखिम हो सकता है। सभी मृत जन्मों के लगभग एक चौथाई के लिए प्लेसेंटा की समस्याएं जिम्मेदार हो सकती हैं। इन समस्याओं में खराब रक्त प्रवाह, सूजन और संक्रमण शामिल हो सकते हैं। एक अन्य स्थिति, प्लेसेंटल एब्डॉमिनल (placental abruption) है, यह तब होती है जब प्लेसेंटा जन्म से पहले गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है।
बच्चे में जन्म दोष और अन्य स्थितियां Birth defects and other conditions in the baby
अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट (National Institute of Child Health and Human Development) का अनुमान है कि हर 10 स्टिलबर्थ में से लगभग 1 को जन्म दोषों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें शामिल हो सकते हैं:
भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध
आनुवंशिक स्थितियां
आरएच असंगति
संरचनात्मक दोष
गर्भ धारण के समय आनुवंशिक दोष भी मौजूद होते हैं और यह भी शिशु की मृत्यु का कारण बन सकते हैं। अन्य जन्म दोष पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका कारण हमेशा ज्ञात नहीं होता है। गंभीर जन्म दोष या कई जन्म दोष बच्चे के लिए जीवित रहना असंभव बना सकते हैं।
संक्रमण Infection
मां, बच्चे या प्लेसेंटा में संक्रमण से मृत शिशु का जन्म हो सकता है। स्टिलबर्थ के कारण के रूप में संक्रमण 24वें सप्ताह से पहले अधिक आम है। निम्नलिखित संक्रमण स्टिलबर्थ का खतरा बढ़ा सकते हैं :-
साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी) Cytomegalovirus (CMV)
पांचवा रोग (erythema infectiosum)
जननांग परिसर्प (genital herpes)
लिस्टिरिओसिज़ (listeriosis)
उपदंश (syphilis)
टोक्सोप्लाज़मोसिज़ (toxoplasmosis)
गर्भनाल की समस्या Umbilical cord problems
यदि गर्भनाल में गांठ या निचोड़ा (squeezed) हुआ हो तो ऐसे में बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल सकती है। स्टिलबर्थ के कारण के रूप में गर्भनाल की समस्याएं गर्भावस्था में देर से होने की संभावना अधिक होती है।
मातृ स्वास्थ्य Maternal health
मां का स्वास्थ्य मृत जन्म में योगदान दे सकता है। दो स्वास्थ्य स्थितियां जो आमतौर पर दूसरी तिमाही के अंत में और तीसरी की शुरुआत में उत्पन्न होती हैं, इनमें प्रीक्लेम्पसिया और क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या प्रमुख है।
अन्य समस्याएँ Other problems
मधुमेह
मोटापा
थ्रोम्बोफिलिया Thrombophilia
थायराइड विकार
अस्पष्टीकृत मृत जन्म Unexplained stillbirth
अस्पष्टीकृत मृत जन्म गर्भावस्था में देर से होने की संभावना अधिक होती है। अज्ञात को स्वीकार करना बहुत कठिन हो सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं को दोष न दें।
आपके गर्भ में पल रहा शिशु जीवित है या नहीं इस संबंध में सबसे पहले एक माँ को ही पता चल सकता है। अगर किसी महिला के गर्भ में उसके शिशु की मृत्यु हो चुकी है तो उसके निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं जिनकी मदद से इस बारे में पता लगाया जा सकता है :-
अगर गर्भवती महिला को पेट में अचानक से चोट, आघात या झटके महसूस होने लगा जाए यह स्टिलबर्थ का संकेत है।
अगर गर्भवती महला को पेट या पीठ में अचानक से बहुत तेज दर्द या क्रैम्पिंग महसूस होना शुरू हो जाए।
अगर आपके शिशु ने गर्भ के अंदर घूमना शुरू कर दिया था और वह अचानक से गर्भ में घूमना या हलचल करना बंद कर दें या फिर एनी दिनों की तरह कोई हलचल न करें तो यह शिशु कि मृत्यु का लक्षण है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के चेहरे, हाथ या पैर में सूजन आना सामान्य बात है। लेकिन अगर यह सूजन सामान्य से अचानक से ज्यादा बढ़ जाए और साथ ही उसमें दर्द होना शुरू हो जाए तो यह स्टिलबर्थ का सटिक लक्षण है।
अगर गर्भवती महिला को सामान्य से ज्यादा और लगातार जी मिचलाने और उल्टी की दिक्कत ज्यादा हो रही हो जिस वजह से वह कुछ खा-पी न पा रही हों तो उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए।
अगर गर्भवती महिला को किसी अचानक से ब्लीडिंग या फिर फिर वजाइना से होने वाला डिस्चार्ज सामान्य से अधिक होने लग जाए तो भी यह स्टिलबर्थ का संकेत हैं।
अगर गर्भवती महिला को सामान्य से ज्यादा चक्कर आने लगे, देखने में मुश्किल महसूस होनी शुरू हो जाए या फिर इन समस्याओं के साथ या अलग से लंबे समय तक सिर दर्द बना रहे तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अगर गर्भवती महिला को बुखार हो और कंपकंपी महसूस हो रही हो। अगर आपको अंदर ही अंदर महसूस हो रहा हो मानो सबकुछ ठीक नहीं है। तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, यह शिशु की मृत्यु का संकेत है।
स्टिलबर्थ किसी भी उम्र, पृष्ठभूमि, या जातीयता की गर्भवती महिलाओं को हो सकता है। इसके कारण अप्रत्याशित हो सकते हैं, एक तिहाई मामले अस्पष्टीकृत हो जाते हैं। हालांकि, कुछ ऐसे कारक है जो कि जन्म से पहले शिशु की मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अगर आप गर्भवती है तो आप निम्नलिखित जोखिम कारकों को काबू कर इस दुर्घटना को टाल सकती है :-
धूम्रपान करना, शराब पीना या नशीली दवाओं का उपयोग करना।
एक बड़ी मां हैं (उम्र 35 या उससे अधिक)।
अगर पहले प्रसव से जुड़ी समस्याएँ रही हो।
कुपोषित गर्भवती होने पर ।
एक से ज्यादा शिशु गर्भ में होना या पहले भी कई बार बच्चों को जन्म दिया हो।
पहले से स्वास्थ्य की स्थिति है।
मोटे हैं (बॉडी मास इंडेक्स 30 से ऊपर)।
अगर उच्च रक्तचाप (hypertension) या मधुमेह की समस्या है तो काबू करें।
इन्फेक्शन का खतरा।
कोई गंभीर चोट लगी हो।
स्टिलबर्थ की तरह, गर्भपात भी गर्भावस्था का नुकसान है। हालाँकि, जबकि स्टिलबर्थ गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद बच्चे का नुकसान होता है, गर्भपात 20 वें सप्ताह से पहले होता है। गर्भपात में महिला को मुख्य रूप से शारीरिक समस्याओं के होने की आशंका ज्यादा होती है। जबकि स्टिलबर्थ में महिला को शारीरिक समस्याओं के अलावा मानसिक समस्याओं का ज्यादा सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को अवसाद का भी सामना करना पड़ सकता है, जिससे उभर पाना काफी मुश्किल हो सकता है। ऐसी कई फ़िल्में है जिसमें ऐसी स्थिति को दर्शाया गया हैं।
स्टिलबर्थ का निदान कैसे किया जाता है? How is stillbirth diagnosed?
अगर गर्भवती महिला को स्टिलबर्थ के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि इस बात की पुष्टि कि जा सके और यह देखा जा सके कि स्थिति गंभीर है या नहीं और अगर है तो कितनी।
एक बार जब लक्षणों की पुष्टि हो जाती है आपका डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच के लिए एक गैर-तनाव परीक्षण कर सकता है। अल्ट्रासाउंड (ultrasound) इमेजिंग टेस्ट बात की पुष्टि कर सकती है कि दिल ने धड़कना बंद कर दिया है और आपका शिशु हिल नहीं रहा है।
आगे क्या होता है? What happens next?
यदि आपका डॉक्टर निर्धारित करता है कि आपके बच्चे की मृत्यु हो गई है, तो आपको अपने विकल्पों पर चर्चा करने की आवश्यकता होगी। यदि आप कुछ नहीं करते हैं, तो कुछ हफ्तों के भीतर लेबर पैन अपने आप शुरू होने की संभावना होती है।
एक अन्य विकल्प लेबर पैन को प्रेरित करना है। यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो तुरंत लेबर पैन को प्रेरित करने की सिफारिश की जा सकती है। आप सिजेरियन डिलीवरी पर भी चर्चा कर सकते हैं। इस बारे में सोचें कि आप अपने बच्चे के जन्म के बाद क्या करना चाहती हैं। आप शायद अकेले समय बिताना चाहें और अपने बच्चे को गोद में लेना चाहें। यह स्थिति सच में काफी दयनीय होती है ऐसे में कुछ परिवार बच्चे को नहलाना और कपड़े पहनाना चाहते हैं, या तस्वीरें लेना चाहते हैं।
यह बहुत ही व्यक्तिगत निर्णय हैं, इसलिए विचार करें कि आपके और आपके परिवार के लिए क्या सही है। अपने डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारियों को यह बताने में संकोच न करें कि आप क्या करना चाहते हैं। इस दौरान आपको और आपके परिवार को जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि मृत शिशु की वजह से महिला को संक्रमण होने की आशंका बनी रहती है।
स्टिलबर्थ की घटना के बाद प्रसव कैसे होता है? How does childbirth happen after the occurrence of stillbirth?
इस गंभीर घटना के बाद प्रसव मुख्य रूप से सिजेरियन होता है, लेकिन कई मामलों में नॉर्मल डिलीवरी भी करवाई जा सकती है। इस मामले में परिवार और गर्भवती महिला की राय महत्वपूर्ण होती है।
क्या स्टिलबर्थ बांझपन का कारण बनता है? Does Stillbirth Cause Infertility?
ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोगों में यह सामान्य धारणा है कि गर्भ में ही बच्चे का मर जाना बांझपन का कारण बनना माना जाता है। इतना ही नहीं, भारत में गर्भवती महिला को एक कलंक के रूप में भी देखा जाता है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है, स्टिलबर्थ का बांझपन से कोई नाता नहीं है। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें स्टिलबर्थ बांझपन का कारण बना हो। हाँ, लेकिन कई मामलों में महिला को अगले गर्भ धारण के दौरान कुछ समस्याएँ हो सकती है। यह समस्याएँ मानसिक तौर पर ज्यादा होती है क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कहीं इस बार भी उन्हें उस स्थिति न गुजरना पड़े। लगातार मानसिक (mental health) उथल-पुथल की वजह से अक्सर महिलाओं को शारीरिक समस्याएँ हो सकती है, जिसमें मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम है। ऐसे में उन्हें डॉक्टर से बात करनी चाहिए और साथ इस मन में चल रहे सवालों के बारे में अपने दोस्तों, परिवार और पति से बात करनी चाहिए।
एक मरे हुए शिशु को जन्म देने के बाद मुझे शारीरिक तौर पर ठीक होने में कितना समय लगेगा? How long will it take for me to physically recover after giving birth to a dead baby?
शारीरिक रूप से ठीक होने का समय कई कारकों पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर इसमें छह से आठ सप्ताह लगते हैं। इसमें बहुत भिन्नता है, इसलिए कोशिश करें कि दूसरों के अनुभवों से खुद को न आंकें।
प्लेसेंटा की डिलीवरी आपके दूध पैदा करने वाले हार्मोन को सक्रिय कर देगी। दूध रुकने से पहले आप 7 से 10 दिनों तक दूध का उत्पादन कर सकते हैं। यदि यह आपको परेशान कर रहा है, तो अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में बात करें जो स्तनपान रोक देती हैं।
स्टिलबर्थ के बाद मानसिक रूप से मुझे ठीक होने में कितना समय लगेगा? How long will it take for me to recover mentally after stillbirth?
आपने एक अप्रत्याशित, महत्वपूर्ण नुकसान का अनुभव किया है, और आपको शोक करने के लिए समय की आवश्यकता होगी। यह अनुमान लगाना असंभव है कि आपके दुःख को दूर करने में कितना समय लगेगा। यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं को दोष न दें या "इस पर काबू पाने" की आवश्यकता महसूस न करें। अपने तरीके से और अपने समय में शोक मनाएं। अपने साथी और अन्य प्रियजनों के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करें।
यह आपकी भावनाओं को जर्नल करने में भी मदद कर सकता है। यदि आप सामना करने में असमर्थ हैं, तो अपने चिकित्सक से एक दु: ख परामर्शदाता की सिफारिश करने के लिए कहें। प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षणों के लिए अपने चिकित्सक से मिलें, जैसे:
दैनिक अवसाद
जीवन में रुचि की हानि
भूख की कमी
सोने में असमर्थता
रिश्ते की कठिनाइयाँ
आप सी दौरान ऐसी महिलाओं से संपर्क करें जिन्होंने कभी इस स्थिति को जिया हो। वह ऐसी स्थिति से लड़ने में और इससे छुटकारा दिलाने में आपकी काफी मदद कर सकती है। आप चाहे तो कहीं घुमने जा सकती है, ताकि आपके आसपास के माहौल में बदलाव हो सके।
मैं कैसे पता लगा सकता हूँ कि मेरे मृत जन्म का कारण क्या है? How can I find out what is causing my stillbirth?
अगर आपने के मरे हुए बच्चे को जन्म दिया है तो आपको जल्द से जल्द इसके पीछे के कारण का पता लगाना चाहिए। स्टिलबर्थ के पीछे के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको निम्नलिखित जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं :-
रक्त परीक्षण Blood Tests :- रक्त परीक्षण की मदद से इस बारे में पता चलेगा कि क्या आपको प्रीक्लेम्पसिया, प्रसूति संबंधी कोलेस्टेसिस या मधुमेह है या नहीं।
गर्भनाल, झिल्लियों और प्लेसेंटा की जांच Examination of the umbilical cord, membranes and placenta :- यह ऊतक आपके भ्रूण से जुड़ जाते हैं। एक असामान्यता आपके बच्चे को ऑक्सीजन, रक्त और पोषक तत्व प्राप्त करने से रोक सकती है।
संक्रमण के लिए परीक्षण। Tests for infection :- डॉक्टर संक्रमण के परीक्षण के लिए आपकी योनि या गर्भाशय ग्रीवा से आपके मूत्र, रक्त या कोशिकाओं का एक नमूना लेंगे।
थायराइड फंक्शन टेस्ट Thyroid function test :- यह परीक्षण निर्धारित करेगा कि आपके थायरॉयड ग्रंथि में कुछ गड़बड़ है या नहीं।
आनुवंशिक परीक्षण Genetic tests :- आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता यह निर्धारित करने के लिए गर्भनाल का एक नमूना लेगा कि क्या आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक समस्याएं हैं।
आपका डॉक्टर मेडिकल रिकॉर्ड और शिशु की मृत्यु के आसपास की परिस्थितियों की भी समीक्षा करेगा। आपकी सहमति से, आपके बच्चे की मृत्यु का कारण निर्धारित करने के लिए एक शव परीक्षण किया जा सकता है। एक शव परीक्षा एक कुशल रोगविज्ञानी द्वारा की जाने वाली एक शल्य प्रक्रिया है। किसी भी विकृति से बचने के लिए चीरों को सावधानी से बनाया जाता है, और चीरों को बाद में शल्य चिकित्सा द्वारा ठीक किया जाता है। आपके पास अपने बच्चे पर किसी भी तरह के चीरे को खत्म करने के लिए शव परीक्षण को सीमित करने का अधिकार है जो आपके लिए असुविधाजनक है।
कुछ अस्पताल शिशु का शव परीक्षण नहीं करते हैं, इसलिए आपके बच्चे को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ सकता है। सुनिश्चित करें कि आप सहज महसूस करते हैं कि आपके बच्चे को कहाँ ले जाया जा रहा है। यदि आपकी इच्छा है तो आपको शव परीक्षण से इनकार करने का भी अधिकार है।
कुछ मामलों में एक शव परीक्षण की कानूनी रूप से आवश्यकता हो सकती है, जिसमें निम्न शामिल हैं:
ऑपरेशन के 24 घंटे के अंदर एक बच्चे की मौत हो गई।
एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मृत्यु के कारण को प्रमाणित नहीं कर सकता है।
एक बच्चा जीवित था और फिर अचानक उसकी मृत्यु हो गई।
क्या स्टिलबर्थ को रोका जा सकता है? Can a stillbirth be prevented?
आमतौर पर, एक मृत जन्म को रोका नहीं जा सकता है। यह अक्सर होता है क्योंकि बच्चे का विकास सामान्य नहीं था। पहले से मौजूद स्थितियों और जीवनशैली विकल्पों के प्रबंधन सहित मां के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करना, एक सफल गर्भावस्था की संभावना में सुधार करना। यदि आप जानते हैं कि आप उच्च जोखिम वाले हैं, तो आपको स्टिलबर्थ होने की संभावना भी कम है, नियमित अल्ट्रासाउंड और भ्रूण की हृदय गति की निगरानी के माध्यम से आपकी सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है। यदि आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को कोई समस्या मिलती है, तो वह आवश्यक होने पर आपके बच्चे की डिलीवरी जल्दी करवा सकते हैं।
मैं स्टिलबर्थ होने के अपने जोखिम को कैसे कम कर सकती हूं? How can I reduce my risk of stillbirth?
भले ही स्टिलबर्थ का को रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुहक उपायों की मदद से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। अगर अप गर्भवती है तो आप निम्नलिखित उपायों की मदद से स्टिलबर्थ के जोखिम को कम कर सकते हैं :-
नशीली दवाओं, धूम्रपान और शराब पीने से बचें।
यदि आपकी गर्भावस्था के दूसरे भाग में रक्तस्राव होता है, तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें।
गर्भवती होने से पहले, स्वस्थ वजन प्राप्त करें। यदि आप पहले से ही गर्भवती हैं, तो आहार और व्यायाम विकल्पों के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें।
अपने आप को हर संक्रमण से बचाएं।
कुछ प्रकार की मछली और कुछ प्रकार के पनीर सहित कुछ खाद्य पदार्थों से बचें। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा जांच लें कि आप जो भी मांस या मुर्गी खाते हैं वह अच्छी तरह से पका हुआ है।
किसी भी पेट दर्द, खुजली या योनि से खून बहने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से बात करें।
करवट लेकर सोएं, पीठ के बल नहीं। यदि आप 28 सप्ताह या उससे अधिक समय से गर्भवती हैं, तो आपकी पीठ के बल सोने से स्टिलबर्थ का खतरा दोगुना हो सकता है। यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि इससे फर्क क्यों पड़ता है, लेकिन विशेषज्ञों को संदेह है कि इसका आपके बच्चे को रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह से कुछ लेना-देना है।
अपने रक्त चाप और मूत्र सहित नियमित परीक्षण करवाएं। यह आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को यह देखने में मदद करेंगे कि क्या ऐसी कोई बीमारी या स्थितियां हैं जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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