एक व्यक्ति को पेशाब से जुड़ी कई समस्याएँ हो सकती है जो कि सामान्य से लेकर अति गंभीर तक हो सकती है। पेशाब से जुड़ी सबसे सामान्य समस्या है मूत्र पथ संक्रमण जिसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (Urinary tract infection) भी कहा जाता है। यह भले ही पेशाब से जुड़ी एक सामान्य समस्या क्यों न हो लेकिन आज भी लोग इस बारे में बहुत ही कम जानते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इसके बारे में लोग आपस में बात नहीं करते और इसे निषेध या कलंक के तौर पर देखते हैं। चलिए इस लेख के माध्यम से इस विषय में विस्तार से जानते हैं।
आम भाषा में कहा जाए तो पेशाब एक तरह का तरल अपशिष्ट उत्पाद (waste product) है जिसे किडनी द्वारा शरीर से बहार निकाला जाता है। पेशाब मुख्य रूप से पानी, नमक, इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे पोटेशियम और फास्फोरस और यूरिया और यूरिक एसिड नामक रसायनों से मिलकर बना है। हमारी किडनी जब रक्त को अपने फिल्टर्स की मदद से साफ़ करती है तो उस दौरान रक्त में मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को अलग कर देती है और यही अलग हुआ हिस्सा ही पेशाब कहलाता है।
आपने अभी ऊपर जाना कि हमारी किडनियां पेशाब कैसे बनाती है। चलिए अब जानते हैं हमारा यूरिनरी ट्रैक्ट सिस्टम कैसे काम करता है।
सबसे पहले आपको बता दें कि हमारी किडनी दिन भर खून साफ़ करने का काम करती है, इसका मतलब है कि वह दिन भर पेशाब भी बनाती है। किडनी जैसे-जैसे खून साफ़ करते हुए पेशाब बनाती है वैसे-वैसे पेशाब किडनी से बूंद-बूंद कर मूत्रवाहिनी (ureter) की मदद से लगातार बहते हुए मूत्राशय (urinary bladder) तक पहुँचता है। मूत्राशय मांसपेशियों से मिलकर बना है और यह किडनी द्वारा बनाए गये सारे पेशाब को अपने अंदर जमा कर के रखता है। जब मूत्राशय में पेशाब भरने लगता है तो वह एक गुब्बारे के समान फूलता है। इस कार्य में आपके मूत्राशय के चारों ओर की मांसपेशियों द्वारा मदद की जाती है जो कि आपके मूत्रमार्ग को घेरे रखती है। जब मूत्राशय में एक निश्चित मात्रा में पेशाब जमा हो जाता है यानि मूत्राशय भर जाता तब आपको पेशाब व्यक्ति को पेशाब करने की इच्छा महसूस होती है और आपके मूत्राशय की मांसपेशियाँ सिकुड़ (संकुचित हो) जाती है। इसके बाद मूत्रमार्ग (urethra) और श्रोणि (pelvis) के सतह की मांसपेशियाँ मूत्र को बाहर निकलने की अनुमति देकर आराम की स्थिति में पहुँच जाती है।
आपने ऊपर जाना कि पेशाब किडनी, मूत्रवाहिनी (ureter), मूत्राशय (urinary bladder), मूत्रमार्ग (urethra) और श्रोणि (pelvis) से होते हुए शरीर से बाहर निकलता है। अगर कोई जीवाणु खासतौर पर एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई) जीवाणु इस पुरे ट्रैक्ट के किसी भी अंग में पहुँच जाता है तो उसकी वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानि मूत्र पथ संक्रमण हो जाता है। एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई) एक प्रकार का बैक्टीरिया जो आमतौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) पथ में पाया जाता है। शरीर में पहले से मौजूद यह जीवाणु ज्यादा खतरनाक नहीं होता, लेकिन अगर यह शरीर से बहार से अंदर प्रवेश करता है तो ज्यादा खतरनाक साबित होता है। हालांकि, कभी-कभी अन्य बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन सबस एज्यादा महिलाओं को होता है और इसका मुख्य कारण है मूत्रमार्ग (urethra)। पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मूत्रमार्ग छोटा है जिसकी वजह से जीवाणु गुदा द्वार से मूत्र पथ में प्रवेश कर लेता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब मूत्र पथ किसी जीवाणु से संक्रमित हो जाए और उसकी वजह से पेशाब से जुड़ी समस्याएँ होना शुरू हो जाए तो उसे मूत्र पथ संक्रमण कहा जाता है। इस संक्रमण से सबसे ज्यादा मूत्रमार्ग और मूत्राशय प्रभावित होते हैं।
मूल रूप से मूत्र पथ संक्रमण तब होता हैं जब व्यक्ति अपनी निजी साफ-सफाई न रखें और त्वचा या मलाशय और योनि या लिंग के जरिये बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर लें। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDK) के अनुसार, शरीर आमतौर पर किसी व्यक्ति के मूत्राशय तक पहुंचने से पहले बैक्टीरिया को बाहर निकाल देता है। हालांकि, कुछ मामलों में, शरीर ऐसा करने में असमर्थ होता है, जिसके परिणामस्वरूप यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) सबसे आम तौर पर निम्नलिखित बैक्टीरिया के कारण होते हैं:
इशरीकिया कोली
प्रोटस मिराबिलिस
एन्तेरोकोच्चुस फैकैलिस
स्टेफिलोकोकस सैप्रोफाइटिकस
क्लेबसिएला निमोनिया
बैक्टीरिया के अलावा इन कारणों की वजह से मूत्र पथ संक्रमण हो सकता हैं :-
लगातार सेक्स करने से
बिना कंडोम के गुदा सेक्स करने से – having anal sex without a condom
यूरिनरी ब्लैडर को पूरी तरह से खाली करने में कठिनाई होने से
मूत्र मार्ग बाधित होने से – जैसे किडनी स्टोन (kidney stone)
मधुमेह होने के कारण
कैथेटर का उपयोग करने से – यह समस्या ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहती
पहले भी मूत्र पथ संक्रमण रहा हो
वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स होना। यह एक ऐसी स्थिति हैं जिसके कारण मूत्र पीछे की ओर बहता है, यानि किडनी की ओर जाने लगता है।
गुप्तांगों की ठीक से सफाई न करने के कारण
मल त्याग करने के बाद ठीक से सफाई न करने पर
सेक्स करने के बाद पेशाब न करने के कारण
पेशाब रोकने की आदत
गंदे शौचालय का प्रयोग करने से
किडनी से जुड़ी किसी समस्या के कारण
कम पानी पीने की आदत
जरूरत से ज्यादा पानी पीने के कारण – इससे किडनी पर काम का दबाव पड़ता है
पानी की जगह ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक या कोला लेने के कारण
शराब (alcohol) का ज्यादा सेवन करने के कारण
गंदे पानी से नहाने के कारण
पीरियड्स के कारण
गर्भावस्था के दौरान
यूरिनरी सिस्टम के किसी भी अंग में संक्रमण होने के कारण
यूरिनरी सिस्टम के किसी अंग में कैंसर सेल्स बनने के कारण
कम इम्यून सिस्टम होने के कारण
मूत्र कैथेटर का लंबे समय तक उपयोग, जिससे बैक्टीरिया को आपके मूत्राशय में प्रवेश करना आसान हो सकता है
लीवर (liver) संबंधित समस्या के कारण
प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढ़ना – इससे किडनी रोग भी हो सकता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन किसी भी उम्र और महिला व पुरुष दोनों को हो सकता है। लेकिन पुरुषों की तुलना में यूटीआई महिलाओं को ज्यादा होता है।
मूत्र पथ संक्रमण होने पर इसके लक्षण न केवल पेशाब से संबंधित होते हैं बल्कि और भी कई शारीरिक लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इस संक्रमण की पहचान कर पाना काफी आसान होता है, क्योंकि इस दौरान बहुत तेजी से पेशाब से जुड़ी समस्याएँ होना शुरू हो जाती है। सामान्य तौर पर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-
दुर्गन्ध वाला पेशाब
पेट दर्द और जलन होने
पेशाब के दौरान खून आना
दिन भर में कई बार उल्टियाँ होना
दिन भर में सामान्य से ज्यादा पेशाब आना
सोते समय पेशाब आना
सामान्य से पेशाब कम आना या पेशाब आना बंद होना
पेशाब करते समय तेज़ दर्द महसूस होना
मूत्र मार्ग में जलन के साथ दर्द होना
पेशाब के दौरान लिंग या योनी में दर्द महसूस होना
पेशाब का रंग हल्के पीले से लेकर लाल रंग तक होना
पेशाब के दौरान पीठ के निचले हिस्से और नाभि में तेज़ दर्द होना
गाढ़ा पेशाब आना (यह समस्या मधुमेह होने के दौरान भी हो सकती है)
पेशाब की धार कमजोर होना
यूटीआई होने पर उपरोक्त पेशाब से जुड़े लक्षणों के अलावा निम्नलिखित शारीरिक समस्याओं से जुड़े लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :-
सुस्ती रहना
हड्डियों से जुड़ी समस्याएँ होना
चिड़चिड़ापन होना
हृदय (heart) की धड़कन बढ़ना
त्वचा पीली पड़ना (jaundice)
उच्च रक्तचाप (hypertension) या निम्न रक्तचाप
दस्त लगाना – इससे निर्जलीकरण की समस्या बढ़ सकती है
बच्चों में यूटीआई होने पर उपरोक्त लक्षणों के अलावा निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :-
बुखार होना
ठीक से भोजन न करना
लगातार कमजोरी
उल्टी करना
बिस्तर गीला करना
चिडचिडापन होना
जो वृद्ध या वयस्क लोग कैथेटर का इस्तेमाल करते हैं उन्हें यूटीआई होने पर सामान्य लक्षणों के इतर निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :-
घबराहट
उलझन बने रहना
खुद को गीला करना
कंपकंपी लगना
झुनझुनाहट होना
हर व्यक्ति में दुसरे व्यक्ति से अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह लक्षण गंभीर से अतिगंभीर भी हो सकते हैं और बताए गये सभी लक्षण हर व्यक्ति में दिखाई नहीं देते।
निम्नलिखित कारकों की वजह से मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है :-
मधुमेह (diabetes)
गर्भवस्था (pregnancy)
प्रोस्टेट ग्रंथि का विकास
जन्म से असामान्य रूप से विकसित मूत्र संरचनाएं
महिलाओं में मूत्र पथ संक्रमण होने के अतिरिकित जोखिम कारक निम्नलिखित हैं :-
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को मूत्र पथ संक्रमण (urinary tract infection) की समस्या ज्यादा होती है। इसके पीछे निम्न वर्णित जोखिम कारक है :-
छोटा मूत्रमार्ग Shorter Urethra –
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर में मूत्रमार्ग काफी छोटा होता है जो कि योनी और गुदा (anal) के करीब होता है। यूटीआई विकसित करने वाले जीवाणु योनी और गुदा (anal) के करीब ही विकसित होते हैं इसलिए इसकी वजह से संक्रमण होने की संभवना बढ़ जाती है।
सेक्स Sex –
सेक्स करने की वजह से भी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है। यह खासतौर पर अगर आप मर्मज्ञ सेक्स (penetrating sex) करते हैं। मर्मज्ञ सेक्स (penetrating sex) करने के दौरान महिला मूत्र पथ पर दबाव पड़ता है जो कि गुदा (anal) के आसपास से बैक्टीरिया को मूत्राशय में ले जा सकता है। वहीं ओरल सेक्स (oral sex) करने से भी यह संक्रमण हो सकता है। इससे बचने के लिए आप ओरल सेक्स को शुरुआत में कर सकते हैं और साथ ही सेक्स के दौरान सफाई का भी विशेष ध्यान रखें। साथ ही सेक्स के बाद पेशाब करने से संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
शुक्राणुनाशकों Spermicides –
शुक्राणुनाशक यूटीआई के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, क्योंकि वह योनि माइक्रोबायोम (vaginal microbiome) को बाधित कर सकते हैं। शुक्राणुनाशकों (Spermicides) एक तरह की गर्भ निरोधक है जो कि महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाती है।
सेक्स के दौरान गैर-चिकनाई कंडोम का इस्तेमाल Use of non-lubricated condoms during sex –
गैर-चिकनाई वाले लेटेक्स कंडोम (latex condom) सेक्स के दौरान घर्षण को बढ़ा सकते हैं और त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं, इसकी वजह से यूटीआई का खतरा बढ़ सकता है।
डायफ्राम Diaphragms –
डायाफ्राम मूत्रमार्ग पर दबाव डाल सकता है। यह मूत्राशय के खाली होने को कम कर सकता है, बैक्टीरिया के विकास और संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
एस्ट्रोजन के स्तर में कमी Decrease in estrogen levels –
रजोनिवृत्ति के बाद, एस्ट्रोजन के स्तर में कमी योनि में सामान्य बैक्टीरिया को बदल देती है। इससे यूटीआई का खतरा बढ़ सकता है।
मूत्र पथ संक्रमण का निदान कैसे किया जा सकता है? How can a urinary tract infection be diagnosed?
समस्या कोई भी क्यों न हो उसकी जांच शुरू करने का सबसे पहला कदम होता है संबंधित बीमारी या समस्या के लक्षणों की पहचान करना। इसी तरह मूत्र पथ संक्रमण होने पर डॉक्टर सबसे पहले रोगी के अंदर लक्षणों की पहचान करते हैं और उसके बाद पेशाब के नमूने लिए जाते हैं ताकि संक्रमण की जांच और आकलन किया जा सके। कुछ मामलों में, एक डॉक्टर संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया के प्रकार की पहचान करने के लिए मूत्र को कल्चर कर सकता है।
यदि किसी को बार-बार यूटीआई होता है, तो डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए और नैदानिक परीक्षण करने की सलाह भी दे कर सकते हैं कि क्या शारीरिक या कार्यात्मक समस्याएं इसका कारण हैं। सामान्य तौर पर मूत्र पथ संक्रमण होने पर निम्नलिखित जांच करवाई जा सकती है :-
यूरिन कल्चर – इस जांच में पेशाब का नमूना लेकर उसमे बढ़ने वाले जीवाणुओं की गणना की जाती है। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि जीवाणु कितनी मात्रा में बढ़ रहे हैं या नहीं है। इस जांच का इस्तेमाल मूत्राशय व किडनी में संक्रमण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड (ultrasound) – अल्ट्रासाउंड जांच में ध्वनि तरंगों की मदद से यह पता लगाया जाता है कि किडनी के अंदर कोई गांठ तो नहीं बनी हुई है। यदि गांठ बनी हुई है तो वह कैंसर युक्त तो नहीं है या फिर उसमें कोई द्रव तो नहीं भरा है।
रक्त जांच (blood test) – रक्त जांच के द्वारा शरीर की कई स्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। मूत्र प्रणाली बाधित होने पर रक्त जांच द्वारा मूत्र पथ में संक्रमण, गुर्दे खराब होना, एनीमिया और खून बहना आदि स्थितियों का पता लगाया जाता है। इस जांच की मदद से रक्त में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों और रसायनों के बारे में भी पता लगाया जाता है। रक्त में रसायन बढ़ने से किडनी खराब हो सकती है।
डायग्नोस्टिक इमेजिंग Diagnostic Imaging : इसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी और एमआरआई स्कैनिंग, रेडिएशन ट्रैकिंग या एक्स-रे का उपयोग करके मूत्र पथ का आकलन करना शामिल है।
यूरोडायनामिक्स Urodynamics : यह प्रक्रिया निर्धारित करती है कि मूत्र पथ मूत्र को कितनी अच्छी तरह संग्रहीत और मुक्त करता है।
सिस्टोस्कोपी Cystoscopy : इस जाँच में डॉक्टर एक लंबी पतली ट्यूब के माध्यम से मूत्रमार्ग के माध्यम से डाले गए कैमरे के लेंस के साथ मूत्राशय और मूत्रमार्ग के अंदर देखते हैं कि क्या कोई क्षति हुई है या नहीं?
मूत्र पथ संक्रमण का उपचार कैसे किया जाता है? How is urinary tract infection treated?
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने पर इसका उपचार शुरू करने से पहले इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि संक्रमण किस तरह का है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन तीन तरह का हो सकता है :-
जीवाणु (सबसे आम)
वायरल
फंगल
इस बारे में जांच द्वारा जानकारी प्राप्त की जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी जांच करवाए, ताकि जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जा सके और इससे छुटकारा मिल सके।
एंटीबायोटिक दवाएं
वैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का उपचार करने के लिए दो तरीकों का खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, पहला है एंटीबायोटिक दवाएं और दूसरा है घरेलु उपचार। वायरल यूटीआई का इलाज एंटीवायरल नामक दवाओं से किया जाता है। अक्सर, एंटीवायरल सिडोफोविर वायरल यूटीआई के इलाज का विकल्प होता है। फंगल यूटीआई का इलाज एंटीफंगल नामक दवाओं से किया जाता है।
मूत्र पथ संक्रमण होने पर रोगी को अस्पताल में भी दाखिल किया जा सकता है। निम्नलिखित कुछ स्थितियों में ही संक्रमण रोगी को अस्पताल में दाखिल किया जा सकता है
अगर रोगी वृद्ध हो
अगर रोगी गर्भवती हो
पीरियड्स की स्थिति देखते हुए
किसी अन्य बीमार से जूझने पर हैं, जैसे – तेज बुखार, डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड आदि।
अगर संक्रमण रोगी कैंसर, मधुमेह, मल्टीपल स्केलेरोसिस, रीढ़ की हड्डी में चोट या अन्य गंभीर समस्याओं से जूझ रहा हो।
किडनी की पथरी या रोगी के मूत्र पथ में अन्य परिवर्तन हैं
हाल ही में मूत्र पथ की सर्जरी हुई हो
किसी गंभीर या सामान्य किडनी रोग होने पर
बार-बार होने वाले यूटीआई संक्रमण के इलाज और रोकथाम में मदद के लिए, डॉक्टर रोगी को निम्नलिखित खास सलाहें भी दे सकते हैं :-
गर्भ निरोधक उपायों को बदलने की सलाह।
6-12 महीनों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की एक दैनिक खुराक निर्धारित करें
सुरक्षित सेक्स के साथ-साथ, सेक्स के दौरान सफाई का भी विशेष ध्यान दें।
एक से ज्यादा साथी के साथ सेक्स करने से बचें।
मूत्र पथ संक्रमण में क्या-क्या घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं? What are the home remedies for urinary tract infection?
मूत्र पथ संक्रमण होने पर कई तरह के घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। लेकिन कोई भी घरेलू उपाय अपनाने से पहले उस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें और उपाय अपनाने के बाद कोई भी समस्या होती है तो उस उपाय को अपनाना तुरंत बंद कर दें। पेशाब से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप निम्नलिखित घरेलु उपायों को अपना सकते हैं :-
खूब पानी लें : पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए सामान्य से ज्यादा पानी लेना चाहिए, इससे शरीर में होने वाली पानी की कमी नहीं होती और खुलकर पेशाब आने से संक्रमण भी तेजी से ठीक होता है। बस ध्यान रहें, पानी इतनी भी ज्यादा मात्रा में न लें जिससे आपको उल्टियाँ होना शुरू हो जाए या पेट दर्द की समस्या होने लगे। उदाहरण के लिए, अगर अप दिन भर में दो लीटर पानी लेते हैं तो कोशिश करें कि आप दिन भर मसे 2.5 लीटर से 3 लीटर तक के बीच पानी लें।
नारियल का पानी : मूत्र पथ संक्रमण के दौरान नारियल का पानी पीने से जलन में राहत मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
छाछ : यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने पर शरीर में न केवल पेशाब करते हुए जलन होती है बल्कि शरीर में भी जलन होने लगती है। ऐसे में दोनों ही जलन से छुटकारा पाने के लिए छाछ लेनी चाहिए, लेकिन केवल दिन के समय में। इससे शरीर शरीर में तरल उत्पाद की मात्रा में वृद्धि होगी और पेशाब खुलकर आएगा, जिससे संक्रमण से जल्दी छुटकारा मिलेगा।
पानी और बैकिंग सोडा : एक गिलास ठंडे पानी में एक छोटा चम्मच बैकिंग सोडा मिलाकर पीने से मूत्र पथ संक्रमण के दौरान बार-बार आने वाले पेशाब से राहत मिलती है, साथ ही जलन और दर्द में भी राहत मिलती है। बेकिंग सोडा वाला पानी लेने से किडनी की भी सफाई होती है, जिससे किडनी पहले से बेहतर काम करने लगती है।
कच्चे दूध की लस्सी : इस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए रोगी कच्चे दूध से बनी लस्सी में छोटी इलाइची का पावडर मिला कर सुबह-शाम ले सकते हैं। इससे रोगी को जल्द ही आराम मिलने लगेगा और दवाओं के साथ भी इसका सेवन किया जा सकता है। जिन लोगों को इलाइची से परेशानी वह इसका उपयोग न करें।
चावल का मांढ : सुबह शाम आधा गिलास चावल के पानी में स्वादनुसार चीनी मिलकर पीने से पेशाब करते समय होने वाली जलन और दर्द में राहत मिलती है, साथ ही पेशाब भी खुलकर आता है।
गन्ने का रस : मूत्र पथ संक्रमण होने पर गन्ने का रस पीने से जीवाणु खत्म होते हैं। क्योंकि यह पेट साफ़ करने में मदद करता है। ध्यान रहे गन्ने का रस ताज़ा होना चाहिए।
पेठा और आवंले का मुरब्बा : इस गंभीर संक्रमण के दौरान पेठा और आवंले का मुरब्बा का सेवन सुबह या शाम के समय सेवन करने से जलन और दर्द में राहत मिलती है। ध्यान दें, अगर रोगी को संक्रमण के साथ मधुमेह भी है तो इसका सेवन ना करें।
सिट्रिक एसिड वाले फल – खट्टे फल : मूत्र पथ संक्रमण होने पर रोगी को खट्टे फलों का सेवन जरूर करना चाहिए, इससे संक्रमण में तेजी से आराम मिलता है। खट्टे फलों में आप कोई भी मौसमी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
पानी वाले फलों का सेवन करें : मूत्र पथ संक्रमण होने पर उन फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए, जिनमे पानी की मात्रा ज्यादा हो। इसके लिए आप खीरा, खरबूजा, खरबूजा, और अंगूर जैसे फलों को शामिल कर सकते हैं।
फल और सब्जियों के जूस : संक्रमण से तेजी से छुटकारा पाने के लिए आप ताज़ा जूस भी ले सकते हैं। इसमें आप अपनी पसंद की सब्जी या फल का जूस ले सकते हैं। बस ध्यान रहें कि डिब्बाबंद जूस का सेवन बिलकुल न करें।
अंगूर का जूस लें : अगर डॉक्टर आपको अंगूर लेने की सलाह देते हैं तो आप ऐसे में सप्ताह में एक बार अंगूर का जूस भी ले सकते हैं, खासकर लाल अंगूर का रस। अंगूर के रस में कई ऐसे पौषक तत्व होते हैं जिससे पेसह्ब खुलकर आता है।
मूली या मूली का रस : मूली में पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है, इसलिए यह बेहतर और प्राकृतिक मूत्रवर्धक diuretic के तौर पर काम करता है। इसलिए पेशाब से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह से आप मूली या मूली के रस को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
करौंदे का सेवन : मूत्र पथ संक्रमण होने पर करौंदे का सेवन करे, क्योंकि इसके अंदर हिप्यूरिक एसिड पाया जाता है। यह खास तत्व यूरिथ्रा (पेशाब की नली या रास्ता) में जीवाणुओ को आने से रोकता है साथ ही उन्हें खत्म भी करता है।
मूत्र पथ संक्रमण होने पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? What should be taken care of in case of urinary tract infection?
अगर आप मूत्र पथ संक्रमण से जूझ रहे हैं तो आपको खाने से जुड़ी कुछ खास बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। निचे कुछ ऐसे जरूरी विषयों को वर्णित किया गया हैं जिनपर इस संक्रमण के दौरान खास ध्यान देना चाहिए :-
चीनी से बने उत्पादों से दूर रहें : मूत्र पथ संक्रमण के दौरान चीनी से बनी किसी भी मीठी चीज़ के सेवन से बचना चाहिए, कहस मिठाइयों से और भी ऐसी मिठाई जिसमे चाशनी हो। मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। खास कर जिन चीजों के उत्पादन में चीनी का इस्तेमाल किया गया हो। चीनी खाने से मूत्र पथ संक्रमण के जीवाणु बड़ी तेज़ी से पनपने लगते हैं। ऐसे में आपको केक, बिस्कुट, कोल्डड्रिंक, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को केवल फलों से ही मीठे की पूर्ति करनी चाहिए।
मिर्च मसलों से दूर रहें : मूत्र पथ संक्रमण होने पर तेज मिर्च मसालों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से शरीर में और पेशाब करते हुए दर्द और जलन बढ़ सकती है।
चटनी आचार से दूर रहें : इस संक्रमण के दौरान रोगी को तेज मिर्च वाली चटनी, कच्चा आम, खटाई, हरी चटनी, गुड वाली मिठी चटनी का सेवन करने से बचना चाहिए, इससे संक्रमण बढ़ सकता है।
गुड से दूर रहें : संक्रमण रोगी भले ही गन्ने का सेवन कर सकते हैं, लेकिन गन्ने से बने गुड का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि गुड की तासीर गर्म होती है जिससे रोगी की समस्याएँ बढ़ सकती है।
कॉफ़ी और चाय से दूर रहें : कॉफ़ी और चाय का सेवन बिलकुल ना करे। कॉफ़ी के अंदर कैफीन पाया जाता है जो मूत्राशय में बेचैनी, खुजली आदि कर सकता है, इससे तेज़ दर्द भी हो सकता है। वहीं इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है।
शराब का सेवन ना करे : संक्रमण होने पर शराब और अन्य नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से संक्रमित जगह सुन्न हो सकती है या फिर सूजन आ सकती है।
आहार के साथ इन बातों का भी विशेष ध्यान रखें :-
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने पर रोगी को क्या खाना है और क्या नहीं इस बारे में आपने ऊपर विस्तार से जाना। लेकिन इस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए इतना काफी नहीं है। आहार और दवाओं के साथ-साथ आपको निम्नलिखित बातों का भी खास ख्याल रखना होगा ताकि आप इस समस्या से जल्द छुटकारा पा सके :-
धुम्रपान न करें, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
इस संक्रमण के दौरान गर्म जगह और धुप में ज्यादा देर ना रुके।
अगर आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन पेशाब रोकने के कारण हुआ है तो आपको इस दौरान ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए, नहीं तो इससे किडनी पर बुरा असर पड़ना शुरू हो जायगा।
पुरुष हस्तमैथुन (Masturbation) ना करे, इससे लिंग पर दबाव पड़ता है और पेशाब होने में अवरोध होता है।
इस संक्रमण के दौरान सेक्स से बचना चाहिए। नहीं तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
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