घुटने में गठिया का होना घुटनों का आर्थराईटिस भी कहलाता है। घुटनों में घटिया के कईं कारण होते हैं, वैसे घुटनों में दर्द मुख्यत:घुटने की हड्डी में लिंगामेंट की कमी और हड्डी कीघिसाई के कारण होता है। घुटनों का दर्द आम तौर पर50 या उससे अधिक आयु के लोगों को अपना शिकार बनाता हैऔर इस रोग के उन लोगों में होने की संभावना बहुत अधिक होती है जिनका वज़न ज़रुरत से ज्यादा होता है। यह ऐसा रोग है जो भावी पीढ़ी यानि आने वाली पीढ़ियों में भी जारी रहता है।
जब घुटनों में लंबे समय तक दर्द बना रहे, घुटनों की मूवमेंट यानि घुटने हिलाने में दिक्कत हो और पैरों में तिरछापन महसूस होने लगे, तो ऐसी अवस्था को ही घुटने में गठियाहोना यानि ‘नी अर्थराइटिस’कहा जाता है ।
• इन स्थितियों में गठिए का खतरा
कभी-कभी घुटने के नीचले पैर की हड्डी, जिसे थाईबोन और शिनबोन कहते हैं, उनको जोड़ने वाली लिगामेंट और और टिश्यू यानि कोशिकाओं में चोट लगने की वजह से घुटने में गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है । ठीक इसी प्रकार इन दोनों हड्डियों को जो जोड़ता है यानि कार्टिलेज, उसे भी चोट लग जाती है जिसकी वजह से गठिया होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। शिनबोन हड्डी, जो घुटने की कटोरी को जोड़ती है, कभी-कभी उसमें फैक्चर की वजह से भी गठिया होने का खतरा बढ़ जाता है ।
• घुटने में चोट लगना
एम्स, दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि घुटने पर किसी घाव या चोट लगने से घुटने के अंदर प्रैशर पड़ जाता है और जिससे घुटने की कार्यप्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है । जोड़ों पर ज्यादा दबाव के आने से कार्टिलेज को क्षति हो जाती है जिसकी वजह से गठिया की दिक्कत आरंभ हो जातीहै। घुटनों की बाहरी जोड़ों की ओर लगी पर लगी चोट से ऐसी दिक्कत नहीं होती ।
• घुटनों में लगने वाली दूसरी चोटें
चिकित्सक और डॉक्टरों द्वारा लगातार हो रहे शोध में शामिल घुटने में गठिया वाले अधिकतर लोग, जिन्हें घुटने में चोट लगने से दिक्कत थी वे पुरुष निकले । लंदन की मेडिकल यूनिवर्सिटी में कईं साल लगातार कठिन प्रयोग और शोध के बाद यह पाया गया कि 400 लोगों में से लगभग 11 प्रतिशत लोगों को घुटने में गठिया की परेशानी हो गई। इस जांच में यह भी पाया गया कि सबके घुटने पर लगने वाली चोट भी विभिन्न प्रकार की थी। 22 प्रतिशत लोगों के घुटने में गहरी चोट थी। 18 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनके घुटने पर कटने से परेशानी थी और लगभग 18 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्हें घुटने के टिश्यू टूटने से समस्या थी।
जब रोग गंभीर अवस्था में पहुंच जाए, तो चलने-फिरने में दिक्कत होती है। यहां तक कि मरीज सिर्फ बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है।
अपने घुटनों को मजबूत करने के लिए 5 टिप्स
अगर घुटने में गठिया होना शुरु हो गया है तो आपको इसके लक्षण पहचानने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह आपको इसका आभास करा देंगे, परंतु अक्सर ऐसा होता है कि लोग इन लक्षणों का आभास होने के बावजूद इसे टाल देते हैं ।
• अचानक घुटनों में दर्द का उठना
घुटने में गठिया होने के शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति जब-जब ज़मीन या फर्श से उठने की कोशिश करता है या सीढियां चढ़ता या उतरता है, तो उसे अत्यधिक पीड़ा होती है, हो सकता है कि शुरुआत के दिनों में ये पीड़ा कम हो, लेकिन अगर इसका उपचार न हो, तो बहुत जल्द ये पीड़ा असहनीय हो जाती है ।
• घुटनों में अकड़न और चलने में तकलीफ
जब गठिया गंभीर स्टेज में पहुंच जाता है, तो व्यक्ति को चलने में भी परेशानी होने लगती है । व्यक्ति के घुटने अकड़ जाते हैं, पैर मूवमेंट नहीं कर पाते और अगर चल रहे हैं तो बेहद पीड़ा का अनुभव होता है ।
• घुटनों से आवाज़ आना
कईं बार लोग घुटने से आवाज़ आने की शिकायत करते हैं । अगर घुटनों से कट-कट जैसी आवाज़ आने लगे जो यह खतरे की घंटी है । इसे हल्के में मत लीजिए, यह गठिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है ।
• घुटनों में सूजन रहना
घुटनों से आवाज़ आने के अलावा बहुत लोगों के घुटनों में सूजन भी आती है । अगर यह सूजन किसी चोट के कारण आई है या यह कुछ समय बाद ठीक हो जाती है, तो खतरा नहीं है । लेकिन अगर यह सूजन अकारण ही आती है और बार-बार आती है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें ।
घुटने में गठिया चाहे किसी भी कारण से हुआ हो लेकिन हर तरह के गठिया का इलाज आज भी व्यायाम और फिजियोथेरेपी में ही बेहतर तरीके से देखा जाता है । कुछ योगाआसन और शारीरिक व्यायाम से कईं रोगी पूरी तरह गठिया से मुक्त हुए हैं ।
हां, यदि रोगी को इसके बाद आराम नहीं मिलता तो डॉक्टर रोगी को घुटनों के प्रत्यारोपण का विकल्प देते हैं, हालांकि घुटनों के बदलने के बाद रोगी को पीड़ा नहीं होती।
हां, यह अवश्य है कि दवाईयां रोगी को राहत दे सकती है परंतु वह सिर्फ लक्षणों को कम कर सकती हैं । यह याद रखें कि गठिया का इलाज दवाईयों, किसी लेप या मलहम के दवारा नहीं हो सकता । यह सब आपको सिर्फ स्थाई राहत देते हैं ।
घुटने के गठिया का यदि समय पर इलाज न किया जाए तो घुटने के जोड़ों की कार्टिलेज फट सकती है या खत्म हो सकती हैं। इसका एक और दुष्परिणाम यह भी हो सकता है कि पैर तिरछे होने के साथ-साथ पैर पूरी तरह अकड़ सकते हैं ।
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